झारखंड के इन VVIP को राज्य सरकार देगी बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर और सफारी!

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झारखंड में VVIP को अब सरकार नई गाड़ियों की सौगात देने वाली है. अब राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन सहित जेड प्लस वाले अन्य वीवीआईपी, 50 लाख की गाड़ियों की सवारी करेंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड के वीवीआईपी की सुरक्षा के मद्देनजर 10 बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर और 10 सफारी गाड़ी खरीदी जाएगी. इसका प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को भेज भी दिया है.

इन वीवीआईपी की गाड़ियों के साथ राज्य के 24 जिलों के 514 थानों के लिए भी 1,255 नए बोलेरो भी खरीदे जाने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा गया है. गृह विभाग की मंजूरी के बाद वाहनों की खरीद की प्रक्रिया पुलिस मुख्यालय शुरू करेगा.

हालांकि, इससे पहले झारखंड में साल 2010 में ही झारखंड के वीवीआईपी के लिए बुलेटप्रूफ सफारी गाड़ी खरीदी गई थी. जो नए बुलेटप्रूफ वाहनों की खरीद के बाद वीवीआईपी की सुरक्षा से हटा लिए जाएंगे.

2 साल पहले 2021 में झारखंड सरकार ने 11 मंत्रियों के लिए टोयटा कंपनी की फॉर्च्यूनर गाड़ी की खरीदारी की थी. इन मंत्रियों के वाहन खरीदने में सरकार ने लगभग तीन करोड़ रुपए खर्च किए थे.

वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कैमरी और बीएमडब्लू गाड़ी की सवारी करते हैं और झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन फिलहाल मर्सिडीज ई-200 एक्सक्लूसिव और स्कोडा सुपर्ब कार से सफर करते हैं. लेकिन राज्यपाल अपने इन गाड़ियों से ज्यादा खुश नहीं हैं. राजभवन की ओर से राज्य सरकार को आग्रह पत्र भेज कर कहा गया कि इन कारों की ग्राउंड क्लीयरेंस अच्छी नहीं है और ये ग्रामीण क्षेत्रों में सफर के लिए आरामदायक नहीं है. और क्योंकि राज्यपाल लगातार ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे हैं तो उन्हें सुरक्षा और सुविधा के नजरिए से नई गाड़ी की जरूरत है. हालांकि राज्यपाल ने नई मर्सिडीज बेंज जीएलएस एसयूवी की मांग की थी.

जब राज्य में सरकार नई गाड़ियां खरीदती है तो पुरानी गाड़ियां कबाड़ में चली जाती है. फिलहाल रांची के नेपाल हाउस और प्रोजेक्ट भवन स्थित सचिवालयों समेत विभिन्न सरकारी कार्यालयों में सरकार की पुरानी एंबेसडर, टाटा सफारी, इंडीवर, मार्शल या बोलेरो जैसी गाड़ियां बेकार पड़ी हुई हैं. इन वाहनों में कई ऐसे भी हैं, जिनकी खरीद साल 2005 से 2014 के बीच ही हुई थी. इन कबाड़ में पड़ी गाड़ियों में से कई गाड़ियों को मरम्मत के बाद इस्तेमाल किया जा सकता था. लेकिन अब सरकार फिर से नई गाड़ियों की खरीद के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने वाली है.

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