झारखंड की स्कूली शिक्षा पर क्या कहती है ASER रिपोर्ट?

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एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट यानी असर द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में स्कूली शिक्षा की स्थिति दयनीय है. 8वीं में पढ़ने वाले 49 फीसदी बच्चे गणित में डिविजन यानी भाग देना नहीं जानते. 30 फीसदी बच्चे वैसे हैं जो दूसरी कक्षा का पाठ्यपुस्तक नहीं पढ़ पाते हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक 7वीं कक्षा के 55.5 फीसदी, छठी कक्षा के 65 फीसदी और 5वीं कक्षा के 79 फीसदी बच्चे गणित में भाग नहीं दे सकते. 8वीं के 69.5 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ्यपुस्तक नहीं पढ़ पाते. 7वीं के 37.2 फीसदी, छठी के 48 फीसदी, 5वीं के 55 फीसदी, चौथी के 68 फीसदी और तीसरी कक्षा के 80 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ्यपुस्तक नहीं पढ़ पाते. यानी वे हिंदी या अंग्रेजी का सामान्य टेक्सट बुक नहीं पढ़ पाते.

कितने बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल करना जानते हैं!

स्कूली बच्चों द्वारा स्मार्टफोन के इस्तेमाल को लेकर भी सर्वे किया गया था. 63.4 फीसदी बच्चों ने बताया कि उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियों के लिए स्मार्टफोन का उपयोग किया. वहीं, 70 फीसदी बच्चों ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया. 66 फीसदी बच्चे यह जानते हैं कि सोशल मीडिया अकाउंट का प्रोफाइल कैसे ब्लॉक या रिपोर्ट करना है. 56.8 फीसदी बच्चे जानते हैं कि फेसबुक या इंस्टाग्राम प्रोफाइल को कैसे प्राइवेट करना है. 56.3 फीसदी बच्चे यह जानते हैं कि पासवर्ड को कैसे बदलना है. 14 से 16 साल के आयु वर्ग के तकरीबन 85.1 फीसदी बच्चों ने बताया कि उनके घर पर स्मार्टफोन है. 39.8 फीसदी लड़कों के पास उनका अपना स्मार्टफोन है. 29.4 फीसदी लड़कियों के पास अपना मोबाइल फोन है. 76.8 फीसदी बच्चों को स्मार्टफोन का इस्तेमाल आता है.

प्रथम संस्था ने कितने स्कूलों में किया है सर्वेक्षण!

गौरतलब है कि प्राइमरी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता पर निगाह रखने वाली संस्था प्रथम ने झारखंड के 24 जिलों के 720 गांवों में सर्वे किया. इसमें कुल 27,649 बच्चों से बातचीत की गयी. सर्वे कर रहे पदाधिकारियों ने प्राइमरी एजुकेशन देने वाले 671 स्कूलों का दौरा किया. 205 प्राथमिक और 466 उच्च माध्यमिक या हाईस्कूल में सर्वे किया गया. सर्वे में पाया गया कि गणित हल करने और पाठ पढ़ पाने वाले बच्चों की संख्या में 2022 के मुकाबले 2024 में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. हालांकि, इस दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कम हो गया है.

कोरोना के दौरान सरकारी स्कूलों में बढ़ा था नामांकन

असर की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में कोरोना महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन की दर बढ़ी थी. वर्ष 2022 में 83.3 फीसदी नामांकन हुआ था. 2024 में सरकारी स्कूलों में दाखिला घटकर 77.4 फीसदी हो गया. 2022 की तुलना में 2024 में सरकारी स्कूलों में 7 फीसदी छात्र और 3 फीसदी छात्राएं कम हुई हैं. हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार द्वारा नामांकन सुधारने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. पढ़ाई को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम संचालित हैं. बच्चियों का ड्रॉपआउट घटाने के उद्देश्य से सावित्रीबाई फूले किशोरी समृद्धि योजना राज्य में संचालित है. 8वीं कक्षा के बच्चों को साइकिल दी जाती है. बच्चों को मिड डे मील के अलावा कॉपी, किताब और पोशाक दी जाती है.

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