चंपाई सोरेन ने बीजेपी में आते ही बड़ा ऐलान कर दिया. चंपाई सोरेन ने कहा कि झारखंड का विकास उनकी हमेशा से पहली प्राथमिकता रही है. आगे इसी दिशा में काम करेंगे.
बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हो रहे चंपाई सोरेन ने कहा कि मैंने पहले ही कह दिया था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकना मेरी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा.
चंपाई सोरेन ने कहा कि पार्टी नेतृत्व द्वारा उनको जो भी दायित्व सौंपा जायेगा उसका ईमानदारी से निर्वहन करेंगे. इससे पहले भी 29 अगस्त को चंपाई सोरेन ने कहा था कि मेरा कोई प्लान नहीं है. बीजेपी ज्वॉइन करूंगा.
पार्टी नेतृत्व पूरे झारखंड या क्षेत्र विशेष में जो भी काम सौंपेगी उसे पूरा करूंगा.
धुर्वा के शाखा मैदान में बीजेपी में शामिल हो गये
चंपाई सोरेन ने आज धुर्वा के शाखा मैदान में आयोजित स्वागत एवं अभिनंदन कार्यक्रम में बीजेपी का दामन थाम लिया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने उनको बीजेपी की सदस्यता दिलाई.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पार्टी का पटका पहनाकर उनका स्वागत किया.
कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह सहित कई विधायक, सांसद, पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुये.
चंपाई सोरेन ने 28 अगस्त की देर शाम को ही झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने मंत्रिपद भी छोड़ दिया था.
इससे पहले 27 अगस्त को ही हिमंता बिस्वा सरमा ने कन्फर्म किया था कि चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल होंगे.
चंपाई सोरेन के बीजेपी में जाने की खबर कब आई
गौरतलब है कि 16-17 अगस्त की दरम्यानी ये खबरें आने लगीं कि चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल होंगे. 18 अगस्त को सुबह वह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे. वहां बीजेपी में शामिल होने की खबरों को कोरी अफवाह करार दिया.
कहा कि बेटी से मिलने आये हैं. सरायकेला लौटे तो कहा कि पोते का चश्मा बनवाने गये थे. फिर 26-27 अगस्त को दोबारा दिल्ली गये. बीते सोमवार को देर रात गृहमंत्री अमित शाह के साथ तस्वीर सामने आई.
कन्फर्म हो गया कि चंपाई सोरेन भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन करने वाले हैं.
चंपाई सोरेन ने झामुमो पर अपमानित करने का आरोप लगाया
चंपाई सोरेन ने आरोप लगाया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनको जबरन सीएम की कुर्सी से उतारकर अपमानित किया. उनको 30 जून के बाद जबरन सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से रोका गया.
उनकी सहमति लिए बिना कार्यक्रम रद्द किए गये. मुख्यमंत्री आवास में विधायक दल की बैठक बुलाई गई लेकिन उनको एजेंडा बताया नहीं गया.
मीटिंग में अचानक इस्तीफा मांग लिया गया.