TFP/DESK : क्या अब झामुमो बिहार विधानसभा में अपनी किस्मत आजमाने वाला है. क्या झामुमो बिहार की 12 सीटों पर दावा ठोक रहा है. अगर हां तो वो कौन सी 12 सीटें है जिनपर झामुमो चुनाव से पहले दावा कर रही है.
झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने की तैयारी में है. खबरें हैं कि झामुमो झारखंड में अपने सहयोगी कांग्रेस और आरजेडी से 12 सीटें मांग सकता है. झामुमो का तर्क है कि सीमावर्ती जिलों में पड़ने वाली विधानसभा सीटों पर उसका जनाधार है.
अतीत में वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक भी रहे हैं. झामुमो के जिन 12 विधानसभा सीटों पर दावेदारी की संभावना है उनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, रूपौली, रामपुर, बनमखनी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई शामिल है. झारखंड मुक्ति मोर्चा इन सभी 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी चाहता है. गौरतलब है कि झारखंड में 5 सीटों पर लड़ी आरजेडी को 4 पर जीत मिली. वहीं 29 सीटों पर लड़ रही कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली.
झामुमो झारखंड में इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है वहीं बिहार में उसकी भूमिका सहयोगी की है. झामुमो को उम्मीद है कि बिहार में उसे कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ने को मिलेगा. हालांकि, फिलहाल यह प्रारंभिक अवस्था में है. सीट शेयरिंग का फॉर्मूला गठबंधन के घटक दलों के बीच बातचीत से ही तय होगा.
अब बड़ा सवाल है कि क्या झामुमो पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने की सोच रहा है. जवाब है नहीं! झामुमो पहले भी बिहार में चुनाव लड़ चुका है. 2020 में 3 चरणों में हुये चुनाव में झामुमो ने अपने उम्मीदवार उतारे थे हालांकि, किसी को जीत नहीं मिली.
पार्टी ने चकाई से एलिजाबेथ सोरेन, झाझा से अजीत कुमार, कटोरिया से अंजेला हांसदा, मनिहारी से फूलमनी हेम्ब्रम और धमदाहा से अशोक कुमार हांसदा को चुनाव लड़वाया लेकिन, कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका.
बिहार विधानसभा चुनाव में 12 सीटों पर दावेदारी को लेकर पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने बदताया कि इस संबंध में आरजेडी और कांग्रेस से जल्द बातचीत होगी. विनोद पांडेय ने कहा कि पार्टी में हमारा जितना जनाधार है, उसी आधार पर सीटों पर दावा भी होगा. विनोद पांडेय को उम्मीद है कि गठबंधन के उनके सहयोगी, कांग्रेस और आरजेडी उनकी मांगों पर सकारात्मक तरीके से विचार करेंगे. संभावना है कि जनवरी 2025 में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने को लेकर घटक दलों की बातचीत हो.
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बिहार विधानसभा में झामुमो की दावेदारी का आधार, झारखंड विधानसभा चुनान में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला है. गौरतलब है कि पिछले चुनाव में झामुमो ने आरजेडी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुये अकेले 5 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. हालांकि, इस बार झारखंड में आरजेडी को भी ज्यादा सीटें मिली थी.
आरजेडी ने देघघर, गोड्डा, कोडरमा, चतरा, विश्रामपुर और हुसैनाबाद में चुनाव लड़ा. इनमें 4 सीटों पर जीत मिली. झामुमो को उम्मीद है कि बिहार में आरजेडी भी गठबंधन धर्म का पालन करेगी.
अब झामुमो को बिहार में कितनी सीटें मिलेगी.
क्या आरजेडी और कांग्रेस झामुमो को 12 सीटें देने पर राजी होंगे. क्या, वाकई झामुमो सीटों के नेगोसिएशन में मजबूत है. यह सबकुछ भविष्य के गर्भ में छिपा है.