झारखंड में भाजपा और झामुमो के बीच की जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है दोनों पार्टियां एक दूसरे पर लगातार हमलावर है. इसी बीच आज झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पत्र लिखा है.
इस चिट्ठी में बाबूलाल मरांडी ने संथाल परगना की तीन घटना का भी जिक्र भी किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि केवल इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई.अपने पत्र में उन्होंने साहिबगंज सदर अस्पताल की घटना का जिक्र किया है। जहां सिमरिया गांव निवासी आदिम जनजाति पहाड़िया मथियम मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन की मौत हो गई. वह डेंगू से पीड़ित थी। उन्होंने सीएम से कहा है कि उसकी मौत इलाज के अभाव में हुई है.
उन्होंने दूसरी घटना दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड के कुंडा पहाड़ी गांव की बताई है.तीसरी घटना जामताड़ा जिले की बताई है। पत्र में लिखा है कि घटना करमाटांड प्रखंड के नेंगराटांड गांव की है, जहां अज्ञात बीमारी से पिछले 22 दिनों के अंदर आदिम जनजाति (पहाड़िया) परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो गई है। अभी भी 10 से अधिक लोग अलग-अलग बीमारी से ग्रसित हैं.
अब आपको बताते हैं बाबूलाल मरांडी सीएम सोरेन को पत्र में क्या लिखा, इन्होंने लिखा-
मुख्यमंत्री जी , विषय – झारखण्ड में ईलाज के अभाव में आए दिन विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के लोगों की हो रही मृत्यु के संदर्भ में.
आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल दिन ब-दिन बदतर होता जा रहा है. आए दिन आदिवासी ख़ासकर विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के भाई बहनों की मृत्यु ईलाज के अभाव में हो रही है लेकिन प्रशासन जिम्मेदारी लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहा है.
हालिया घटना साहिबगंज सदर अस्पताल की है जहाँ सिमरिया गांव निवासी आदिम जनजाति पहाड़िया मथियम मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन जो डेंगू से पीड़ित थी , ईलाज के अभा व में अपनी जान गंवा दी . पिता डॉक्टरों की तलाश में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भागते रहे हैं, परन्तु कहीं भी डॉक्टर नहीं मिले, जिसके कारण पिता की गोद में ही बच्ची ने अपना दम तोड दिया. यह सिर्फ एक घटना नहीं है.
ऐसी ही दूसरी घटना दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखण्ड के कुंडा पहाड़ी गांव में हुई जहाँ विलुप्त प्राय पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला प्रिंसि का महारानी की समय पर एंबुलेंस और ईलाज न मिल पाने के कारण जान चली गई. तीसरी घटना जामताड़ा जिले के करमाटांड प्रखण्ड के नेंगराटांड गांव की है जहाँ अज्ञात बीमारी से पिछले 22 दिनों के अंदर आदिम जनजाति (पहाड़िया) परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो गई है. अभी भी 10 से अधिक लोग अलग अलग बीमारी से ग्रसित हैं. झारखण्ड में समय पर ईलाज न हो पाने के कारण आए दिन प्रदेश वासियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है.झारखण्ड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है और पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाहा पोस्टिंग देकर स्वास्थ्य सेवाएँ को प्रभावित कर रही है.दूर दराज के स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉक्टरों का पदस्थापन नहीं रहने के कारण मरीज ईलाज नहीं करा पा रहे हैं.
अतः आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त घटनाओं का संज्ञान लेते हुए एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन कर मौत के रहस्यों को सार्वजनिक करें तथा संलिप्त व्यक्ति /संस्था / डॉक्टरों /अस्पतालों पर कड़ी करवाई करें साथ ही साथ झारखण्ड के सभी लोगों के लिए ईलाज के पुख्ता इंतजाम कराने हेतु समुचित कार्रवाई करें.