हमारे देश में लेफ्ट की पार्टियों को लेकर अक्सर लोग कन्फ्यूजन की स्थिति में रहते हैं और सारे वामपंथी पार्टियों को एक ही पार्टी समझने की भूल कर बैठते हैं।आम आदमी तो छोड़ दीजिए झारखंड में तो खुद इंडिया गठबंधन अपने ही घटक दलों को लेकर भी असमंजस की स्थिति में नजर आ रही है. इंडिया गठबंधन का ये कंफ्यूजन अब उन्हें भारी पड़ सकता है. इसी असमंजस और कंफ्यूजन के कारण इंडिया गठबंधन की शिकायत चुनाव आयोग जा पहुंची.
दरअसल हुआ ये कि झारखंड में इंडिया गठबंधन चुनाव के लिए अपना मेनिफेस्टो लॉन्च कर रही थी ,उस दौरान एक पोस्टर में सभी घटक दलों का लोगो लगाया गया. इस दौरान इंडिया गठबंधन ने भाकपा माले यानी सीपीआई एम एल के जगह पर सीपीआईएम के चिंह का इस्तेमाल कर दिया. फिर क्या सीपीआई एम को इस बात से परेशानी हुई और वो जा पहुंची चुनाव आयोग.
बता दें झारखंड में मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. एनडीए गठबंधन में भाजपा,आजसू,जदयू और लोजपा पार्टी शामिल है वहीं इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, जेएमएम, राजद और सीपीआईएम एल शामिल है. इंडिया गठबंधन ने सीपीआईएम एल के जगह पर सीपीआएएम का चुनाव चिंह का इस्तेमाल कर दिया है.
अब सीपीआई-एम (CPI-M) ने कांग्रेस और जेएमएम पर आरोप लगाया है कि वह बिना इजाजत उसकी पार्टी का चुनाव चिह्न इस्तेमाल किया जा रहा है. इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को चिट्ठी लिखकर शिकायत दर्ज कराई गई है.
सीपीआई-एम के राज्य सचिव ओम प्रकाश कुमार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के नाम शिकायती चिट्ठी में लिखा है, ”कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया-एम झारखंड में स्वतंत्र रूप से 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. राज्य में इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच हुए सीट शेयरिंग में सीपीआई-एम शामिल नहीं है. हमारी पार्टी के राज्य मुख्यालय को सभी जगह से यह सूचना मिल रही है कि कांग्रेस और जेएमएम द्वारा चुनाव प्रचार में हमारे चुनाव चिह्न का उपयोग किया जा रहा है. जिससे हम जहां चुनाव लड़ रहे वहां भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है.”
चिट्ठी में अनुरोध किया गया है, ”आपसे आग्रह है कि सीपीआई-एम झारखंड राज्य कमिटी की इस आपत्ति को दर्ज करते हुए हमारी पार्टी के चुनाव चिह्न के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाए. इस पत्र के साथ सीपीआई-एम के चुनाव चिह्न उपयोग करने का कुछ प्रमाण संलग्न है.” प्रकाश कुमार ने कहा कि इंडिया गठबंधन में सीपीआई-माले, कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी है. जिसका चुनाव चिंह लाल बैकग्राउंड में सफेद झंड़े पर तीन तारे बने हैं. हमारी पार्टी का सिंबल हथौड़ा, दरांती और एक तारा है.
बता दें बीते लोकसभा चुनाव में सीपीआईएम एल ने बगोदर विधायक विनोद सिंह को कोडरमा लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. उस वक्त उनके प्रचार पोस्टर में भी एक स्लोगन लिखा था-कोडरमा में बदलाव का नारा, झंडे पर तीन तारा.
अब आपके मन से तीनों वामपंथी पार्टियों को लेकर कंफ्यूजन को दूर कर देते हैं.
पहली और सबसे पुरानी पार्टी है कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी CPI या भाकपा। इसकी स्थापना 1920 के दशक में हुई थी। गेहूं की बाली औऱ हंसिया इस पार्टी का चुनाव चिन्ह् है भारतीय राजनीति में जितनी भी लेफ्ट पार्टियां अभी सक्रिय हैं वो कहीं न कहीं इसी पार्टी से निकली हैं। ऑल इंडिया स्टुडेंट फेडरेशन AISF इसी की स्टूडेंट शाखा है, जिससे चुनाव लड़ कर कन्हैया कुमार जेएनयू के प्रेसिडेंट बने थे। बाद में उन्होंने इसी सीपीआई के टिकट पर 2019 का लोकसभा भी लड़ा था।देश के पहले आम चुनाव में इसे 16 सीटें मिली थी और एक तरह से ये मुख्य विपक्षी दल बन कर उभरी थी। केरल में 1957 के विधानसभा चुनावों के बाद भाकपा की सरकार बनी। जो विश्व की पहली चुनी हुई कम्युनिस्ट सरकार थी.
1964 में ये पार्टी टूट गई और सीपीआई से अलग एक नई पार्टी बनी, जो अभी देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी है, इसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या माकपा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) या CPI(M) या CPM कहते हैं।हंसिया, हथोड़ा और एक सितारा इसका चुनाव चिन्ह् है.
तीसरी जो वामपंथी दल बंगाल में नक्सलबाड़ी आंदोलन के बाद उभर कर सामने आई, वो थी CPI(ML), एमएल का मतलब मार्क्सवादी लेननिवादी। कानू सान्याल जो बंगाल में नक्सलबाड़ी आंदोलन में काफी सक्रीय थे उन्हीं के नेतृत्व में इसका गठन हुआ। मार्क्स और लेनिन की विचारधारा पर आधारित इस पार्टी का गठन भी लेनिन के बर्थडे के दिन ही 22 अप्रैल 1969 को हुआ था।इसका चुनाव चिन्ह् तीन सितारों के साथ झंडा है। स्टूडेंट विंग AISA इसी का हिस्सा है।