रविवार को छत्तीसगढ़ में 31 नक्सली मारे गए. इनमें 11 महिला माओवादी भी शामिल थीं.
मारे गए 31 नक्सलियों में से अब तक 5 की पहचान हो चुकी है. इनमें एक बस्तर डिवीजन का सचिव हुंगा कर्मा था जो पहले भी सुरक्षाबलों पर हुए हमलों में शामिल रहा था.
छत्तीसगढ़ में नक्सल रोधी ऑपरेशन में इस मुठभेड़ को एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है हालांकि, इसमें सुरक्षाबलों को अपने 2 जवान भी खोने पड़े. बीजापुर के एसपी जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड के हेड कांस्टेबल नरेश ध्रुव और एसटीएफ के कांस्टेबल बासित रावते शहीद हो गए.
गौरतलब है कि यह मुठभेड़ बीजापुर जिला के अबूझमाड़ जंगल के इंद्रावती नेशनल पार्क एरिया में हुआ था जो काफी दुर्गम है.
एक साथ 31 नक्सलियों को मार गिराने की घटना को सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है. मुठभेड़ के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में नक्सलवाद का समूल खात्मा कर दिया जाएगा. इन बयानों के बीच अब बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी के हवाले से अबूझमाड़ के घने जंगलों में हुई इस मुठभेड़ की पूरी कहानी सामने आई है.
आईजी सुंदरराज पी ने यह भी बताया है कि आखिर कैसे छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को एंटी नक्सल ऑपरेशन में इतनी कामयाबी मिल रही है. क्या कारण है कि बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए हैं. कैसे तेजी से माओवादी संगठन सीमित होता जा रहा है.
उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से पूरी जानकारी दी है जो हम आपके लिए यहां लाए हैं.
शुक्रवार को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि शुक्रवार को बीजापुर जिला में अबूझमाड़ के जंगलों में माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी.
जानकारी मिली थी कि कम से कम 41 नक्सली इंद्रावती नेशनल पार्क एरिया में मौजूद हैं.
सूचना की पुष्टि होने पर शुक्रवार को ही डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड, स्पेशल टास्क फोर्स और बस्तर फाइटर्स की ज्वॉइंट टीम ने ऑपरेशन लॉन्च किया.
जवान, इलाके में घुसे लेकिन यहां कई समस्याएं हैं. मसलन अबूझमाड़ का जंगल काफी घना और दुर्गम है. इतना घना की सूरज की रोशनी भी जमीन तक नहीं आती. दूसरी मुश्किल यह थी कि जंगल में कोई फॉरवर्ड बेस कैंप नहीं था. तीसरी मुश्किल यह भी थी कि नजदीकी थाना भी कम से कम 35 किमी दूर था. इसका मतलब यह हुआ कि यदि ऑपरेशन के दौरान टीम को नुकसान हुआ तो तेजी से रिइंफोर्समेंट नहीं आ सकता. रसद और हथियार नहीं पहुंचाए जा सकते. घिर गए तो वहां से निकलना मुश्किल.
इतिहास गवाह है कि कैसे नक्सलियों ने सुरक्षाबलों की बड़ी-बड़ी टीमों को एंबुस में फंसाया है.
खैर! बावजूद इसके सुरक्षाबल के जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया. हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 2 जवान भी शहीद हो गए. आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि यह मुख्य रूप से एक जमीनी ऑपरेशन था जहां डीआरजी, एसटीएफ और बस्तर फाइटर्स के जवान पूरे 60 किमी तक घने जंगल में पैदल चले. मुठभेड़ पूरे 48 घंटे तक चला जो काफी थका देने वाला होता है.
उन्होंने बताया कि बेहतर फील्डक्राफ्ट और रणनीति की बदौलत ये संभव हो पाया. बस्तर रेंज के आईजी ने कुछ प्रमुख कारण भी गिनाए जिसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में माओवादियों की कमर टूटी है.
अबूझमाड़ के जंगल में एंटी नक्सल ऑपरेशन की चुनौती
आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि अबूझमाड़ के जंगलों में एंटी नक्सल ऑपरेशन सुरक्षाबलों के लिए हमेशा ही बड़ी चुनौती रही है.
दुर्गम जंगल, भुल-भुलैया वाले रास्ते. पहाड़ नदी और पठारी इलाका नई-नई चुनौतियां पेश करता है.
उन्होंने बताया कि पहले अक्सर बड़े माओवादी नेता मुठभेड़ के दरम्यान स्थानीय ग्रामीणों और कैडर्स को ढाल बनाते थे. अक्सर स्थानीय कैडर्स ही मारे जाते थे. ग्रामीणों को भी नुकसान होता था.
वे मुठभेड़ के दौरान दुर्गम जंगलों का फायदा उठाकर भाग निकलते थे लेकिन अब समय बदला है.
हमारे पास बेहतर रणनीति, सुविधा और तकनीक है. लोकल कैडर्स भी अब बड़े माओवादी नेताओं के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाने को तैयार नहीं हैं.इसकी वजह यह भी है कि बड़े माओवादी नेता स्थानीय न होकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या महाराष्ट्र के हैं. माओवादियों को स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग नहीं मिलता. इससे भी एंटी नक्सल ऑपरेशन अपेक्षाकृत आसान हो गया है.
जिसकी बानगी हाल के दिनों में मिली कामयाबी में दिखती है.
उन्होंने बताया कि 2023 के बाद से एक के बाद एक लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन से माओवादियों की कमर टूटी है. संगठन सीमित इलाके में सिमट गया है. बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा से भी जुड़ रहे हैं.
मारे गए नक्सलियों के पास मिला हथियारों का ये जखीरा
गौरतलब है कि रविवार को न केवल 31 नक्सली मारे गए बल्कि बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद किया गया है. सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ वाली जगह से 1 एके-47, 3 मैगजीन और 56 कारतूस, 2 एसएलआर राइफल, 2 मैगजीन और 6 कारतूस, एक इंसास राइफल, 1 मैगजीन, एक 303 राइफल, 1 मैगजीन और 2 कारतूस, एक 315 बोर राइफल, 13 बोर बंदूक और 8 राउंड कारतूस, 6 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर और 14 गोले, 4 थूथन लोडिंग राइफल और 9 आईईडी बम बरामद किया है.
आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इस बार नक्सलियों के पास से पिछली बार के मुकाबले बड़ा बैरल ग्रेनेड लॉन्चर मिला है. हाल ही में इसका इस्तेमाल पुलिस कैंप पर हमला करने के लिए किया गया था.
पिछले 14 महीने में मुठभेड में करीब 300 नक्सली मारे गए
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2024 से लेकर 20 जनवरी 2025 तक 13 महीने में सुरक्षाबलो के साथ मुठभेड़ में 240 माओवादी मारे गए थे. इनमें 25 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये के इनामी नक्सली तक शामिल हैं.
इनमें 1 करोड़ का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपती भी शामिल है. इस दौरान 10 बड़ी मुठभेड़ हुई. बीते रविवार को 31 नक्सली मारे गए. इससे पहले 4 अक्तूबर 2024 को भी सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया था.
केवल वर्ष 2025 की बात करें तो 4 जनवरी को अबूझमाड़ में 1 महिला नक्सली सहित 5 नक्सली मारे गए.
9 जनवरी को 3, 12 जनवरी को 5, 16 जनवरी को 18, 21 जनवरी को 16, 4 फरवरी को 8 और 9 फरवरी को 31 नक्सली मारे गए. 6 जनवरी को आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आने से 8 डीआरजी जवान शहीद हो गए वहीं 9 फरवरी को 2 जवान शहीद हो गये.