Ranchi : झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 30 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख है. नामांकन वापस लेने से पहले कई प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो रहा है. गौरतलब है कि स्क्रूटनी के दौरान कई मानकों पर नामांकन पर्चा की जांच की गयी. जिस नामांकन पर्चा में त्रुटि मिली उनको रद्द कर दिया गया. स्क्रूटनी के बाद प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी कर दी गयी है.
गौरतलब है कि जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा यानी जेएलकेएम के भी कई प्रत्याशियों का नामांकन रद्द किया गया है.आखिर किन वजहों से जयराम महतो के उम्मीदवारों का नामांकन रद्द किया गया. साथ ही यह भी जानेंगे कि उनकी संख्या कितनी है.
मनोज यादव का हुआ नामांकन रद्द
जेएलकेएल के कोडरमा विधानसभा सीट से प्रत्याशी मनोज यादव का नामांकन रद्द किया गया. कहा जा रहा है कि तकनीकी दिक्कतों की वजह से नामांकन रद्द हुआ है.
” साजिश के तहत हुआ है नामांकन रद्द “
इसे लेकर मनोज यादव ने सोशल मीडिया के जरिए सफाई देते हुए कहा है कि उनका नॉमिनेशन रद्द कर दिया गया है. इतना ही नहीं! मनोज यादव ने कहा कि साजिश के तहत उनका नामांकन रद्द किया गया है. मनोज यादव ने कहा कि वे कोडरमा सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे.
उनकी, पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम महतो से अनबन भी थी. बावजूद उनको टिकट दिया गया. उनका तर्क है कि जेएलकेएम का नाम राजनीतिक पार्टी के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है. इसी वजह से उनसे नामांकन पर्चा दाखिल करने में चूक हो गयी और उनका नामांकन रद्द किया गया है.
इनका भी हुआ नामांकन रद्द
जमशेदपुर पश्चिम से जेएलकेएम प्रत्याशी तपन महतो और बहरागोड़ा से दिनेश महतो का नामांकन भी रद्द किया गया है. कहा जा रहा है कि तकनीकी खामियों की वजह से नामांकन रद्द किया गया है.
बहरहाल, जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में 6 और जमशेदपुर पश्चिमी में 4 प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किए गए है. जमशेदपुर पश्चिम में नीतू कुमारी, जेएलकेएम के तपन महतो और बच्चे लाल भगत का नामांकन रद्द कर दिया गया है.
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के डॉ. ओपी आनंद का नामांकन भी रद्द किया गया है. जमशेदपुर पूर्वी में पत्रकार और निर्दलीय उम्मीदवार प्रीतम भाटिया सहित 6 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हुआ है.
बहरागोड़ा में निर्दलीय दिनेश महतो का नामांकन रद्द हुआ. पोटका में 2 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हुआ, जिनमें जेएलकेएम के भगीरथ हांसदा और निर्दलीय बबलू टोप्पो का नाम शामिल हैं. घाटशिला में एक अन्य प्रत्याशी भरतारण महाली का नामांकन भी रद्द हुआ है.
क्यों होता है नामांकन रद्द ?
अब सावल है कि स्क्रूटनी के दौरान ऐसा क्या होता है जिससे प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो जाता है. दरअसल, नामांकन पत्र भरते समय हर उम्मीदवार को एक एफिडेविट भी देना होता है. इसमें अपने आय-व्यय की जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देनी होती है.
पासपोर्ट साइज की फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी साथ में लगानी होती है. इसके अलावा उम्मीदवार को नामांकन पत्र में ही अपनी चल-अचल संपत्ति, जैसे गहने और जमीन, कर्ज की जानकारी देनी होती है.
शादीशुदा हैं तो पत्नी और अगर बच्चे हैं तो उनकी भी आय-व्यय, जेवर-जमीन और कर्ज आदि की हर एक जानकारी देनी पड़ती है. उम्मीदवार और उसकी पत्नी-बच्चों के पास हथियारों, आपराधिक मामलों के बारे में बताना होता है.
कोर्ट में कोई केस चल रहा है और या किसी केस में सजा हुई है, तो इसकी जानकारी शपथ पत्र के जरिए ही देनी पड़ती है.
कैसे होती है जांच !
ये तो हो गई नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया की बात. अब हम आते है नामांकन पत्रों की जांच कैसे होती है. एक बार नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया जाता है तो चुनाव आयोग उम्मीदवार के सभी दस्तावेजों की जांच करता है.
इसमें दी गई हर जानकारी की बारीकी से पड़ताल होती है. नामांकन के बाद चुनाव आयोग की तरफ से तय तारीख तक प्रत्याशी चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है. चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन पत्र को ठीक ढंग से भरा जाना चाहिए.
इसमें कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र अवैध माने जाते हैं और उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाती है. साथ ही नामांकन पत्र के साथ लगाए गए दूसरे दस्तावेज भी सही होने चाहिए. उनमें दी गई जानकारी अगर संदिग्ध या गलत लगती है तो भी चुनाव आयोग उम्मीदवारी निरस्त कर देता है. माने ये कि एक छोटी सी गलती और प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया जाता है.