गढ़वा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो पक्षों के बीच हुआ विवाद, जानिए क्या है पूरा मामला

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Ranchi : झारखंड में त्योहारों के बाद सांप्रदायिक तनाव की खबरें आम हो चली हैं. कभी मूर्ति विसर्जन तो कभी रामनवमी जुलूसू, कभी सरस्वती पूजा तो कभी गणेश चतुर्थी. मौके अलग-अलग हैं लेकिन घटनायें दोहराई जाती है. मामले में राजनीति खूब होती है.

एक आरोप लगाता है तो दूसरा पक्ष इसे सिरे से नकारता है. पुलिस कार्रवाई का भरोसा देती है. बावजूद इसके फिर से 2 समुदाय आमने-सामने आ जाते हैं. अब यही तस्वीर देख लीजिए. नवरात्रि संपन्न हुई और मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा है.

एक ओर विसर्जन जुलूस में शामि श्रद्धालु हैं तो दूसरी ओर भी लोगों का हुजूम उमड़ा है. आरोप है कि दूसरी ओर खड़ी भीड़ ने कथित तौर पर विसर्जन जुलूस को रोकने का प्रयास किया. बवाल काटा. इसकी वजह से सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा हो गया.

अब इस मामले में बीजेपी ने क्या कहा. सरकार ने क्या सफाई दी और पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की है. पूरा मामला आपको विस्तार से समझायेंगे.

यह घटना गढ़वा जिले का बताया जा रहा है. यहां शनिवार की देर शाम मूर्ति विसर्जन की दौरान 2 पक्षों में तनाव हो गया. इतना ही नहीं! आरोप है कि इस दौरान पत्थरबाजी भी की गयी.

घटना में कई लोगों के जख्मी होने का दावा भी किया जा रहा है. इधर, घटना की जानकारी मिलते ही गढ़वा डीसी शेखर जमुआर और एसपी दीपक कुमार पांडेय घटनास्थल पर पहुंचे और रात भर कैंप किया. पुलिस की मौजूदगी में ही आखिरकार दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जा सका. निश्चित रूप से यह अच्छी तस्वीर नहीं थी.

अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विसर्जन जुलूस जैसे ही समुदाय विशेष के मुहल्ले से होकर गुजरी, वहां मौजूद लोगों ने इसे रोक दिया. इस पर दोनों पक्षों में जमकर हंगामा हुआ. गनीमत रही कि ऐन मौके पर गढ़वा उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक दल-बल के साथ वहां पहुंचे और दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर शांत कराया. उनसे यह वादा भी लिया गया कि वे धार्मिक जुलूस के साथ एक-दूसके के मुहल्ले से नहीं गुजरेंगे.

बाबूलाल मरांडी ने क्या कहा 

बहरहाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस पूरे मामले को लेकर ट्वीट कर लिखा कि गढ़वा में एक गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन पिछले 6-7 घंटों से रोक रखा है. पुलिस, विसर्जन रोककर धार्मिक उन्माद फैलाने वाले लोगों पर कारवाई करने की बजाय सिर्फ चिरौरी कर रही है.

उन्होंने झारखंड डीजीपी को टैग करते हुए लिखा कि डीजीपी तुरंत संज्ञान लेकर विसर्जन रोकने वाले लोगों पर कठोर कारवाई करते हुए माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन सुनिश्चित कराएं, अन्यथा क्षेत्र का सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है.

आधी रात को पूर्व विधायक पहुंचे घटनास्थल 

जिसके बाद गढ़वा के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने इस विवाग को लेकर ट्वीट कर लिखा था कि गढ़वा के लखना गांव में मूर्ति विसर्जन को लेकर हुए विवाद की सूचना मिलने के उपरांत मैं स्वयं घटनास्थल पर मौजूद हूं और मामले पर नजर बनाए हुए हूं. हमारी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है. मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन अवश्य होगा.

इन जिलों में भी हो चुका है सांप्रदायिक हिंसा

बहरहाल, इससे पहले लोहरदगा जिले में गणेश पूजा विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प होने की बात सामने आई थी. उस वाकये को शांत हुए कुछ ही दिन बीते कि बीते कल विश्वकर्मा पूजा विर्सजन के दौरान भी असामाजिक तत्वों द्वारा समुदाय विशेष पर हमला करने की घटना घटी.

यह घटना बड़कागांव विधानसभा अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के ठाकुर मुहल्ला की थी जहां विश्वकर्मा पूजा के विसर्जन में जा रहे ठाकुर मुहल्ला के लोगों पर समुदाय विशेष के लोगों ने कथित तौर पर पथराव किया. इस वजह से वहां तनाव हो गया.

अमर बाउरी ने हेमंत पर लगया था बड़ा आरोप 

वहीं इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया के एक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा था कि हिंदुओं पर फिर पथराव की सूचना मिली है! पहले रामनवमी, मोहर्रम, गणपति विसर्जन और अब विश्वकर्मा विसर्जन पर भी पथराव की घटना हुई. अमर बाउरी ने हेमंत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकारी संरक्षण में असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ा है. उन्होंने हजारीबाग डीसी से मामले में तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी.

उन्होंने घटना का पोस्ट शेयर कर लिखा था कि मन बढ़ना किसको कहते हैं? उन्होंने कहा कि समुदाय विशेष के लोग तो पुलिस की मौजूदगी में भी पत्थरबाजी करने से नहीं चूकते. अमर बाउरी ने आरोप लगाया था कि सरकारी स्कूलों तक का इस्तेमाल हिंदुओं पर पत्थरबाजी के लिए किया जा रहा है. उन्होंने बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद पर मामले में चुप्पी साध लेने का आरोप लगाया था.

NCRB रिपोट्स के आंकड़े 

गौरतलब है कि साल 2022 के राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 2 साल में देशभर में सांप्रदायिक हिंसा की 378 घटनाएं हुई हैं. इनमें से झारखंड में सर्वाधिक 100 घटनाएं घटीं. साल 2022 से अब तक झारखंड सांप्रदायिक हिंसा के मामले में टॉप पर रहा.

रामनवमी औऱ मुहर्रम में झारखंड में जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई मामलों में फिलिस्तीनी झंडा लहराने की घटना सामने आई. कांवड़ियों पर समुदाय विशेष द्वारा कथित तौर पर पत्थरबाजी की गयी. हाल में गणेश पूजा और विश्वकर्मा पूजा के दौरान सांप्रदायिक तनाव हुआ.

सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा? सांप्रदायिक हिंसा या तनाव का जिम्मेदार कौन है? किसके इशारे पर इन्हें अंजाम देना चाहता है. क्या वाकई सांप्रदायिक हिंसा की आग में कोई अपनी सियासी रोटियां सेंक रहा है.

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