झारखंड हेल्थ सिस्टम

4 अक्टूबर से झारखंड के सरकारी अस्पतालों में नहीं होगा मरीजों का इलाज! कारण ये है

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साहिबगंज में आदिम पहाड़िया जनजाति की बच्ची की सदर अस्पताल (साहिबगंज) में कथित तौर पर इलाज के अभाव में मौत मामले में उपायुक्त की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन ने राजव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.

स्वास्थ्य सचिव को इस आशय का पत्र लिखते हुए संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो राज्यभर के अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर बाकी जगह स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा कार्य-बहिष्कार किया जायेगा.

संगठन के महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित पत्र द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन देने के बावजूद साहिबगंज में यथास्थिति बनी हुई है.

इसलिए संगठन ने 4 अक्टूबर से राज्यव्यापी कार्य-बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. यदि, ऐसा होता है कि पूरे राज्य में हेल्थ इमरजेंसी की हालत बन जायेगी.

आदिम पहाड़िया जनजाति की बच्ची की मौत से जुड़ा है मामला
गौरतलब है कि साहिबगंज में आदिम पहाड़िया जनजाति की 7 वर्षीय बच्ची की कथित तौर पर इलाज में लापरवाही बरतने की वजह से मौत हो गयी थी.

सदर अस्पताल (साहिबगंज) में पिता की गोद में ही बच्ची ने दम तोड़ दिया था.

इससे संबंधित खबर अखबारों में प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्रवाई का निर्देश दिया था.

साहिबगंज के उपायुक्त हेमंत सती द्वारा मामले में कार्रवाई की गई थी. इस मामले में एक निजी क्लिनिक सह मेडिकल शॉप को सील किया गया था. साथ ही सिविल सर्जन (साहिबगंज) का वेतन रोक दिया गया था.

अब झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि साहिबगंज उपायुक्त ने सिविल सर्जन का वेतन रोक दिया और इस आशय का मौखिक आदेश कोषागार को दिया.

बच्ची की मौत मामले में उपायुक्त की कार्रवाई से नाराजगी
आरोप है कि डीसी ने आदेश जारी किया है कि सभी डॉक्टरों की वेतन निकासी के लिए उप-विकास आयुक्त का साइन होना जरूरी होगा.

आरोप है कि डीसी साहिबगंज ने सदर अस्पताल के सभी डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर बनाने का अधिकार भी डीडीसी को दिया है.

यहां तक कि डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को छुट्टी के लिए भी डीडीसी से ही परमिशन लेनी होगी.

एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि मृत बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम कराये बिना ड्यूटी डॉक्टर पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया.

संगठन ने यह भी आरोप लगाया है कि बिना वजह सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को हटाने की खबरें हैं.

एसोसिएशन ने राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है
एसोसिएशन ने कहा है कि साहिबगंज झासा और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा 15 सितंबर को साहिबगंज डीसी को पत्र लिखा गया था.

जिले के सभी डॉक्टरों ने 16 और 17 सितंबर को काला बिल्ला लगाकर सांकेतिक प्रदर्शन किया.

18 सितंबर को अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया.

25 सितंबर को एक बैठक हुई थी जिसमें स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, अभियान निदेशक की मौजूदगी में स्वास्थ्य मंत्री ने साहिबगंज उपायुक्त को निर्देश दिया था कि विभाग द्वारा एक आदेश निर्गत किया जायेगा लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी आदेश नहीं आया है.

एसोसिएशन का कहना है कि विभाग द्वारा आदेश जारी नहीं करने से साहिबगंज में यथास्थिति बनी हुई है.

झासा ने सरकार के समक्ष रखी हैं ये 4 मुख्य मांगें
एसोसिएशन ने सरकार के सामने 4 मांगें रखी हैं. उनका कहना है कि मृत च्ची के शव का पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया जिससे पता नहीं चला कि मौत की वजह और समय क्या था.

इसके लिए सदर अस्पताल के नोडल डीडीसी पर कार्रवाई होनी चाहिए. सिविल सर्जन का वेतन रोका गया.

यह डीसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है. इसलिए उनका तबादला किया जाये. डीडीसी (साहिबगंज) को सदर अस्पताल के नोडल से हटाया जाये.

ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की विशेषज्ञों चिकित्सकों की जांच कमिटी जांच करे. जांच के उपरांत ही कार्रवाई पर फैसला हो.

एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो 4 अक्टूबर से सभी सरकारी डॉक्टर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे.

सरकारी अस्पताल द्वारा दी जाने वाली सभी सेवाओं का बहिष्कार होगा. केवल इमरजेंसी सेवा ही बहाल रहेगी.

इस दौरान राज्य के सभी जिलों में डीसी अथवा किसी अन्य अधिकारी द्वारा बुलाई गयी मीटिंग का भी बहिष्कार होगा.

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