झारखंड

झारखंड की कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं चाईबासा संप्रेक्षण गृह से भागे बाल बंदी!

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झारखंड में आज जितनी बेहतर कानून व्यवस्था है, अतीत में इतनी अच्छी कभी नहीं रही.

यही कहा था न राज्य के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने. उनके उक्त बयान के 1 सप्ताह भी नहीं बीते थे कि चाईबासा बाल सुधार गृह से 21 बाल बंदी भाग गये. इन बाल बंदियों ने सुधार गृह के भीतर जमकर तोड़-फोड़ मचाई.

सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमला किया और गेट तोड़कर भाग निकले. तो झारखंड के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर के हिसाब से इससे बेहतर कानून व्यवस्था प्रदेश में कभी नहीं थी.

बाल बंदियों ने कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ा दिया
दिनदहाड़े, बाल सुधार गृह के भीतर तोड़फोड़ मचाकर, सुरक्षाकर्मियों पर हमला करते हुए बाल बंदी लोहे का मजबूत दरवाजा तोड़कर भाग निकलते हैं,

जाहिर है कि इससे बेहतर कानून व्यवस्था और क्या हो सकती है. क्योंकि, वित्तमंत्री ने कहा था कि झारखंड में इससे बेहतर कानून व्यवस्था पहले कभी नहीं थी, उन्होंने यह थोड़ी कहा था कि ये व्यवस्था किसके लिए बेहतर है.

उन्होंने स्पष्ट तो नहीं किया था कि कानून व्यवस्था बेहतर किनके लिए है. जनता के लिए या अपराधियों के लिए. इसलिए, वित्तमंत्री अपने उस बयान में टेक्निकली गलत तो नहीं थे. अपराधियों का जहां मन हो गोली चला दे. जिसकी चाहे हत्या कर दे. लुटेरे पूरी दुकान लूट जाएं. दरिंदे महिलाओं की आबरू लूटें औऱ उनको मार डालें. और तो और, राजधानी रांची में बीच सड़क खुलेआम फायरिंग करने की आजादी हो तो फिर इससे बेहतर कानून व्यवस्था और क्या हो सकती है. फिर दोहरा रहा हूं.

वित्तमंत्री ने स्पष्ट नहीं किया था कि वे किनके लिए कानून व्यवस्था बेहतर होने की बात कर रहे थे. जनता के लिए या अपराधियों के लिये.

चाईबासा बाल सुधार गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
आप इस वीडियो को जरा दोबारा गौर से देखिए न. ये जो सामने बिल्डिंग दिखाई पड़ रही है वह चाईबासा का बाल सुधार गृह है.

18 साल से कम उम्र के वैसे किशोर और बच्चे जिन्होंने किसी आपराधिक वारदात को अंजाम दिया है, उनको सजा देने या कह लें कि उनकी काउंसिलिंग कर सुधरने का मौका देने के लिए यहां रखा जाता है.

अब गौर से देखिए कि बिल्डिंग के सामने जो पक्की सड़क गुजरती है वहां लोगों का मजमा लगा है. वे लोग यहां वित्तमंत्री के सबसे बेहतर कानून व्यवस्था का नजारा देखने को बेताब खड़े हैं.

दो पुलिसकर्मी हैं जो बिल्ड़िंग के मुख्य द्वार पर लगे मोटे लोहे के दरवाजे को थामे रखने की भरसक कोशिशों में लगे हैं. दरवाजे के पीछे से बहुत सारी आवाजें आ रही है. चीखने-चिल्लाने की. दरवाजा पीटने की. तोड़फोड़ की. यहां पूरी अफरा-तफरी है. जो 2 पुलिसकर्मी दरवाजा थामे खड़ा है उनमें से एक हैरान परेशान से भीड़ की ओर जाता है और फिर बाइक में बैठकर कहीं निकल जाता है.

संभवत वरीय अधिकारियों को कोई जरूरी सूचना देने के लिए. एक पुलिसकर्मी वहीं दरवाजे को थामे खड़ा है लेकिन कब तक? आखिरकार दरवाजा टूट जाता है और बाल बंदियों की पूरी भीड़ भाग निकलती है. वे पहले सड़क पर आते हैं और फिर अलग-अलग दिशाओं में भागने लगते हैं. सूचना है कि 21 बाल बंदी भागे थे. 4 वापस लौटे. 17 को ढूंढ़ा जा रहा है.

आप अंदाजा लगाइये कि इनमें से कितने बाल बंदी गंभीर आपराधिक मामलों में सजायाक्ता होंगे. जब वे लोग यूं भागकर समाज के बीच जाएंगे तो क्या असर होगा. कहीं किसी आपराधिक संगठन के संपर्क में आ गये तो. आशंकाएं और संभावनाएं दर्जनों है लेकिन व्यवस्था को क्या. वित्तमंत्री तो बैठे ही हैं इससे अतीत में सबसे बेहतर होने का सर्टिफिकेट देने.

