19 सितंबर से नए संसद में बैठेंगे मानयीय, पुराने के लिए ‘नोट’ लिख भावुक हुई महिला सांसद, पढ़ें

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संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शुरू हो गई है. पहले दिन के कार्यवाही की शुरुआत  पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुआ. अपने संबोधन में और उससे पहले पीएम मोदी ने इस विशेष सत्र को ऐताहासिक बताया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पांच दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन की कार्यवाही पुराने संसद भवन में चल रहा है. वहीं, कल से यानी सत्र के दूसरे दिन से सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी. ऐसे में पुराने संसद भवन को अलविदा कहना किसी भी सांसद के लिए आसान नहीं रहने वाला है. वहीं, कई सालों तक इस सदन में रहीं कुछ महिला सांसदों ने अपनी प्रतिक्रिया विदाई देने के लिए हस्तलिखित ‘नोट’ में यादें, संदेश और अनुभव साझा किए हैं. इस स्टोरी में हम उन 09 महिला सांसदों की बात करेंगे जिन्होंने अपनी प्रतिक्रिया पुराने संसद भवन की इमारत के लिए लिखा है.

पीटी ऊषा

राज्यसभा सदस्य और महान धावक पीटी ऊषा ने भी पुराने संसद भवन को लेकर अपनी यादें साझा कीं. पीटी ऊषा ने अपने ‘नोट’ में 1986 में सियोल में स्वर्ण पदक जीतने के एक दर्शक बाद पहली बार इस खूबसूरत संसद भवन की यात्रा की थी. पीटी ने कहा वो समय आज भी  याद है जब सभी सांसदों ने मुझे बधाई और शुभकामनाएं दी थीं. पीटी ऊषा ने अपने नोट में लिखा “27 जुलाई 2022 का दिन मेरे लिए बहुत खास था क्योंकि जीवन में पहली बार मैंने जब राज्यसभा में कदम रखा, सीढ़ियों को प्रणाम किया और हरि ओम का उच्चारण किया. मैंने देखा कि इस प्रतिष्ठित सदन के सभी सम्मानित सदस्य मुझे बधाई और शुभकामनाएं देने आए. मुझे एक अच्छे सांसद की तरह कैसा व्यवहार करना है, सत्र दर सत्र यह सिखाने में उनका बहुत सहयोगात्मक व्यवहार रहा. वे हमेशा मेरे प्रति अपना प्यार और स्नेह दिखाते हैं और मुझसे मेरे परिवार, उपलब्धियों आदि के बारे में पूछते हैं.’’

नवनीत राणा

अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा “जब मैं पहली बार संसद में प्रवेश कर रही थी तो यह एक अद्भुत स्मृति थी. आप, मैं, संसद की यह पीढ़ी आगे न जाने कहां होगी. पिछले दस वर्ष संसद में मैंने बहुत सी चीजें सीखीं. इस संसद के साथ शानदार यादें जुड़ी हैं.’’ उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सेंट्रल हॉल लॉबी, मंत्री का अलग कार्यालय और अन्य चीजें शानदार हैं. यह सच है कि यह लोकतंत्र का असली मंदिर है.”

स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने नोट में लिखा “शुभकामानाएं”.

महुआ मोइत्रा

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने अपने नोट में लिखा “यह वह सदन है जिसमें मैं पहली बार सांसद के रूप में गई थी. यह जल्द ही घर बन गया! इस इमारत का मेरे दिल में हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा. इस महान हॉल ने हम सभी को राजकोष और विपक्ष दोनों का साथ दिया और हमें इसके कोकून में अपना खुद का कोना तलाशने में मदद की. इमारत बदल सकती है लेकिन एक स्वतंत्र देश के स्वतंत्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के लिए एक स्वतंत्र स्थान का प्रतीक रूप इसे अक्षुण्ण बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है.”

हरसिमरत कौर बादल

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने अपने नोट में लिखा “2006 में एक दर्शक से लेकर 2009 में पहली बार की सांसद, फिर 2019 में पहली बार मंत्री बनने तक लोकतंत्र के इस मंदिर में इन 144 स्तंभों ने मेरे लिए ढेर सारी यादें संजोकर रखी है. इतिहास और हजारों भारतीय कलाकारों, मूर्तिकारों और मजदूरों की हस्तकला से सुसज्जित यह खूबसूरत इमारत गहन शिक्षा और अत्यधिक संतुष्टि का स्थान रही है. सेंट्रल हॉल, जहां मित्रता बनी, सभी यादें को जीवनभर संजोकर रखा जाएगा.’’

सुप्रिया सुले

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने अपने नोट में लिखा ” मुझे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और पुराने खूबसूरत सत्रों का हिस्सा बनने का अवसर देने के लिए महाराष्ट्र के लोगों को धन्यवाद. संसद भवन उन नेताओं की आवाज को प्रतिबिंबित करता है जिन्होंने हमारे खूबसूरत देश के विकास में योगदान दिया.”

अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की सांसद अनुप्रिया पटेल ने लिखा “उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से 2014 (16वीं लोकसभा) में पहला संसदीय चुनाव जीतने पर संसद भवन के पवित्र परिसर में प्रवेश करना मेरे लिए भावुक और विनम्र क्षण था। मैं गहरायी से महसूस कर सकती थी कि मैं एक ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश कर रही हूं जिसने भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी हासिल करते हुए, हमारा संविधान बनाते हुए तथा देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं के विकास और उन्हें मजबूत होते हुए देखा.’’

पूनम महाजन 

सांसद पूनम महाजन ने लिखा “अंतिम जय का व्रज बनाने, नव दधीचि हड्डियां गलाएं. आओ फिर से दीया जलाएं.’’

प्रियंका चतुर्वेती

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की संसद सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने नोट में लिखा “‘यादें, सीखना, नीति निर्माण, मित्रता। इतिहास और चमत्कार की इस सुंदरता ने गहन चर्चा, व्यवधान, दिग्गज नेताओं और इतिहास निर्माताओं को देखा है.”

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