नए साल की शुरुआत हो चुकी है. झारखंड में हेमंत सोरेन की नई सरकार भी बन चुकी है.नए साल की शुरुआत के साथ ही झारखंड के राजनीतिक गलियारों में परिसीमन की चर्चा खूब जोरों पर है, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2026 में देश भर में परिसीमन की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी. इस परिसीमन से झारखंड के भी राजनीतिक स्थिति में बदलाव होने वाला है. अगर 2026 में परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है तो 2029 के चुनावों में सीटों की संख्या बढ़ जाएगी. माना जा रहा है कि 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग 78 सीटों के इजाफे की संभावना है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2025 तक जनसंख्या प्रोजेक्शन के डेटा के हिसाब से उत्तर प्रदेश में 14, बिहार में 11, छत्तीसगढ़ में 1, मध्य प्रदेश में 5, झारखंड में 1, राजस्थान में 7 और हरियाणा तथा महाराष्ट्र में 2-2 सीटों के बढ़ोत्तरी होने की संभावना है. वहीं, तमिलनाडु में 9, केरल को 6, कर्नाटक को 2, आंध्र प्रदेश को 5 तेलंगाना को 2, ओडिशा को 3, और गुजरात को 6 सीटों का नुकसान होने की आशंका है.
लेकिन ये परिसीमन है क्या .
परिसीमन का मतलब होता है लोकसभा या विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया. परिसीमन के लिए आयोग गठित होती है. पहले भी 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं.
नई संसद की लोकसभा में 888 सांसदों के बैठने की जगह बनाई गई है. इस बात ने दक्षिण के राज्यों को चिंता में डाल रखा। इन राज्यों को डर है कि 46 साल से रुका हुआ परिसीमन जनसंख्या को आधार मानकर हुआ, तो लोकसभा में हिंदीभाषी राज्यों के मुकाबले उनकी सीटें करीब आधी हो जाएंगी.
लेकिन, अभी 2021 की जनगणना नहीं हुई है. सरकार परिसीमन से पहले जनगणना कराना चाहेगी. अगर 2021 की जनगणना नहीं होती है, तो वह 2011 की जनगणना को आधार मानकर परिसीमन करा सकती है.
झारखंड में परिसीमन को लेकर साल 2021 में एक खबर वायरल हो रही थी जिससे अनुसूचित जनजाति के नेताओं को चिंता में डाल दिया था. वायरल खबर के अनुसार ,
केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी,जिसके अनुसार झारखंड में विधानसभा के लिए 81 सीटें होंगी। यहां पहले से 81 विधानसभा सीटें हैं। परिसीमन के बाद सीटों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
हां लेकिन इस अधिसूचना के अनुसार झारखंड के विधानभा सीटों में बदलाव जरुर हो रहा था. फिलहाल झारखंड में अनुसूचित जनजाति ( ST) के लिए 28 सीटें हैं। इसी तरह अनुसूचित जाति (SC) के लिए 8 सीटें आरक्षित हैं। नए परिसीमन के अनुसार एसटी की सीटें घटकर 22 और एससी की सीटें बढ़कर 10 होने का दावा किया जा रहा था.
दैनिक अखबर दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड विधानसभा की सीटों और यहां की लोकसभा की सीटों का परिसीमन होल्ड पर है.
साल 2007 में देश भर में विधानसभा और लोकसभा की सीटों का परिसीमन हुआ। यह परिसीमन 2009 के लोकसभा चुनाव से देशभर में लागू हो गया। तब झारखंड में भी लागू होना था। लेकिन यहां के आदिवासी ( ST) विधायकों ने विरोध किया। विरोध का कारण यह था कि परिसीमन प्रस्ताव लागू होने के बाद झारखंड विधानसभा में ST की सीटें घट जाएंगी। जब परिसीमन रिपोर्ट लागू हो रहा था उस समय मधु कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री थे। मधु कोड़ा सरकार कांग्रेस और झामुमो के समर्थन से चल रही थी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। सोनिया गांधी यूपी सरकार की अध्यक्ष थीं। मधु कोड़ा के नेतृत्व में झारखंड के आदिवासी नेताओं और विधायकों ने सोनियां गांधी और मनमोहन सिंह से मुलाकात की। झारखंड में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू न करने के लिए जोर दिया गया। नतीजतन, झारखंड में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं हुई। जबकि पूरे देश में लागू हो गई। झारखंड विधानसभा सीटों का परिसीमन अब भी होल्ड पर है। कभी भी लागू हो सकता है.
झारखंड के संदर्भ में भारत परिसीमन आयोग-2007 की रिपोर्ट अभी होल्ड पर है। अगर इसका अनुपालन होता है तो अनुसूचित जाति ( ST) को राजनीतिक फायदा होगा। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं। एससी के लिए अभी सिर्फ पलामू सीट आरक्षित है। 2007 के प्रस्ताव में पलामू के साथ-साथ चतरा को भी एससी के लिए आरक्षित किया जा सकता है .
हालांकि अब 2026 में परिसीमन की प्रक्रिया शुरु होती है या नहीं और अगर होती भी है तो इससे झारखंड की राजनीति कितनी प्रभावित होगी ये तो आधिकारिक सूचना के बाद ही पता चल पाएगा.