हर जंग जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती, कुछ जंग सिर्फ इसलिए लड़ी जाती हैं, ताकि दुनिया को बताया जा सके, कोई था, जो लड़ रहा था. पूर्व TV पत्रकार रविश कुमार की कही गयी यह बात लोकसभा चुनाव 2024 के संदर्व में JBKSS पर खूब सटीक बैठती है. और ऐसा क्यों है वह आपको आगे इस वीडियो में पता चलेगा.
देशभर में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चूका है और नतीजे भी सामने आ चुके हैं. फिलहाल केंद्र में सरकार बनाने को लेकर कवायद जारी है. वहीँ झारखण्ड की बात करें तो यहाँ 14 सीटों में से 9 NDA के खाते में गयी और पांच इंडिया गठबंधन के. लेकिन आज हम देश के दो प्रमुख गठबंधनों के बारे में चर्चा नहीं करेंगे. बात होगी उस समिति की जिसके उम्मीदवारों ने पहली ही बार में झारखण्ड के राजनितिक धरती पर गहरी छाप छोड़ी है.
इस लोकसभा चुनाव झारखंड में भी कई उलटफेर देखने को मिले हैं, कई पार्टियों का प्रदर्शन शानदार रहा है. लेकिन जिस पार्टी ने सभी को चौंकाया वह है झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति यानि कि जेबीकेएसएस. जेबीकेएसएस को भले ही पॉलिटिकल पार्टी के रूप में मान्यता नहीं मिली, लेकिन फिर भी संगठन ने 8 लोकसभा सीटों पर निर्दलीय रूप में अपने प्रत्याशी उतारे. अंत में जो चुनाव परिणाम आया, उससे यही माना जा रहा है कि जेबीकेएसएस का भविष्य अभी उज्जवल दिख रहा है. और सकता है कि इस समिति से राजनीती में कदम रखने वाले कुछ नेता आगे चल कर झारखण्ड की राजनीती का एक बड़ा चेहरा बने.
जेबीकेएसएस, जो झारखंडी भाषा और खतियान के मुद्दे पर आंदोलन के जरिए राजनीति में प्रवेश करने वाले युवाओं का संगठन है, ने गिरिडीह, धनबाद, चतरा, हजारीबाग, दुमका, रांची, सिंहभूम और कोडरमा लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. इनमें से छह उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे, जबकि एक उम्मीदवार चौथे और एक उम्मीदवार सातवें स्थान पर रहा.
गिरिडीह लोकसभा सीट से जेबीकेएसएस प्रमुख जयराम महतो खुद चुनावी मैदान में उतरे और बाकी सीटों पर उनके साथी चुनाव में उतरे. 4 जून को जब मतगणना हुई तो झारखंड की राजनीति को करीब से जानने-समझने वाले सभी लोग चौंक गए. जेबीकेएसएस के आठ उम्मीदवारों में से छह उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे. और JBKSS के तरफ से सबसे ज्यादा वोट लाने वाले कैंडिडेट रहे पार्टी के सुप्रीमो जयराम महतो ने. जयराम महतो ने JMM के मथुरा प्रसाद को खूब टक्कर दिया. दोनों के बीच का मार्जिन दो फीसदी से भी कम रहा.
गिरिडीह में जेबीकेएसएस प्रमुख जयराम महतो ने 03 लाख 47 हजार 322 वोट हासिल किए, वहीँ मथुरा प्रसाद महतो को 3 लाख 70 हज़ार 559 वोट मिले.
अगर हम बात JBKSS के बाकि प्रत्याशियों की तो रांची लोकसभा सीट से देवेंद्र नाथ महतो 01 लाख 32 हजार 647 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे. हजारीबाग में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जेबीकेएसएस के संजय मेहता ने 01 लाख 57 हजार 977 वोट हासिल किए.
इसी तरह धनबाद से जेबीकेएसएस की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी एखलाक अंसारी ने 79,653 वोट हासिल कर तीसरा स्थान, सिंहभूम लोकसभा सीट से दामोदर सिंह हांसदा ने 44,292 वोट हासिल कर तीसरा स्थान और कोडरमा लोकसभा सीट से मनोज यादव ने 28,612 वोट हासिल कर तीसरा स्थान हासिल किया.
दुमका लोकसभा सीट से बेबी लता टुडू ने 19,360 वोट हासिल कर चौथा स्थान हासिल किया, जबकि चतरा में दीपक गुप्ता 12,565 वोट पाकर सातवें स्थान पर रहे. पहली बार चुनावी मैदान में उतरे जेबीकेएसएस प्रत्याशियों को कुल 8,22,428 वोट मिले, जिसका औसत प्रति प्रत्याशी एक लाख से अधिक है.
2024 के लोकसभा में JBKSS का बाकी राजनितिक दलों ने भी माना, इस संदर्व में जब विभिन्न राजनीतिक दलों से उनकी प्रतिक्रिया ली गई. तो झामुमो ने इसे झारखंड की राजनीति में जेबीकेएसएस का क्षणिक उदय माना. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने माना कि महतो समुदाय और खासकर उस समुदाय के युवाओं में जयराम महतो की बढ़ती पकड़ और 08 लोकसभा सीटों पर जेबीकेएसएस की उम्मीदवारी से पार्टी को कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन यह अस्थायी है.
मनोज पांडेय ने कहा कि जयराम महतो और उनके साथियों ने जिस तरह से राज्य की मौजूदा सरकार के खिलाफ भ्रम फैलाया, उससे नुकसान जरूर हुआ है, जबकि सच्चाई यह है कि पहले हेमंत सोरेन और बाद में चंपाई सोरेन की सरकार ने झारखंडी भाषा और खतियानी लोगों के सम्मान के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. झामुमो नेता ने माना कि जेबीकेएसएस से हुए नुकसान का वे सही आकलन नहीं कर पाए. अब विधानसभा चुनाव से पहले सारा डैमेज कंट्रोल कर लिया जाएगा.
वहीं इस पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि कुछ लड़कों ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है. लोकतंत्र के लिए यह अच्छी बात है कि लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी हो, लेकिन यह भी देखना होगा कि उनके पास राज्य के विकास के लिए कोई ब्लू प्रिंट है या नहीं.
चलिए अब जानते हैं कि कांग्रेस ने जेबीकेएसएस के बारे क्या कहा? कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि जिसे भी लगे कि वह जनता का विश्वास जीत सकता है, वह लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बन सकता है. ऐसे में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय क्या होगा, यह उस समय की परिस्थितियों से तय होगा.
वहीँ जेबीकेएसएस के केंद्रीय उपाध्यक्ष और कोडरमा से लोकसभा प्रत्याशी मनोज यादव ने एक समाचार संसथान से बात करते हुए कहा कि भले ही हम लोकसभा सीट नहीं जीत पाए, लेकिन अपनी मजबूत स्थिति से हमने भाजपा और झामुमो को यह संदेश जरूर दे दिया है कि अब झारखंडी भाषा और खतियानी के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.