केंद्र पैसा नहीं देता, कैसे करें झारखंड का विकास; वित्त मंत्री ने रोया दुखड़ा

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केंद्र जो हमें पैसा देता है वह झारखंड के हक का है. केंद्र सरकार झारखंड को भीख में नहीं देती. ये बातें में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है. दरअसल, विधानसभा में झारखंड मेंमूल बजट पर चर्चा के दूसरे दिन बुधवार को वित्त मंत्री ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र को झारखंज 16961.35 करोड़ अनुदान का भुगतान करना था पर,केंद्र ने अब तक सिर्फ 5736.27 करोड़ रूपए का ही भुगतान किया है.

आगे कहा कि केंद्र ने इस वित्तीय वर्ष में अनुदान की राशि का 11000 करोड़ झारखंड को नहीं दिया. 2019 के बाद हर वित्तीय वर्ष में केंद्र धीरे धीरे अनुदान की राशि में कटौती कर रहा है. इसके अलावे वित्त मंत्री ने कहा कि जलजीवन मिशन के लिए 12 हजार करोड़ की जरूरत है. केंद्र को इसके लिए छह हजार करोड़ की राशि देनी है. उसका भी केंद्र ने भुगतान नहीं किया है.

इसके अलावे उन्होंने बताया कि विपक्ष के साथी बार बार पूछते हैं कि 450 रूपए में गैस सिलेंडर कब देंगे. उन्हें बताना चाहिए कि उज्जवला योजना के तहत 38.44 लाख करोड़ की लगात से जो पैसे खर्च किए , वो चूल्हा काम कर रहा है या नहीं. हमारी मंईयां सम्मान योजना रेवड़ी नहीं है. ये प्रमाणित हो गया कि उज्जवला योजना चुनाव जीतने के लिए थी.

मंईयां योजना के लिए दूसरे विभाग के बजट नहीं कटेंगे

वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि मंईयां योजना के लिए अन्य विभाग की राशि काटने की जरूरत सरकार को नहीं पड़ेगी.  इस वित्तीय वर्ष में सरकार रिवेन्यू कलेक्शन करीब 85 फीसदी तक करेगी. जबकि भाजपा की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019 20 में रिवेन्यू कलेक्शन किया गया था. वह सिर्फ 65.45 प्रतिशत ही था.  वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा की सरकार कभी नहीं चाहती थी कि झारखंड में अनुसूचित जाति का विकास हो.

उन्होंने कहा कि झारखंड में अनुसूचित जातियों के हक की बात करने वाली भाजपा सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग के घरों में जाकर खाना खाने तक ही सीमित है.  2008 में ही अनुसूचित जाति एडवाइजरी काउंसिल का गठन हुआ था. पर वो सिर्फ संचिका तक ही सीमित था.  2014 -19 में भी रघुवर दास की सरकार के दौरान अनुसूचित जाति एडवाइजरी काउंसिल को एक्टिवेट करने की बात करते रहे पर कुछ नहीं हुआ.

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