हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है.
चंपाई सोरेन द्वारा गृहमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखने के बाद आज हिमंता बिस्वा सरमा ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृहमंत्री से मुलाकात की.
इस मांग को आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से अहम माना जा रहा है.
दरअसल, बीजेपी का फोकस कोल्हान पर है और हो आबादी इसी प्रमंडल के विभिन्न जिलों में निवास करती है.
आज माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिख कर आदिवासी “हो” समाज द्वारा बोली जाने वाली “हो” भाषा (वारंग क्षिति लिपी) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया। pic.twitter.com/jWZOn683ED
— Champai Soren (@ChampaiSoren) September 16, 2024
हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में मिलेगी जगह!
केंद्र सरकार झारखंड की हो भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने पर विचार करेगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह दावा किया है.
हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है कि उन्होंने आदिवासी हो समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमिटी के एक प्रतिनिधमंडल के साथ दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी हो समाज के परिवार जनों की कई वर्षों से मांग थी कि हो भाषा (वारंग क्षिति लिपि0 को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाये.
झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी “हो” समाज के परिवारजनों की कई वर्षों से माँग थी कि “हो” भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस संदर्भ में, कल मैंने आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन… pic.twitter.com/zJPrgHfx2F
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 17, 2024
हो भाषा को लेकर गृहमंत्री से मिले हिमंता बिस्वा सरमा
हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि गृहमंत्री अमित शाह ने प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और आश्वासन दिया है कि भारत सरकार उनकी मांग पर विचार करेगी.
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने भरोसा दिया है कि मोदी सरकार देश के हर समाज की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
गौरतलब है कि इससे पहले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री औऱ झामुमो से बीजेपी में गये चंपाई सोरेन ने अमित शाह को चिट्ठी लिखी थी.
उन्होंने मांग की है कि आदिवासी हो समाज द्वारा बोली जाने वाली हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाये.
हो भाषा को लेकर क्यों एक्टिव हो गई है बीजेपी
चुनावी साल में हो भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का जोर पकड़ना काफी अहम है.
इसे आंकड़ों से भी समझा जा सकता है.
डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2001 में 7 लाख की आबादी के साथ हो जनजाति, संताल, कुडुख और मुंडा के बाद चौथी सबसे बड़ी आदिवासी आबादी है.
2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में हो आदिवासी समुदाय की आबादी 9,39,509 है.
हो जनजाति के लोग मुख्य रूप से झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में निवास करते हैं.
कोल्हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और चाईबासा जिलों में हो जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं. मुख्य रूप से चाईबासा लोकसभा सीट पर हो आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है.
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि चुनावी साल में अचानक से हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने की चर्चा छिड़ना क्यों अहम माना जा रहा है.
चंपाई सोरेन और गीता कोड़ा के बाद अब हो पर दावं
गौरतलब है कि पहले तो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कोल्हान टाईगर के नाम से मशहूर चंपाई सोरेन ने हो भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर गृहमंत्री को पत्र लिखा और फिर झारखंड में सह चुनाव प्रभारी नियुक्त किये गये असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृहमंत्री से मुलाकात की.
भारतीय जनता पार्टी झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए कोल्हान में बढ़त चाहती है, जहां 2019 में इसका खाता भी नहीं खुला था.
कोल्हान में विधानसभा की 14 सीटें हैं जहां चाईबासा लोकसभा क्षेत्र में हो आबादी निर्णायक भूमिका निभायेगी.
बाकी सीटों पर भी हो जनजाति समुदाय के वोट अहम साबित होंगे.
कोल्हान में वापसी के लिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में गीता कोड़ा और फिर विधानसभा चुनाव से पहले चंपाई सोरेन को लाने का दांव चला है.
गीता कोड़ा और उनके पति मधु कोड़ा तो खुद हो समुदाय से हैं.
चंपाई संताल आदिवासी समुदाय से आते हैं. बीजेपी इन दो जनजातियों का समीकरण साधकर कोल्हान जीतना चाहती है.