बीते कल झारखंड के शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी को कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने योगेंद्र तिवारी के जमानत याचिका को खारिज कर दिया. शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने तिवारी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. पीएमएलए की विशेष अदालत ने शनिवार को योगेंद्र तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के बाद यह फैसला सुनाया है.
पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने शराब घोटाला मामले के आरोपी योगेंद्र तिवारी की जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी. योगेंद्र तिवारी की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया और रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता विक्रांत सिन्हा ने बहस की.
प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड में हुए शराब घोटाले में करीब 40 करोड़ की मनी लांड्रिंग के आरोप में योगेंद्र तिवारी को 19 अक्टूबर को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था.
योगेंद्र तिवारी पर न केवल मनी लॉन्ड्रिंग का आऱोप है, बल्कि परिवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की जासूसी करने का भी आरोप लगा है. तिवारी को 20 अक्टूबर को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया था. जहां पर उसे रिमांड पर भेज दिया गया था. इडी ने कुल 14 दिनों तक रिमांड पर लेकर योगेंद्र तिवारी से पूछताछ की थी. रिमांड अवधि खत्म होने के बाद योगेंद्र को अदालत में पेश किया गया. जहां से न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, रांची भेज दिया गया.
दैनिक अखबार प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार , प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शराब घोटाला मामले में योगेंद्र तिवारी के खिलाफ पीएमएलए कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया. इस आरोप पत्र में ईडी ने योगेंद्र तिवारी पर आरोप लगाया कि तिवारी ने बालू और जमीन के कारोबार से हुई कमाई का 14से 15 करोड़ रुपये शराब के व्यापार में लगाया है. साथ ही योगेंद्र तिवारी पर यह भी आरोप लगा है कि उसने सबूत मिटाने के लिए व्यापारिक परिसर से आवश्यक दस्तावेज हटाए है.
आरोप पत्र में कहा गया है कि योगेंद्र तिवारी व उससे संबंधित ग्रुप का बालू, जमीन और शराब का व्यापार है. उसने बालू के कारोबार में लाइसेंस में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करते हुए बालू का स्टॉक किया. वहीं योगेंद्र तिवारी से संबंधित व्यापारिक प्रतिष्ठानों में निवेश के लिए शेल कंपनियों का सहारा लेने और इस बिंदु पर जांच जारी रहने की बात कही गयी है. आरोप पत्र में यह भी कहा गया कि योगेंद्र तिवारी ने राजनीतिज्ञों और अफसरों के सहारे वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्रुप बना कर शराब के कारोबार पर 19 जिलों में एकाधिकार कायम किया था. उसने अपने कर्मचारियों के नाम पर भी कंपनियां बनायीं थी. इन कंपनियों के नाम पर खाता खोले गये और उसमें बालू से हुई नाजायज कमाई के पैसे डाले गये.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ईडी की ओर से पूछताछ के दौरान योगेंद्र तिवारी एक जगह से बैंक ड्राफ्ट बनाने से संबंधित सवाल पर संतोषप्रद जवाब नहीं दे सका था. साथ ही ड्राफ्ट बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए रूपयों के वैध स्रोत की जानकारी भी उसने नहीं दी थी.
ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र में शराब घोटाले में राजनीतिज्ञों व अफसरों की भूमिका की जांच जारी रहने का उल्लेख किया गया है