हेमंत कैबिनेट में पहली बार मिला मंत्रिपद, संघर्षो से भरा है योगेंद्र महतो की जीवन की दास्तां

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Ranchi : योगेंद्र महतो ने हेमंत कैबिनेट में आज मंत्री पद की शपथ ली. उन्हें राज्यपाल संतोष गंगवार ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. साल 2014 में पहली बार योगेंद्र महतो ने गोमिया विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, इससे पहले भी वो इसी सीट पर चुनाव लड़े लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी. हालांकि, हालिया संपन्न चुनाव में उन्होंने बड़े अंतर से आजसू के लंबोदर महतो को शिकस्त दी. योगेंद्र महतो 40,662 वोट के बड़े अंतर से लंबोदर महतो को हराकर दूसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे. इस बार उन्हें हेमंत कैबिनेट में भी जगह मिल गई.

कठिन संघर्षों की बदौलत राजनीतिक जमीन खुद तैयार किया

योगेंद्र महतो ने गोमिया विधानसभा सीट में अपनी राजनीतिक जमीन खुद के कठिन संघर्षों की बदौलत तैयार की है. योगेंद्र महतो कुड़मी किसान घर से संबंध करते हैं. मुरबंदा निवासी साधारण कुड़मी किसान घर के बेटे योगेंद्र महतो 3 भाइयों में सबसे बड़े है. बचपन से ही नेतृत्व क्षमता में दक्ष योगेंद्र महतो ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा बुनियादी स्कूल मुरबंदा से की है. जहां पहली से आठवीं तक क्लास के मॉनिटर भी रहे. 1983 में मैट्रिक तक की शिक्षा केबी हाई स्कूल लारी से पूरी की है. उसके बाद छोटानागपुर कॉलेज रामगढ़ से 1988 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.

यमुना प्रसाद शर्मा के साथ पहली बार जुड़े 

इसी बीच 1986 में ही तात्कालीन विधायक यमुना प्रसाद शर्मा के साथ जुड़े और सबसे पहले कांग्रेस सेवादल बड़की पोना पंचायत के अध्यक्ष बने. उसी साल रामगढ़ प्रखंड कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने. साथ ही 1986-1990 तक विधायक यमुना प्रसाद शर्मा के प्रतिनिधि भी रहे. 1991 में कांग्रेस पार्टी से ही हजारीबाग जिला उपाध्यक्ष बने. 1995 में जिलाध्यक्ष भी बने. हालांकि, उन्होंने किसी कारण से कांग्रेस छोड़ दी और तात्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव की पार्टी जनता दल में शामिल हो गए.

झारखंड अलग होने के बाद AJSU का दामन थामा 

लेकिन 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद योगेंद्र प्रसाद महतो सुदेश महतो की पार्टी आजसू में शामिल हो गए. वह आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव के पद पर भी रहे. योगेंद्र महतो कभी गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के काफी करीबी माने जाते थे. आजसू के टिकट पर साल 2009 में चुनावी मैदान में उतरे लेकिन सफलता नहीं मिली.

गोमिया सीट पर BJP का पहली बार वर्चस्व को तोड़ा

2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आजसू छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया. फिर झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़कर भाजपा और माधवलाल महतो के वर्चस्व को तोड़ते हुए इस सीट पर कब्जा जमाया, उस चुनाव में योगेंद्र महतो पहली बार 37, 514 वोट से माधवलाल को हराकर विधानसभा पहुंचे.

3 साल बाद चली गई थी विधायक की सदस्यता 

इसी बीच झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता व सचिव भी रहे. वहीं विधायक बनने के 3 साल बाद यानि 2018 में कोयला केस के मामले में उन्हें 3 साल की सजा मिल गई जिसके कारण उनकी विधानसभा की सदस्यता भी चली गई . फिर गोमिया सीट पर इसी साल उपचुनाव हुआ. उस उपचुनाव में योगेंद्र महतो की पत्नी बबीता देवी ने ही जीत दर्ज की और गोमिया की पहली महिला विधायक बनीं.

बहरहाल, योगेंद्र महतो को साल 2022 में झारखंड राज्य समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया साथ ही इसी साल जनवरी महीने में झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेवारी सौंपी गई. अब हेमंत कैबिनेट में योगेंद्र प्रसाद महतो को मंत्रिपद दिया गया है.

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