RIMS 2 की जमीन को लेकर आदिवासी संगठन क्यों कर रहे हैं सरकार का विरो”ध?

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झारखंड में एक नया जमीन विवाद शुरु हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने रांची में रिम्स 2 बनाने का ऐलान किया है और अब इसके जमीन को लेकर स्थानीय लोग सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल रहे हैं. रिम्स 2 को लेकर कांके नगड़ी में पुरजोर विरोध देखने को मिल रहा है, कल यानी 18 जून को कई आदिवासी संगठन जमीन अधिग्रहण के विरोध में राजभवन के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे.

राजभवन के समझ करेंगे धरना

रिम्स 2 के लिए सरकार जिस जमीन का उपयोग करने वाली है उसे लेकर आदिवासी संगठनों का मानना है कि रांची के काके नगड़ी इलाके की जो जमीन रिम्स 2 के लिए चिन्हित की गई है, वह असल में पारंपरिक आदिवासी जमीन है. ऐसे में जब रिम्स 2 के निर्माण के लिए मापी की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब भी स्थानीय आदिवासियों के द्वारा विरोध किया गया था. वहीं अब अपनी मांगों को एक बड़े पटल पर रखने के लिए कल यानि कि 18 जून को रांची स्थित राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

प्रशासन जबरदस्ती हड़पना चाहती है

दरअसल जिस इलाके में रिम्स 2 बनना प्रस्तावित है उस इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि वह जमीन उनकी पारंपरिक जमीन है और प्रशासन उसे जबरदस्ती हड़पना चाहती है. ऐसे में मौजूद लोगों का यह कहना है कि जिस जमीन पर रिम्स 2 बनाए जाने कि तैयारी है, उस जमीन के कागजात ग्रामीणों के पास मौजूद हैं, वहीं कांके अंचल के सीओ ने दलील दी थी कि जिस जमीन पर रिम्स 2 के लिए मापी हो रही थी, वह बिरसा एग्रीकल्चर की जमीन है.

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर बोला हमला

बता दें जब से सरकार के द्वारा इस जमीन को रिम्स 2 के लिए चिन्हित किया गया है तब से स्थानीय लोगों के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, स्थानीय लोगों के साथ नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर हमला बोला है.हालांकि सरकार बार-बार कह रही है कि ये जमीन सरकारी है.

बाबूलाल मरांडी ने बीते महीने नगड़ी में रिम्स के लिए चिन्हित जमीन का दौरा किया था और स्थानीय लोगों से बात की थी जिसके बाद उन्होंने कहा कि खेती की जमीन पर रिम्स 2 नहीं बनने देंगे. सरकार को रिम्स के लिए जमीन चाहिए तो उसे हम उपलब्ध कराएंगे, लेकिन गरीबों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे.

बाबूलाल ने बताया कि साल 2012-13 में ट्रिपल आईटी और आईआईएम के निर्माण के समय ग्रामीणों ने आंदोलन किया था.उस समय भी उन्होंने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों का साथ दिया था. उन्होंने कहा कि रैयतों की मालगुजारी रसीद वर्ष 2012-13 तक कटती आई है. मुआवजा नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि यदि मान भी लें कि मुआवजा दिया गया तब भी साल 2013 के कानून के हिसाब से जिस जमीन को सरकार जिस उद्देश्य से लेती है, वह पांच साल तक उपयोग में नहीं लाए जाने पर स्वतः रैयतों की हो जाती है। इसलिए यहां अस्पताल बनाना ठीक नहीं है.

डॉ इरफान अंसारी ने बाबूलाल को दिया जवाब

वहीं रिम्स-2 परियोजना को लेकर जारी सियासी बयानबाजी के बीच स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने साफ किया था कि यह परियोजना पूरी तरह राज्य सरकार की स्वामित्व वाली भूमि पर प्रस्तावित है और इससे किसी भी आदिवासी या किसान की निजी जमीन प्रभावित नहीं हो रही है. उन्होंने यह भी कहा था कि जहां भी विकास होता है बाबूलाल मरांडी वहां बाधा बन कर खड़े हो जाते हैं. रिम्स-2 पर झूठ फैलाकर मरांडी झारखंड की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं. सरकार का उद्देश्य प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव लाना है और इसे राजनीति से ऊपर रखकर देखा जाना चाहिए.

बता दें कांके में रिनपास की जमीन पर रिम्स-2 बनाया जायेगा. यहां 1074 करोड़ की लागत से 110 एकड़ में 700 बेड का रिम्स-2 बनाया जायेगा. रिम्स-2 में 100 यूजी और 50 पीजी सीटों पर पढ़ाई होगी. 200 से 250 बेड सुपर स्पेशियलिटी की होगी. कार्डियक, न्यूरो, नियोनेटल और नेफ्रो के मरीजों का विशेष इलाज होगा. इसके अतिरिक्त अन्य मरीजों का भी इलाज होगा.

अब देखना होगा कि आदिवासी संगठनों के धरना का सरकार पर क्या असर पड़ता है. सरकार इनकी बात सुनती है या फिर रिम्स 2 बनने से पहले ही विवादों की भेंट चढ़ जाएगा.

https://youtu.be/cF-Ht9ZCnqk?si=ehxYLeihKxlEdsqM

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