बेरमो विधानसभा सीट में एक बार फिर भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला होने के आसार हैं. हालांकि, जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम के चुनावी मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
बेरमो लंबे समय से कांग्रेस के कब्जे में है.
बेरमो विधानसभा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां से कुमार जयमंगल सिह उर्फ अनूप सिंह विधायक हैं.
पूर्व मंत्री सह इंटक महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके बड़े बेटे कुमार जयमंगल ने नवंबर 2020 के उपचुनाव में भाजपा के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल को हराकर यह सीट जीती और पहली बार बेरमो के विधायक बने.
बेरमो में त्रिकोणीय होगा मुकाबला
अब 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर अनूप सिंह पर ही भरोसा जता सकती है इसकी प्रबल संभावना है.
हालांकि जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम के मैदान में होने से बेरमो में भी मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना जताई जा रही है. लेकिन बेरमो में इंडिया गठबंधन के बीच तालमेल बैठता नहीं दिख रहा है.
बेरमो सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी ने भी बेरमो से चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश कर दी है.
हालांकि अब टिकट किस पार्टी के दावेदार को मिलेगा ये आलाकमान के फैसले पर ही निर्भर करेगा.
भाजपा से कई दावेदार
भाजपा से भी बेरमो के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की लंबी कतार लगी है.
इसमें पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय का नाम भी सबसे ऊपर है.
इसके अलावा पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल भी फिर से मैदान में उतरना चाहते हैं.
सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डायरेक्टर प्रकाश कुमार सिंह भी टिकट के लिए रांची और दिल्ली की दौड़ लगा रहे है. इसके अलावा देवीदास सिंह, ओमप्रकाश सिंह उर्फ टीनू सिंह, अर्चना सिंह और गिरिजा देवी के नाम की भी चर्चा है.
गिरिजा देवी बेरमो प्रखंड की प्रमुख और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष भी हैं. यहां की राजनीति में इनकी अपनी पकड़ और पहचान है.
साथ ही जनता के बीच पकड़ मजबूत मानी जाती है. अब देखना यह दिलचस्प है कि आधा दर्जन से अधिक दावेदारों में पार्टी नेतृत्व किस पर दांव खेलेगी और कौन टिकट लेकर चुनावी जंग में उतरने में कामयाब हो पाएगा.
जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम से बेरमो में प्रत्याशी उतारने से मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा.
रिपोर्ट्स की मानें तो जयराम महतो बेरमो से कमलेश महतो को टिकट देने की तैयारी में हैं.कमलेश महतो जेएलकेएम के गिरिडीह लोकसभा प्रभारी भी हैं.
इसके अलावा सीपीआई नेता आफताब आलम खान भी पार्टी टिकट पर चुनाव मैदान में दिख सकते हैं.
बेरमो सीट का इतिहास
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बेरमो विधानसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो-
साल 2005 में यहां से भाजपा के योगेश्वर महतो जीते. उन्होंने कांग्रेस के राजेद्र प्रसाद सिंह को हराया था.
2009 के चुनाव में बेरमो से कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह जीते.
2014 के चुनाव में योगेश्वर महतो भाजपा की टिकट से एक बार फिर जीते.
2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से राजेंद्र प्रसाद सिंह जीते.
2020 के उपचुनाव में अनूप सिंह कांग्रेस के टिकट पर जीत कर विधायक बने.
अब 2024 में बेरमो से कौन बाजी मारेगा ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.