मंगलवार की शाम को आपसी विवाद के बाद भागे बाल बंदी
घटना मंगलवार की शाम को घटी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक शाम को करीब साढ़े 6 बजे बाल सुधार गृह के प्रांगण में खेल रहे बाल बंदी आपस में भिड़ गये.

बात कहासुनी से शुरू हुई जो बहुत जल्द झड़प में तब्दील हो गयी.

उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि यहां कुल 85 बाल बंदी थे जिनमें से 21 इस झड़प का फायदा उठाकर भाग निकले. भागने से पहले उन्होंने बाल सुधार गृह के भीतर जमकर बवाल काटा. कुर्सियां तोड़ दी. बर्तनों को फेंका. सीसीटीवी कैमरे को नुकसान पहुंचाया. सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमला किया और फिर लोहे का मजबूत दरवाजा तोड़कर भाग निकले.

आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि ये कितनी खतरनाक बात है. यदि इनमें से एक भी बाहर ही रह गया. असामाजिक तत्वों से जाकर मिल गया तो क्या होगा.

उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही
उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि इस घटना के पीछे जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी.

जाहिर है कि कार्रवाई होगी.

कार्रवाई होनी भी चाहिए लेकिन सवाल है कि मौजूदा सरकार में इस तरह की घटना होती ही क्यों है. क्यों पुलिस प्रशासन अपराधियों के सामने बेबस नजर आता है. क्या वजह है कि आपराधिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही. क्यों हर रोज कोई न कोई जिला फायरिंग की आवाज से थर्रा जाता है. लूट, रेप, छिनतई की घटनाएं बदस्तूर जारी है. कौन जिम्मेदार है?

कार्रवाई अलग बात है और आपराधिक वारदातों के कम होने का सिलसिला दूजी बात. यदि कार्रवाई के बावजूद आपराधिक वारदात कम नहीं हो रहे तो जाहिर है कि अपराधियों में कानून का डर खत्म हो गया है. उनको यह विश्वास हो चला है कि मंत्रीजी की बेहतर कानून व्यवस्था में उनको कोई क्या ही बिगाड़ लेगा. जेल गये भी तो भाग जायेंगे जैसे चाईबासा बाल सुधार गृह से भाग गये. ऐसी घटनाएं तो अपराधियों के लिए प्रेरणा बनती है.

किसी दिन होटवार जेल में बंद कैदियों को लगेगा कि यदि बाल बंदी भाग सकते हैं तो हम क्यों नहीं. तब फिर क्या होगा. ये तो पुलिस के लिए आत्ममंथन का समय है कि अपराध पर लगाम कैसे लगेगा.

भाजपा ने चाईबासा बाल सुधार गृह पर पूछे तीखे सवाल
मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस घटना पर हेमंत सोरेन सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं.

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने चाईबासा बाल सुधार गृह से बाल कैदियों के भाग जाने की घटना को सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक माना है. उन्होंने कहा कि जहां भटके हुए किशोरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम होना चाहिए, वहां इस घटना ने दर्शाया है कि बाल सुधरा गृह का संचालन महज खानापूर्ति है.

बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से कहा है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. फरार बाल बांदियों को वापस लाकर काउंसिलिंग की जानी चाहिए. उन्होंने भी यह बात दोहराई है कि बाल गृह से भागे ये बंदी समाज में खतरा बन सकते हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इसे शासन-प्रशासन की विफलता का परिणाम बताया है. घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

चाईबासा बाल सुधार गृह में वापस लौटे आये 4 बाल बंदी
बताय जा रहा है कि कल शाम जैसे ही चाईबासा बाल सुधार गृह से बाल बंदियों के भागने की सूचना मिली, प्रशासन हरकत में आया. घटना के तुरंत बाद प्रशिक्षु आईपीएस निखिल राय, एसडीपीओ बहामन टूटी, एसडीए संदीप अनुराग टोपनो, सदर सीओ उपेंद्र कुमार और मुफ्फसिल थाना प्रभारी रंजीत उरांव बाल सुधार गृह पहुंचे.

भागे हुए बाल बंदियों की तलाश की जा रही है.

अब जब यह वीडियो रिकॉर्ड कर रहे हैं, उस समय तक 17 बाल बंदियों की तलाश जारी थी. सवाल तब भी रहेगा कि प्रशासन पहले ही क्यों मुस्तैद नहीं रहता. कैसे बाल बंदियों ने पूरी सुरक्षा व्यवस्था को धता बता दिया. कैसे सिक्योरिटी ब्रीच टूट गया. इस घटना ने झारखंड के बाकी बाल सुधार गृहों की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

सरकार को जल्द निपटना होगा.

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