झारखंड में भाजपा अब तक नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं चुन पाई है. नेता प्रतिपक्ष को लेकर इतना संशय क्यों है. क्या बजट सत्र से पहले विपक्ष नेता प्रतिपक्ष चुन लेगी.
झारखंड की राजनीति में इस तरह के तमाम सवाल लगातार चर्चा का विषय बने हुए हैं. माना जा रहा था कि दिल्ली चुनाव के बाद झारखंड विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष मिल जाएगा, लेकिन अब दिल्ली में सीएम चुनने की प्रक्रिया तेज हो गई है लेकिन झारखंड भाजपा का विधायक दल का नेता कौन होगा इस पर सबकी चुप्पी बरकरार है.
अब भाजपा विधायक दल के नेता के साथ एक नया एंगल भी निकलकर सामने आ रहा है जो भाजपा के प्रदेश अधयक्ष का है. हालांकि वर्तमान में बाबूलाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अधय्क्ष हैं, जिनके नेता प्रतिपक्ष बनने की चर्चा सबसे ज्यादा है. अगर बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष चुन लिया जाता है तो प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली हो जाएगा.
प्रदेश अध्यक्ष के लिए नेताओं की लॉबिंग तेज
अब प्रदेश अध्यक्ष के लिए झारखंड भाजपा के कई नेताओं की लॉबिंग तेज हो गई है. अगर, बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बनते हैं, तो फिर माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई ओबीसी नेता बैठेगा, पर अगर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी किसी सामान्य या पिछड़े को मिली, तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी अनुसूचित जाति के नेता या अनुसूचित जनजाति के हवाले की जाएगी।
पार्टी आलाकमान के सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष के लिए ओबीसी नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व की नजर है। ऐसा हुआ, तो भाजपा एक बार फिर प्रदेश में ओबीसी राजनीति को प्रमुखता देगी. इसमें कई नेता रेस में शामिल हैं. रघुबर दास , आदित्य साबू, मनीष जायसवाल, राकेश प्रसाद ओबीसी कोटे से वहीं रवींद्र राय और अनंत ओझा सामान्य कोटे से पद पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं.
रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.इसके ही दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। ओडिशा के राज्यपाल पद से त्यागपत्र देने के बाद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने को इच्छुक हैं.
आदित्य प्रसाद साहू : राज्यसभा सदस्य हैं और संगठन में प्रदेश महामंत्री हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
मनीष जायसवाल : हजारीबाग से सांसद हैं। इससे पहले दो टर्म हजारीबाग से विधायक रह चुके हैं ।
राकेश प्रसाद : प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ-साथ सदस्यता अभियान के प्रदेश प्रभारी भी हैं। प्रदेश बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति के दो बार उपाध्यक्ष रह चुके हैं।रवींद्र राय : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और सांसद रहे हैं। फिलहाल प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हैं।
अनंत ओझा : विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के हैं। पूर्व विधायक, प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष व प्रदेश भाजपा महामंत्री रहे हैं।
अगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी अनुसूचित जाति के नेता के हाथ में देना चाहेगी तो इसके लिए अमर बाउरी को चुना जा सकता है इसकी संभावना जताई जा रही है.
सचेतक की रेस में कौन
बताया जा रहा है कि झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष औऱ नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से सामाजिक समीकरण साधते हुए अगले पांच साल की अपनी कार्ययोजना तैयार करेगी। विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक और सचेतक कौन होगा, इसके लिए भी दो नाम तय होने हैं। इस बीच, कई सांसद, विधायक और वरीय नेता दिल्ली के अपने-अपने संपर्कों को साधने में लगे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की होड़ अचानक तेज हो गई है। राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद साहू और धनबाद सांसद ढुलू महतो एक साथ, तो हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने अकेले अमित शाह से मुलाकात की है। इस प्रकार इन तीनों सांसदों ने यह संकेत दिया है कि वे प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हैं।
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने भाजपा पर बोला हमला
भाजपा के नेता प्रतिपक्ष चुनने में हो रही देरी पर सत्तारुढ़ दल के नेता भाजपा पर तंज भी कस रहे हैं. कांग्रेस विधायक सह वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष का चयन करना भाजपा का दायित्व है. इसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है. लेकिन आश्चर्य है कि कई मामलों में त्वरित निर्णय लेने वाली भाजपा इस मामले में विलंब क्यों कर रही है. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष के अभाव में कई संवैधानिक पदों पर चयन नहीं हो पा रहा है. सरकार के गठन हुए दो माह हो चुके हैं. इससे साफ है कि राज्यहित को लेकर भाजपा कितनी गंभीर है.
मनोज पांडेय ने क्या कहा
प्रदेश झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि सिर्फ 24 विधायकों में से एक नेता चुनना है. अब सवाल है कि क्या आलाकमान की नजर में सभी नालायक हैं. लेकिन झामुमो की नजर में भाजपा में कई काबिल और अनुभवी नेता हैं. फिर भी विलंब हो रहा है. नेता प्रतिपक्ष की घोषणा जल्द होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवमानना हो रही है. वहीं इस मामले में भाजपा का रटा रटाया जवाब आ रहा है.
सीपी सिंह ने कहा
इस पर वरिष्ठ भाजपा नेता सी.पी.सिंह का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को करना है. उचित समय पर उचित निर्णय आ जाएगा. उन्होंने अनुमान जताया है कि 24 फरवरी को बजट सत्र शुरु होने से पहले नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है.
हालांकि अब कब तक इसकी घोषणा होगी और किसे इन पदों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी ये तो समय आ पर ही पता चलेगा.