नीट पेपर लीक मामले की जानिए इनसाइड स्टोरी…

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Ranchi : 5 मई 2024 दिन रविवार, करीब 24 लाख बच्चे नीट यूजी की परीक्षा में शामिल हुए थे. 24 लाख बच्चों में कई ऐसे स्टूडेंट्स होंगे जो एक ख्वाब लेकर इस परीक्षा में शामिल हुए होंगे कि श्याद वे इसमें सफल हो जाए, ओर डॉक्टर बनने का उनका सपना पूरा हो जाए, लेकिन किसे पता था कि, उनका ख्वाब महज एक सपना बनकर ही रह जाएगा. क्योंकि नीट यूजी का रिजल्ट आने के 10 दिन पहले यानी 4 जून को ही परीक्षा का परिणाम समाने आ गया. परिणाम ऐसा आया कि कई लोग हैरान रह गए. क्यों तो ये भी बताते है.

दरअसल, कई ऐसे परीक्षा के सेंटर थे जहां के अभ्यर्थियों को एक जैसे माने समान अंक प्राप्त हुए. जिसके बाद नीट यूजी की परीक्षा विवादों में घिरनी शुरू हो गई. ओर फिर छात्रों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब तक इस पूरे मामले क्या हुआ कब हुआ, कौन था इसका मस्टरमांइड, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कुछ कहा है. कितनों की गिरफ्तारी हो चुकी सब बताएंगे इस सिलसिलेवार ढ़ग से.

5 मई को नीट यूजी की परीक्षा हुई थी. 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 24 लाख अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे, लेकिन यह परीक्षा पहले ही विवादों में आ गई थी. क्यों तो ये भी बताते है. इसकी शुरूआत होती है पटना के शास्त्रीनगर इलाके से. दरअसल, परीक्षा वाले दिन ही पटना के शास्त्री नगर थाना की पुलिस को सूचना मिली थी कि डस्टर कार में बैठे कुछ गिरोह सेंटर के आस पास घूम रहे है जो नीट यूजी परीक्षा में एक संगठित गिरोह कुछ अभ्यर्थी और परीक्षा संचालन करने वाले कर्मियों के साथ मिलकर पेपर लीक कर दिया है. ज्यूं ही पुलिस को दोपहर 2 बजे के करीब बेली रोड पटेल भवन की तरफ से डस्टर कार आते दिखी. त्यूं ही पुलिस कार को घेरकर उसकी जांच करने लगी.

यहां से शुरू होता है गिरफ्तारी का सिलासिला

कार में सिंकदर, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार नाम के शख्स सवार थे, पुलिस ने गाड़ी की तालाशी ली तो, डैश बोर्ड सेल्फ से चार नीट अभ्यर्थी अभिषेक कुमार, शिवनंदन कुमार, आयुष राज और अनुराग यादव के एडमिट कार्ड मिले पुलिस में सभी को हिरासत में ले लिया.

सिंकदर की गिरफ्तारी के बाद से ही नीट पेपर लीक से पर्दा उठना शुरू हो गया. पुलिस हिरासत में उसने पुलिस को बताया कि उसके कुछ अभ्यर्थी पटना के सेंटर में परीक्षा दे रहे है. इतना ही नहीं उसने पुलिस को यह भी बताया कि नीट परीक्षा में संजीव सिंह, रॉकी, नीतीश और अमित आनंद के जारिए से सेटिंग कराया है. सेट अभ्यर्थियों को संजीव, रॉकी, नीतीश और अमित ही प्रश्न का उत्तर रटाने के लिए ले गए हैं.

पुलिस ने अभ्यर्थी आयुष के साथ साथ तीन नीट अभ्यर्थी अनुराग यादव, अभिषेक कुमार व शिवनंदन कुमार को परीक्षा के तुरंत बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही सेंटर, परीक्षार्थी और अभ्यर्थी समेत 13 लोगों को पुलिस ने गिरफ्ताक किया. वहीं गिरफ्तार अभ्यर्थी आयुष ने कबूल किया कि चार मई की रात ही उसे पटना के रामकृष्णानगर के खेमनीचक स्थित होटल एवं प्ले स्कूल में ले जाकर प्रश्नपत्र उत्तर याद करने के लिए कहा गया था.

ठीक उसी रात पेपर लीक के गिरोह में शामिल नीतीश और अमित आनंद को शास्त्रीनगर के एजी कॉलोनी स्थित फ्लैट से पुलिस ने गिरफ्तार किया. 5 मई को ही पटना में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई जिसके बाद पुलिस इसकी कड़ीयां जुटाने में लग गई. 10 मई को ईओयू यानी आर्थिक अपराध इकाई ने पेपर लीक की कमान संभाल ली..इसके बाद एसआईटी का गठन किया गया.

