झारखंड में 10 जनवरी राजनीतिक दृष्टिकोण से बड़ा दिन होने वाला है. बड़ा दिन इसलिए क्योंकि झारखंड भाजपा में एक बार फिर पूर्व सीएम रघुबर दास की एंट्री होने वाली है. हालांकि खबरें चल रही थी कि रघुबर खरमास के बाद भाजपा में शामिल होंगे लेकिन अब खुद रघुबर दास ने ये क्लियर कर दिया है कि 10 जनवरी को वो हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे.
अब रघुबर दास के वापसी से जहां भाजपा नेता और रघुबर समर्थक खुशी मना रहे हैं वहीं झारखंड भाजपा में रघुबर दास के वापसी पर सत्तारुढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा तंज कस रही है.
ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने और झारखंड वापस आने के बाद समर्थर रघुबर दास की पार्टी में वापसी का इंतेजार कर रहे हैं. इसी बीच रघुबर दास ने दैनिक अखबार दैनिक भास्कर से बातचीत में बड़ी बात कह दी है. रघुबर दास ने झारखंड में भाजपा की हार का कारण पार्टी का अति आत्मविश्वास को बता दिया है.
रघुबर दास ने कहा कि -साफ-साफ कहूं तो चुनाव से पहले हर कोई मान रहा था कि हम सत्ता में लौटेंगे। जीत के प्रति अतिआत्मविश्वास के कारण चूक हुई। हमें निचले स्तर तक पहुंचाना चाहिए था। भाजपा के अंदर इस पर समीक्षा हो चुकी है। तय मानिए कि पार्टी अपनी कमजोरियों से सबक लेकर आगे बढ़ेगी।
उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिलने के कयासों पर भी विराम लगाते हुए साफ तौर पर कहा कि झारखंड की सेवा करना मेरे जीवन का उद्देश्य है। भविष्य में मैं कार्यकर्ता के रूप में पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। मैं जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं। इसलिए धरातल की बात करता हूं। पार्टी के किसी भी फैसले को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं.
अब रघुबर दास के इन बयानों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तंज कसा है. झामुमो ने अपने ट्वीटर हैंडल से रघुबर दास के बयान की कटिंग अटैच करते हुए लिखा-
रघुबर दास जी का पुनः स्वागत है। अब सभी पाँच “पूर्व” मिल बैठ कर आपस में बेहतर सामंजस्य के साथ पूरे “आत्मविश्वास” से चर्चा करेंगे की कैसे नए दल-बदलुओं को भाजपा में शामिल कराया जाए एवं समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाए। वैसे हिमन्ता VS हेमंत कहने वाले दल बदलू जी कह गए है की – रघुबर शासन झारखंड का सबसे ख़राब शासन था इसलिए जनता ने उनके “अबकी बार 65 पार” वाले नारे की पोल खोल उन्हें उड़ीसा तड़ीपार कर दिया। उड़ीसा से याद आया –@dasraghubar जी आपके गवर्नर रहने के दौरान उड़ीसा के मुख्यमंत्री लगातार सरायकेला को उड़ीसा में मिलाने का सपना देखते रहें – आपने इस पर एक शब्द की भर्त्सना क्यों नहीं की ? कहीं इसके पीछे आप तो नहीं थे ?
झारखंड में भाजपा और झामुमो के बीच जुबानी जंग कोई नई बात नहीं है. दोनों पार्टियां हमेशा से एक-दूसरे पर तंज कसने का एक भी मौका नहीं छोड़ती है.
अब रघुबर दास के वापसी के बाद राज्य में क्या-क्या बदलाव होते हैं ये तो वक्त आने पर ही पता चल पाएगा.