फ्लोर टेस्ट में पास हुए हेमंत सोरेन, जानिए हेमंत सोरेन ने कब और कितनी बार लाया है विश्वास प्रस्ताव

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RANCHI : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 45 विधायकों के साथ विशेष सत्र में विश्वास मत हासिल कर लिया है. विश्वास मत में पक्ष को 45 वोट मिले जबकि विपक्ष को शून्य वोट हासिल हुए. बता दें कि हेमंत सोरेन को बहुमत के आंकड़े से भी अधिक वोट प्राप्त हुए है. विश्वास मत हसिल करने के बाद स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाई अनिश्चत कालीन के लिए बंद कर दिया है.

हेमंत सोरेन ने चौथी बार लाया विश्वास प्रस्ताव

हेमंत सोरेन ने सोमवार को झारखंड विधानसभा में चौथी बार विश्वास मत हासिल किया है. इससे पहले हेमंत सोरेन ने 14 सितंबर 2010 और 18 जुलाई 2013 को (उप मुख्यमंत्री) पद पर रहते सदन में प्रस्ताव लाया था. और दोनो बार ही हेमंत सोरेन ने बहुमत साबित किया था.

जिसके बाद 5 सिंतबर 2022 को सियासी उथल पुथल के बीच मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित किया था. उस वक्त हेमंत सोरेन को 81 विधायकों में 48 का सर्मथन मिला था . जबकि भाजपा को सदन बहिष्कार करने के कारण शून्य वोट मिले थे. इस तरह, झारखंड विधानसभा में सबसे अधिक बार विश्वास प्रस्ताव लाने का श्रेय हेमंत सोरेन के नाम है.

झारखंड विधानसभा में अब तक 12 बार हो चुका है फ्लोर टेस्ट

झारखंड विधानसभा में अब तक लाए गए विश्वास प्रस्ताव की बात करें, तो अब तक यहां 12 बार विश्वास प्रस्ताव आ चुका है. वहीं इस साल की बात करें तो सोमवार को इसी साल का दूसरा विश्वास प्रस्ताव हेमंत सोरेन ने पेश किया.

इससे पहले चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री चपांई सोरेन ने पांच फरवरी को बहुमत हासिल किया था. झारखंड विधानसभा में अबतक 12 बार तत्कालीन सरकारों द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव में नौ बार सरकारों ने अपना बहुमत साबित किया.

फ्लोर टेस्ट से पहले इन्होंने दिया था इस्तीफा

झारखंड विधानसभा में प्रस्ताव आने के बाद वोटिंग से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया था. जिसमें सबसे पहला नाम है अर्जुन मुंडा का जन्होंने 4 सितंबर 2006 को बहुमत नहीं होने के कारण वोटिंग से पहले सदन में इस्तीफा की घोषणा कर दी थी.

दूसरा नाम शिबू सोरेन का जिन्होंने 30 मई 2010 को बहुमत नहीं होने के कारण वोटिंग से पहले मुख्यमंत्री पद से ने इस्तीफा दे दिया था. जबकि एक बार शिबू सोरेन को प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति ही नहीं दी गई थी. बताते चलें कि झारखंड विधानसभा में अबतक दो ही बार अविश्वास प्रस्ताव आया है.

सबसे पहले ये लाए थे अविश्वास प्रस्ताव

झारखंड विधानसभा में 17 मार्च 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्टीफन मरांडी और विधायक फुकरान अंसारी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी थी.

लेकिन अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही बाबूलाल मरांडी ने उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में अर्जुन मुंडा, विधायक सीपी सिंह तथा राधाकृष्ण किशोर ने 18 दिसंबर 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया थे, जो अस्वीकृत हो गया था.

जिसमें मधु कोड़ा सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया था.

कब कौन लाया विश्वास प्रस्ताव

एककृति बिहार से अलग राज्य बनने के बाद झारखंड विधानसभा में सबसे पहले राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 23 नंबर 2000 को विश्वास प्रस्ताव लाकर बहुंत साबित किया था. इसके बाद 11 मार्च 2005 को शिबू सोरेन ने विश्वास प्रस्ताव लाया था लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने प्रस्ताव पेश करने की अनुमति नहीं दी थी.

जिसके बाद ठीक चार दिन बाद 15 मार्च 2005 को अर्जुन मुंडा ने विश्वास मत हासिल किया था,और ठीक ढ़ेह साल बाद यानी 21 महीने बाद 14 सिंतबर 2006 को फिर से विधानसभा में विश्वास मत का प्रस्ताव रखा था, उस दौरान बहुमत नहीं होने के कारण सदन में इस्तीफे की घोषण कर दी थी.

ठीक चार दिन बाद यानी 20 सिंतबंर 2006 को मधु कोड़ा ने विधानसभा में प्रस्ताव रखा जहां मधु कोड़ा ने बहुमत साबित किया था.

29 अगस्त 2008 विधानसभा में ( तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री ) स्टीफन मरांडी ने प्रस्ताव रखा था, जहां उनके प्रस्ताव को स्वीकृति भी मिल गया था. जिसके बाद 07 जनवरी 2010 में रघुवर दास (संसदीय कार्य मंत्री) में प्रस्ताव रखा.

30 मई 2010 – सुदेश महतो (उप मुख्यमंत्री) ने प्रस्ताव लाया था हालांकि बहुमत नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.

जिसके बाद हेमंत सोरेन ने दो बार उपमुख्यमंत्री पद पर रहते और एक बार मुख्यमंत्री पद रहते विधानसभा में प्रस्वाव लाया था. जबकि 5 फरवरी 2024 को चंपाई सोरेन ने विश्वास मत सदन में पेश किया था.

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