Ranchi: झारखंड विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. सभी सदस्यों के द्वारा जनहित समस्या को लेकर सदन में सवाल उठाया जाता है. बगोदर विधानसभा के विधायक विनोद सिंह के अल्पसूचित प्रश्न का मंगलवार को सदन में सरकार के द्वारा जवाब दिया गया. राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पद को जल्द ही भरा जाएगा. शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विश्वविद्यालयों से आरक्षण रोस्टर क्लीयर करने का आदेश दिया गया है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय से रिपोर्ट भी आ चुका है. इस जवाब को प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सदन में भाकपा माले विधायक विनोद सिंह को दी है.
शिक्षकों की नियुक्ति कि प्रक्रियाधीन
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा है कि राज्य के विश्वविद्यालयों के मुख्यालय और अंगीभूत कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय को इकाई मानकर आरक्षण रोस्टर क्लियरेंस की शोध निदेशक की राज्य में कमी नहीं है. शिक्षकों के नियुक्ति की प्रक्रियाधीन है. सरकार ने माना है कि विश्वविधालय में शिक्षकों के 40 प्रतिशत पद खाली है.
घंटी आधारित शिक्षक नहीं तो रिक्त पदों का और भी बढ़ सकता है प्रतिशत
विधायक विनोद सिंह ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय में स्थिति और भी खराब है. उन्होंने कहा है कि घंटी आधारित शिक्षक है, नहीं तो रिक्त पदों का और भी प्रतिशत बढ़ सकता है. UGC के गाइडलाइन्स के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिए यह मानक तय किया गया है कि वह कितने अभ्यर्थियों को शोध करा सकते हैं, लेकिन इस मानक का पालन नहीं हो रहा है. माले विधायक विनोद सिंह ने यह भी कहा है कि राज्य के विश्वविधालयों में 300 से ज्यादा JRF पास अभ्यर्थीयों को शिक्षकों के अभाव में रिसर्च निदेशक नहीं मिल रहे हैं.
शोध निदेशक की राज्य में कमी नहीं: मंत्री
मंत्री ने सदन में जानकारी दी है कि रांची विश्वविधालय में JRF पास 142 अभ्यर्थी हैं और इनके विरुद्ध 92 रिसर्च निदेशक है. इसी प्रकार अन्य विश्वविद्यालय में भी स्तिथि काफी बेहतर है. शोधार्थियों को कोई परेशानी नहीं है. वहीं, विनोबा भावे विश्वविद्यालय में JRF पास अभ्यर्थियों की संख्या 88 है, जबकि शोध निदेशक 42 है. सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविधालय में JRF पास अभ्यर्थीयों की संख्या 63 है. शोध निदेशक की राज्य में कमी नहीं है.
सत्र में दिए गए आश्वासन का हो पालन: स्पीकर
बजट सत्र के दौरान स्पीकर रबिन्द्रनाथ महतो ने कहा कि सत्र में सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन का पालन होना चाहिए. आश्वाशनों को अधिकारी किस हिसाब से लेते हैं. यह बातें अल्पसूचित प्रश्न पर सरकार के उत्तर के दौरान कही है.
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