TFP/DESK : कोरोना महामारी के बाद क्या अब एचएमपीवी वायरस का खतरा मंडराने लगा है. सबो के जहन में यह सवाल जरूर उमड़ा रहा होगा कि क्या यह वायरस कोरोना की तरह खतरनाक है या नहीं?
क्या कोरोना की तरह ही यह वायरस है? एचएमपीवी वायरस के लक्षण क्या है? कैसे फैलता है और इसके बचाव के क्या है उपाय? स्वास्थ्य मंत्रालय ने फैल रहे नए वायरस को लेकर क्या कुछ कहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
कोरोना वायरस के बाद चीन से निकला एचएमपीवी वायरस ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. पूरा एचएमपीवी वायरस का पूरा नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस है. भारत में अब तक इस वायरस की चपेट में 8 बच्चे आ चुके हैं. इस वायरस को लेकर केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी जारी करते हुए कहा गया कि इससे पैनिक होने की जरूर नही हैं.
कैसे फैलता है HMPV वायरस
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस सांस के जरिए फैलने वाला वायरस है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है. इस वायरस का पता सबसे पहले 2001 में लगा था. यह पैरामिक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है और रेस्पिरेटरी सिंसीशियल वायरस से मिलता जुलता है.
यह खांसने, छींकने से उत्पन्न ड्रोप्लेट्स, संक्रमित सतहों के संपर्क, या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से फैलता है. इसके अलावे संक्रमित स्थानों को छूने के बाद मुंह , नाक या आंखों को बार बार छूने से भी फैलता है. और इस वायरस के संपर्क में आने के बाद 3 से 5 दिनों में इसके लक्षण भी दिखाई देने शुरू हो जाते हैं.
क्या है इसके लक्षण?
बहरहाल, एचएमपीवी वायरस के लक्ष्ण के बारे में आपको बताते हैं. इसमें संक्रमित व्यक्ति को खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ होती है. लेकिन छोटे बच्चो और बुजुर्गों और पुरानी बीमीरियों वाले लोगों में यह वायरस ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया जैसी गंभीर स्थितियों को जन्मद दे सकता है.
आमतौर पर तीन से छह दिन तक इसका असर रहता है. हालांकि संक्रमण गंभीर होने पर अधिक दिनों तक भी वायरस रह सकता है. ये तो हो गई बात एचएमपीवी वायरस के लक्ष्ण और इसका असर कितने दिनों तक रहता है.
अब आपको बताते हैं, वायरस से बचाव के क्या है तरकीब. पहला तो यह कि आप साबुन और पानी से बार- बार हाथ धोए. खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकना. भीड़भाड़ वाले जगहों में मास्क पहनना, बार- बार छुई जाने वाली सतहों को साफ करना. इसके अलावे संक्रमित व्यक्तियों के संर्पक से बचना.
इसके अलावे हल्के मामलो में संक्रमित व्यक्ति को आराम, अच्छा खानपान, बुखार और सर्दी की दवाएं दी जाती है. गंभीर मामलों में निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस से पीड़ित रोगियों में ऑक्सीजन थेरेपी और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी हो सकती है. सांस रोगियों को वेंटिलेशन की जरूरत होती है.
कई साल पुरान है HMPV वायरस
बहरहाल, एचएमपीवी वायरस को लेकर एक रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह वायरस काफी पुरान है.
साल 2001 में नीदरलैंड में हुए अध्ययन में पता चला था कि 1958 में लिए गए सैंपल में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी. भारत में एम्स दिल्ली समेत कई अस्पतलों में इसके मरीज इलाज के लिए आते हैं. इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है.