हेमंत सोरेन सरकार सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का नाम लेकर खूब वाह वाही अपने नाम कर रही है , हेमंत सरकार का दावा है कि झारखंड में शिक्षा का स्तर सुधरा है. राज्य में सबको उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और सुविधाएं मिल रही है.लेकिन धनबाद के सरायढेला से आई एक खबर हेमंत सरकार के इस दावे को झूठा साबित करती नजर आ रही है. दरअसल, धनबाद के सरायढेला बगुला बस्ती स्थित बालिका आवासीय विद्यालय को अब तक 200 से अधिक छात्राएं छोड़ चुकी हैं. उनके विद्यालय छोड़ने का कारण है विद्यालय में पानी की घोर कमी.
ईटीवी झारखंड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह स्कूल लगभग साढ़े 4 करोड़ की लागत से बना है. इस आवासीय विद्यालय का उद्घाटन बीते 26 जून को तत्कालीन सीएम चंपाई सोरेन ने बिरसा मुंडा खेल मैदान से किया था. जहां आज स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसा नहीं है कि स्कूल में पानी की सुविधा नहीं की गई. स्कूल कैंपस में तीन-तीन बोरिंग हैं लेकिन पानी एक से भी नहीं आता है. लड़कियों के हाईजिन के लिए पानी बहुत जरुरी है. पानी नहीं होने कारण अनेक बिमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है.
फिलहाल स्कूल में टैंकरों से पानी की व्यवस्था की जा रही है. खाना बनाने और पीने के लिए बोतलबंद पानी का उपयोग किया जा रहा है. लेकिन इतने से पानी का क्या होगा. स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की भी सुविधा नहीं की गई है.
स्कूल की वार्डन मोनिका भट्टाचार्य ने बताया कि 24 जुलाई को जब पुराने कोला कुसमा बालिका आवासीय विद्यालय से छात्राओं को बगुला स्थित नए आवासीय विद्यालय में शिफ्ट किया गया था, तब यहां कुल 317 छात्राएं थीं. पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण अब इस आवासीय विद्यालय में मात्र 85 छात्राएं ही रह गई हैं. शेष छात्राएं आवासीय विद्यालय छोड़कर जा चुकी हैं.
यह झारखंड के सरकारी स्कूल की कुव्यवस्था दिखाने वाला कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसे केस सामने आ चुके हैं जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं. 2 साल पहले हुए सर्वे से पता चला है कि झारखंड के एक-तिहाई से भी ज्यादा प्राथमिक स्कूलों और बीस फीसदी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ एक ही शिक्षक है.
बीते दिनों एक खबर चंदवा से सामने आई. चंदवा प्रखंड के जमीरा पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय डुरु में सिंटेक्स का गंदा पानी पीने से करीब 20 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई । उन्हें उल्टी और चक्कर आने लगे। आनन-फानन में सभी बच्चों को एम्बुलेंस के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंदवा लाया गया था.
साल 2023 में झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 12 जिला में हाइस्कूल स्तर पर बच्चों का ड्रापआउट रेट 10 फीसदी से अधिक हैं. इनमें से कुछ जिलों में लड़कों का ड्रापआउट रेट लड़कियों की तुलना में अधिक है.
झारखंड में आम होती इन समस्याओं का समय पर समाधान निकाला जा सकेगा या नहीं ये तो सरकार के हाथ में है.