कोडरमा सीट से भाजपा फिर से अन्नपूर्णा देवी को देगी टिकट ?

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झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरु कर दी गई है.झारखंड में भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने सभी 11 सीटों को बचाए रखने की पूरी कोशिश करेगा. जिसमें से कोडरमा सीट भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है. झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से एक सीट कोडरमा लोकसभा भी है.कोडरमा फिलहाल भाजपा की झोली में है. कोडरमा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटे हैं. कोडरमा,बरकट्टा ,धनवार, बगोदर, जमुआ और गांडेय विधानसभा कोडरमा लोकसभा के अंतर्गत ही आते हैं.

कोडरमा लोकसभा में मजबूत दावेदारों की बात करें तो रिपोर्ट्स बताते हैं कि कोडरमा में भाजपा की पकड़ काफी मजबूत है. कोडरमा से भाजपा का रिश्ता काफी गहरा है. कोडरमा लोकसभा सीट से भाजपा के इतिहास पर नजर डालें तो कोडरमा में कुल 6 बार भाजपा ने कब्जा जमाया है. इसकी शुरुआत साल 1989 में हुई. साल 1989 में भाजपा ने कोडरमा में अपना खाता खोला. 1989 में भाजपा से आरएलपी वर्मा जीते, वहीं साल 1996 में आरएलपी वर्मा ने एक बार और अपने जीत का परचम लगराया और यह सीट भाजपा की झोली में गई. 1998 में आरएलपी वर्मा ने कोडरमा सीट से तीसरी बार जीत हासिल की साथ ही भाजपा की भी पकड़ कोडरमा सीट पर बेहद मजबूत हो गई. फिर साल 2004 में कोडरमा सीट से बाबूलाल मरांडी से भाजपा को जीत दिलाई, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से रवींद्र कुमार रे ने कोडरमा फतह किया और साल 2019 में भाजपा से अन्नपूर्णा देवी ने लगातार दूसरी बार भाजपा को जीत दिलाई. अब 2024 में भाजपा कोडरमा से जीत में हैट्रिक की पूरी तैयारी में है.

फिलहाल कोडरमा सीट से 2024 के चुनाव में भाजपा के तरफ से वर्तमान सांसद अन्नपूर्ना देवी को कोई टक्कर देते नहीं दिख रहा है. बता दें 2019 के चुनाव से पहले अन्नपूर्णा देवी राजद से चार बार कोडरमा की विधायक थी. अन्नपूर्णा देवी वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हो गयीं. भाजपा ने उन्हें कोडरमा लोकसभा से टिकट भी दिया और साढ़े चार लाख वोटों के अंतर से भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष व तत्कालीन झाविमो उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी को शिकस्त दी. 2024 में भाजपा फिर से अन्नपूर्णा देवी पर दांव खेल सकती है.

वहीं कोडरमा सीट से कांग्रेस का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है. 1977 से आजतक कांग्रेस ने सिर्फ दो बार ही कोडरमा सीट से जीत हासिल की है. साल 1984 में तिलकधारी सिंह ने कोडरमा से कांग्रेस को जीत दिलाई थी. वहीं साल 1999 में फिर से तिलकधारी सिंह ने ही यहां से कांग्रेस को जीत दिलाई. 1999 के बाद आज तक कांग्रेस कोडरमा में फिर से एंट्री नही ले पाई है. वहीं कोडरमा लोकसभा के 6 विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस कहीं दिखाई नहीं देती है. जबकि दो सीटों कोडरमा और जमुआ में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है.

रिपोर्ट् की मानें तो पिछले चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पाले में आई थी लेकिन कांग्रेस ने यह सीट झाविमो को दिया था.लेकिन पिछले चुनाव से अब तक में झारखंड में राजनीतिक पार्टियों में बहुत फेर बदल हुए हैं. पिछले चुनाव में बाबूलाल झाविमो में थे लेकिन अब बाबूलाल भाजपा में हैं, तो अब कयास लगाए जा रहे हैं कि झामुमो कोडरमा सीट कांग्रेस से लेकर अपने पाले में करने की कोशिश कर सकता है. रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा अब झामुमो में शामिल हो गए हैं तो राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 के चुनाव में झामुमो जयप्रकाश वर्मा पर दावं लगा सकता है.

फिलहाल झारखंड की राजनीतिक गलियारों में कयासों के बाजार काफी गर्म हैं लेकिन अंतिम फैसला तो पार्टी आलाकमान का ही होगा. पार्टी आलातकमान के तरफ से फासला आने के बाद ही पता चल पाएगा कि किसे कहां से टिकट मिल रहा है और किसका कहां से टिकट कट रहा है.

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