देशभर में हर साल राम नवमी पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को समार्पित है. इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम के साथ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने का विधान है.
बता दें कि धार्मिक मान्यता है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था. इसी वजह से हर साल इस तिथि को ही राम नवमी के रूप में मनाई जाती है.
बहरहाल इस बार राम नवमी की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है कि आखिर रामनवमी किस दिन मनाया जाएगा. तो चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं. राम नवमी की सही डेट और शुभ मुहूर्त कब है.
6 अप्रैल को मनाया जाएगा राम नवमी
हिंदु पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष को नवमी तिथि की शुरूआत 05 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानि 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा. इस तरह 6 अप्रैल को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा.
जानिए पूजा करने की शुभ मुहूर्त
पूजा करने का शुभ मुहूर्त- 06 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 20 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 41 मिनट से शाम 07 बजकर 03 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजे 12 बजकर 46 मिनट तक.
पूजा कि विधि
राम नवमी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वयं को शुद्ध करें.
इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान श्रीराम की पूजा करने का मन बनाएं. व्रत का पालन करते समय पूरे दिन सत्य बोलने और उत्तम आचरण का ध्यान रखें.
पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करके वहां एक चौकी रखें और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं. फिर उस पर भगवान श्रीराम, माता सीता, भाई लक्ष्मण और श्री हनुमान की प्रतिमा स्थापित करें.
भगवान श्रीराम की पूजा के लिए यह चौकी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है.अब, भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें.
भगवान राम को अपने घर में आमंत्रित करते हुए उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करें.
इसके बाद पंचोपचार पूजा करें जिसमें फूल, चंदन, दीपक, नैवेद्य (प्रसाद) और अर्पण किया जाता है.
अब राम स्त्रोत और राम चालीसा का पाठ करें.राम स्त्रोत का पाठ करने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है. राम चालीसा का पाठ विशेष रूप से शक्ति और सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना जाता है.
पूजा के अंत में भगवान श्रीराम की आरती करें और उनका धन्यवाद अर्पित करें. अंत में प्रसाद का वितरण करें और घर के सभी सदस्यों को प्रसन्नचित्त करें. इस प्रकार, पूजा विधि पूरी करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.