बता दें कि गिरफ्तार अभ्यर्थियों के घर से जले हुए कागाजात मिले थे जिनमें परीक्षा के पश्नपत्र की फोटो कॉपी भी थी जिसके बाद 12 जून को ईओयू ने एनटीए से नीट प्रश्नपत्र की मांग की. ताकि प्रश्नों को मिलया जा सके. जले हुए कागजो को जब मिलया गया तो उसमें झारखंड के हजारीबाग स्थित ओएसिस स्कूल का था. जिसे एनटीए ने परीक्षा का केंद्र बनाया था.
मामला जब काफी ज्यादा तूल पकड़ने लगा तो केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने 20 ईओयू से जांच की रिर्पोट मांगी. उस वक्त ईओयू को पेपर लीक मामले में झारखंड से कड़ी जुड़ा हुआ मिला ही था.

जिसके बाद 22 जून को ईओयू की सूचना पर झारखँड के देवघर पुलिस जांच में जुटी और देवघर में ही छह लोगों को हिरासत में लिया गया. जो सभी नालंदा के रहने वाले थे.
फिर केंद्रीय मंत्रालय में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, सीबीआई ने जब मामले की जांच शुरू की तो 28 जून को हाजारीबाग से ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल के साथ दो और शख्स को सीबीआई ने गिरफ्तार किया. जिसमें से एक स्थानीय पत्रकार था.

इसके अलावे सीबीआई की जांच रिम्स तक भी पहुंची थी जहां से सीबीआई की टीम ने एक स्टूड़ेट्स को गिरफ्तार किया. वहीं अब इसी मामले में सीबीआई ने राजस्थान के भीलवाड़ी स्थित एक मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस स्टूडेंस संदीप कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. अब तक की हुई गिरफ्तारी में 9 एमबीबीएस स्टूडेंट्स गिरफ्तार हो चुके है. संदीप ने भी अन्य मेडिकल छात्रों के साथ हजारीबाग में 5 मई की परीक्षा से पहले नीट यूजी का प्रश्नपत्र सॉल्व किया था. इसी सॉल्व पेपर को संजीव मुखिया और रॉकी ने बिहार-झारखंड में अपने साथियों को भेजकर नीट यूजी के अभ्यर्थियों को रटाया था.

सीबीआई इससे पहले अमित और अमन को गिरफ्तार कर चुकी है. दोनों रॉकी के करीबी हैं.झारखंड का पूरा मैनेजमेंट अमित और अमन ही संभाल रहा था. वहीं पटना का मैनेजमेंट चिंटू, नीतीश और अमित आनंद संभाल रहा था। मालूम हो कि राजस्थान के परीक्षा माफिया बलराम गुर्जर का संजीव मुखिया और रॉकी के साथ पुराना संबंध है। दोनों गिरोह पूर्व में भी एक साथ जालसाजी कर चुके हैं. ऐसी संभावना है कि बलराम गुर्जर की मदद से रॉकी ने राजस्थान के मेडिकल कालेज के छात्रों से संपर्क साधा था.

अब तक 41 की हो चुकी है गिरफ्तारी, 13 के खिलाफ चार्जशीट

मालूम हो कि 5 मई को नीट यूजी की परीक्षा के दिन शास्त्रीनगर थाने की पुलिस ने नीट यूजी की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक कराने के आरोप में कुल 13 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था. 17 मई को केस ईओयू ने ले लिया. 23 जून को यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. अब तक इस मामले में कुल 41 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है. 37 जेल में हैं। सीबीआई 13 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है.

SC ने नीट पेपर लीक मामले में क्या सुनाया फैसला ?

बहरहाल नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कल अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम नीट यूजी री एग्जाम की मांग को खारिज कर रहे हैं. पेपर लीक व्यापक स्तर पर नहीं हुआ है. हमारा निष्कर्ष है कि पेपर लीक systematic नहीं है. नीट यूजी पेपर लीक को रोकने के लिए स्टोरेज के लिए SOP तैयार करना होगा एसओपी माने. इसमें उद्योग विनियमों के अनुसार कार्यों को पूरा करने के लिए निर्देशों का एक विशिष्ट सेट होता है. जिसमें चरण-दर-चरण प्रक्रिया का वर्णन किया हुआ रहता है जिसका पालन किसी नि यमित गतिविधि को सही ढंग से करने के लिए किया जाता है.

एग्जाम देने वाले कैंडिडेट की पहचान सुनिश्चित करना. साथ ही परीक्षा केंद्र आवंटित करने की प्रक्रिया की समीक्षा करना अनिवार्य होगा. ⁠⁠परीक्षा केंद्रों की सीसीटीवी निगरानी सुनिश्चित करने और नीट यूजी प्रश्नपत्रों में हेराफेरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक को सुरक्षित करने को कहा गया.

सीजेआई ने नीट यूजी पर फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि पेपर को खुले ई-रिक्शा के बजाय रियल टाइम इलेक्ट्रॉनिक लॉक सिस्टम के साथ बंद वाहन में भेजे जाने की व्यवस्था पर विचार किया जाना चाहिए.

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