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बैजनाथ राम ने पत्नी को उतारा चुनावी मैदान में, इंडिया गठबंधन में मच गया बवाल !

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झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर रोजना नए समीकरण देखने को मिल रहे हैं. भले ही सभी पार्टियों ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है.लेकिन मैदान में निर्दलीय प्रत्याशियों का उतरना अब तक जारी है. कुछ निर्दलीय प्रत्याशी गठबंधन के साथ बगावत करते नजर आ रहे हैं. इसी क्रम में लातेहार से झामुमो विधायक और झामुमो प्रत्याशी बैद्यनाथ राम भी इंडिया गठबंधन के बगावती तेवर दिखा रहे हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बैद्यनाथ राम ने कांके विधानसभा सीट से अपनी पत्नी सीमा राय को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनावी मैदान में उतार दिया है. जबकि इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के झोली में गई है और कांग्रेस ने सुरेश बैठा को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में होने के बावजूद बैद्यनाथ राम ने अपनी पत्नी को निर्दलीय चुनाव में उतार दिया है. कांके सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक जीतू चरण राम को टिकट दिया है. अब सीमा राय के निर्दलीय चुनाव में उतरने से कांके सीट में मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर आ गया है.

सीमा राय के नामांकन से उठे सवाल 

कांके विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली सीमा राय का नामांकन को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं,चूंकि बैजनाथ राम का नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्टार प्रचारकों में से शामिल हैं, और उनकी पत्नी का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरना गठबंधन की रणनीति पर असर डाल सकता है। इसके साथ ही, आगे अब यह भी देखना होगा कि बैजनाथ राम अपने दल झामुमो और इंडिया गठबंधन के प्रति वफादारी बनाए रखते हैं ,कांके से सुरेश बैठा के लिए प्रचार करते हैं या पत्नी सीमा राय के समर्थन में प्रचार –प्रसार कर वोट मांगते हैं। इंडिया गठबंधन के भीतर इस मुद्दे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बैजनाथ राम, जो झामुमो के वरिष्ठ नेता हैं, अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता के बजाय अपने परिवार का समर्थन करेंगे। उनके पास झामुमो के प्रचारक होने के चलते एक प्रमुख जिम्मेदारी है, लेकिन अपनी पत्नी का निर्दलीय चुनाव में उतरना उनके निर्णय को प्रभावित कर सकता है.

कांके सीट का इतिहास 

कांके विधानसभा सीट पर लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा है. 2005 में भाजपा से रामचंदर बैठा जीते.2009 में रामचंदर बैठा ने भाजपा के टीकट से दूसरी बार जीत हासिल की. 2014 में भाजपा से डॉ जीतू चरण राम ने जीत हासिल की .2019 के चुनाव में भाजपा से ही समरी लाल जीते थे. 2005 को छोड़ दें तो 2009,2014 और 2019 के चुनाव में सुरेश बैठा लगातार दूसरे नंबर पर रहे हैं. इस बार भी कांग्रेस ने सुरेश बैठा पर ही भरोसा जताया है लेकिन अब बैद्यनाथ राम ने पत्नी सीमा राय को मैदान में उतार कर एक बार फिर सुरेश बैठा का खेल बिगाड़ दिया है. सीमा राय कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हो सकती है हैं.

सीमा राय के निर्दलीय चुनाव में उतरने के बाद कांके विधानसभा का चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है। बैजनाथ राम का फैसला जो भी हो, चाहे वह अपनी पत्नी के पक्ष में प्रचार करें या गठबंधन धर्म का पालन कर कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार करें, उनकी राजनीतिक छवि पर गहरा असर पड़ने वाला है.

अब आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बैजनाथ राम किसके पक्ष में प्रचार करते हैं और उनके इस कदम का महागठबंधन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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