“मैं आदिवासी समुदाय से आता हूं, इसलिए मुझ पर बेनामी संपत्ति का आरोप लगता है” : हेमंत सोरेन

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झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बीच जुबानी जंग दिन ब दिन और बढ़ता जा रहा है.बीते कई महिनों से बाबूलाल सीएम सोरेन पर हमलावर हो रहे हैं. एक बार फिर बाबूलाल ने सीएम सोरेन पर निशाना साधा है.बीते कल सीएम हेमंत सोरेन रांची के प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे, सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि मैं आदिवासी समुदाय से आता हूं, इसलिए मुझ पर बेनामी संपत्ति का आरोप लगता है. आपको पता है कि आदिवासी की जमीन की किस तरीके से खरीद-बिक्री होती है. जिस संपत्ति की हमारी न खरीद होती है, न बिक्री होती है, न बैंक मदद करता है, तो ऐसी संपत्ति लेकर आदमी करेगा क्या? सीएम ने कहा कि आरोप लगाने वाले हमारे विपक्ष के लोग हैं, जो आजकल कई संस्थाओं के प्रवक्ता भी बने हुए हैं. वे अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग कमजोर वर्गों को आगे बढ़ने से कैसे रोका जाये, इस पर लगातार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पांच साल में एक बार जनता को अपनी ताकत दिखाने का वक्त आता है और ये वक्त बहुत जल्द आने वाला है. समय किसी के लिए नहीं ठहरता है.

सीएम ने कहा कि यह आकलन करने की बात है. जिस तरीके से केंद्रीय एजेंसियों का प्रयोग राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है, वह देश-दुनिया के सामने दिख रहा है.

इस पर झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने ट्वीट से सीएम पर हमला बोला. बाबूलाल ने सीएम के इन बातों का जवाब देते हुए दे ट्वीट लिखे हैं. बाबूलाल ने अपने पहले ट्वीट में कहा कि- कितना झूठ पर झूठ बोलियेगा और आदिवासी होने का राग अलाप कर देश के क़ानून से कितने दिन बच कर भागियेगा? आख़िर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी? आपने तो आदिवासी-आदिवासी का रोना रो कर आदिवासियों और झारखंड को इतना लूटा कि देश-दुनिया में आदिवासियों की भारी बदनामी हो रही है। आपके और आपके परिवार की 108 घोषित( जो आपलोगों ने हाईकोर्ट में लिखकर स्वीकार किया है) के अलावा जो नामी-बेनामी सम्पत्ति अगर आपकी नहीं है तो समारोह आयोजित कर उसे ग़रीबों में बॉंट कर इतिहास पुरूष बन जाईये. रॉंची में सेना फ़ायरिगं रेंज के पास जो आपने आदिवासियों से 100 करोड़ की साढ़े आठ एकड़ ज़मीन हड़प कर क़ब्ज़ा किया हुआ है, जिसे लोग हेमंत जी के फार्म हाउस के नाम से जानते हैं, उसका बाउंड्री तोड़वा कर उसे मुहल्ले के गरीब आदिवासियों को वापस दे दीजिये. आपके इस विचार परिवर्तित कदम का सबसे पहले हम स्वागत करेंगे.

वहीं अपने दूसरे ट्वीट में बाबूलाल ने लिखा – जमीन घोटाले में ईडी के सामने हेमंत सोरेन के सारे हथकंडे विफल होते जा रहे हैं तो ऐसे में सिर्फ एक ही रास्ता नज़र आ रहा है आदिवासी होने का ‘विक्टिम कार्ड’…

हेमंत सोरेन जी, सच्चा आदिवासी कभी भी गलत रस्तों पर नहीं चलता . आपने तो अपनी काली करतूतों से हम आदिवासियों के नाम को मिट्टी में मिलाने का काम किया है. आपने और आपके परिवार ने महज कुछ पैसों के लिए झारखंड आंदोलन को बेच दिया, रांची से लेकर संथाल परगना तक आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीनें हड़प लीं.आपके परिवार ने सिर्फ़ निजी लाभ के लिए दशकों से सबसे ज़्यादा उन्हीं आदिवासियों का शोषण किया है, उनकी ज़मीन लूट ली है, जिन्होंने आपसबों पर भरोसा कर सर-आँखों पर बिठाया और फ़र्श से अर्श पर पंहुचाया.

जब साहिबगंज में आदिवासी बेटी के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए, सैकड़ों आदिवासी महिलाओं के दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध हुए तब कहाँ चली गई थी आपकी ‘आदिवासियत’?

जब पंकज मिश्रा, अमित अग्रवाल, प्रेम प्रकाश जैसे “लूट खतियानधारी” लोगों के साथ मिलकर झारखंड और झारखंड के आदिवासियों को लूट रहे थे तब आदिवासी होने के ख़्याल क्यों नहीं आया आपको?

ये फाइल(लाख) फ़ोल्डर(करोड़) और बॉस (मुख्यमंत्री) के आधुनिक आविष्कार पर चुप्पी क्यों?

कुछ तो बोलिये. लूट संस्कृति की इन आधुनिक शब्दावली की पढ़ाई किस स्कूल से की थी आपने? याद रखिए, आपने भ्रष्टाचार के अनेकों कार्य किए हैं . देश की न्यायिक प्रणाली के सामने आपके पैंतरे काम नहीं आएंगे. वोट का मतलब लूट का लाइसेंस नहीं है. देर-सबेर आपको गंभीर परिणाम भुगतान ही होगा!

अब आने वाले समय में ही पता चल पाएगा कि सीएम सोरेन और बाबूलाल के बीच की जुबानी जंग खत्म होगी या चुनावों के इस दौर में ये जंग और भी बड़ा रुप लेगा.

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