बिहार

अधिकारी की पलंग से इतना कैश मिला, गिनते-गिनते मशीने भी हांफने लगी; पूरा मामला जानिए

|

Share:


ये तस्वीर देखिए. कमरा, बेड और बेड पर बिखरे नोट. चमचमाते हुये ये नोट काली कमाई के हैं. ये कालाधन बिहार के बेतिया जिला के जिला शिक्षा अधिकारी रजनीकांत प्रवीण का है. सारा पैसा उनके पलंग के नीचे बने बक्से से मिला है.

अब जब आपने अपनी मोबाइल स्क्रीन पर नोटों की गड्डियां देखी तो सोचा होगा, यार सिस्टम में कितना करप्शन है.

मैं आपकी सोच में थोड़ा करेक्शन करता हूं. सिस्टम में करप्शन नहीं है दोस्त. आप समझे नहीं! करप्शन के लिए ही सिस्टम है. कैसे? आगे समझाएंगे. पहले तो यही जान लीजिए कि पूरा माजरा क्या है.

इतने नोट कहां से आये. कैसे आये. किसने पकड़े और क्यों पकड़े हैं.

बसंत विहार कॉलोनी के मकान में पड़ा छापा
मामला बिहार के बेतिया जिला अंतर्गत मुफस्सिल थाना के बसंत विहार कॉलोनी के एक मकान का है. मकान है जिले के शिक्षा अधिकारी माने डीईओ रजनीकांत प्रवीण का. वे 3 साल से जिले में इस पद पर हैं.

गुरुवार को सुबह-सुबह विजिलेंस के 40 अधिकारियों की टीम ने रजनीकांत प्रवीण के बेतिया वाले घर के अलावा बगहा, दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी के अलग-अलग कुल 7 ठिकानों पर छापेमारी की. इन ठिकानों में रजनीकांत प्रवीण का ससुराल भी है.

शाम को खबर आई कि बेतिया वाले घर से नोटों का जखीरा मिला है. पलंग के नीचे था. कैश इतना ज्यादा था कि मशीने मंगानी पड़ी. नोटो का बंडल इतना ज्यादा था कि दोपहर से शाम होने को आई लेकिन गिनती खत्म नहीं हुई.

आलम ऐसा था कि मशीनो के भी पसीने छूट गये.

पक्का तो नहीं कह सकता लेकिन उड़ते-उड़ते खबर आई है कि रजनीकांत प्रवीण का कालाधन गिन रही मशीनें भी चौंक गयी. हाथ जोड़ लिए कि अब हमसे न हो पायेगा. हालांकि, मशीनों को किसी तरह से समझा-बुझाकर गिनती के काम में लगाये रखा गया. शाम तक पता चला कि रकम 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.

आंकड़े पता चले तो एकबार को सोचा कि 8वें वेतन आयोग की तो अभी घोषणा हुई है. वेतन बढ़ा भी नहीं और रजनीकांत प्रवीण साहब ने करोड़ों जोड़ लिए. कैसे और कब भाई.

विजिलेंस को मिली थी मनी ल़ॉन्ड्रिंग की रिपोर्ट
दरअसल, विजिलेंस की रिपोर्ट के मुताबिक उनको खबर मिली थी कि सफेद कॉलर जॉब कर रहे रजनीकांत प्रवीण के कारनामे काले हैं. उनको वेतन का पैसा नहीं सुहाता है बल्कि रिश्वत का कालाधन भाता है.

विजिलेंस को रिपोर्ट मिली थी कि डीईओ रजनीकांत प्रवीण ने 2005 में नौकरी ज्वॉइन करने से लेकर 1.87 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की है.

कार्रवाई तय थी लेकिन इंतजार सही मौके का था. ये मौका भी आ गया. दरअसल, शिक्षा विभाग के नये अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ थोड़े सख्त मिजाज माने जाते हैं. उनको शिकायत मिली थी कि स्कूलों में बेंच और डेस्क की खरीददारी में भारी वित्तीय अनियमितता बरती गयी है.

इसमें जिलों के शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध थी तो अपर मुख्य सचिव ने जांच के आदेश दिए. 23 जनवरी को बेतिया के डीईओ रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर विजिलेंस का छापा इसी कार्रवाई का नतीजा है. फल भी मिला है.

रजनीकांत प्रवीण की पत्नी और साली के ठिकानों पर भी छापा
विजिलेंस को यह भी पता चला था कि पद और प्रतिष्ठा का गलत फायदा उठाते हुए रजनीकांत प्रवीण की पत्नी सुषमा कुमारी और उनकी साली बहुत सारे निजी स्कूलों का संचालन भी करती है.

विजिलेंस ने वहां भी छापा मारा है.

वहां से भी नकदी और दस्तावेज बरामद किया है. नकदी कितनी है फिलहाल आंकड़े सामने नहीं आये हैं. आयेंगे तो हम वह भी आपको गिनकर बतायेंगे.

शिक्षा विभाग ने रजनीकांत प्रवीण को निलंबित कर दिया
तो पूरा मामला आपको समझा दिया. नोट कहां से आये पूरी कहानी सुना दी.

खबरें हैं कि शिक्षा विभाग ने डीईओ रजनीकांत प्रवीण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. वैसे, अधिकारियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग केस, निलंबन और जेल टेम्प्रॉरी आउटिंग जैसा है. नौकरी से थक गये हैं. एक लंबी छुट्टी मिली है. आराम फरमाएंगे. फिर तो निलंबन वापस होता है. नौकरी भी सही सलामत, अमानत की तरह लौटा दी जाती है.

अब ये मत पूछ लीजिएगा कि, किसके बारे में बात कर रहे हैं. आप तो खुद ही समझदार हैं.

सिस्टम में करप्शन नहीं बल्कि करप्शन के लिए सिस्टम है
अब आखिर में उस बात पर आते हैं जिससे शुरुआत की थी. यही कि सिस्टम में करप्शन नहीं है बल्कि सिस्टम ही करप्शन के लिए है.

बिलकुल सही बात बता रहे हैं.

रजनीकांत प्रवीण जब अधिकारी बने होंगे तो रिश्तेदारों ने क्या कहा होगा. दोस्तों ने क्या उम्मीद की होगी. मां-बाप ने क्या सपने देखे होंगे कि, हमारा रजनीकांत समाज, सिस्टम और देश की भलाई के लिए काम करेगा. नाह! बिलकुल नहीं. रजनीकांत प्रवीण जी को बधाई संदेश के साथ कॉम्प्लीमेंट्री कुछ ब्रह्म वाक्य मिले होंगे.

मसलन, बाबू, अब वेतन नहीं देखना है. ऐतना ऊपर से मिलेगा कि तर जाओगे. अरे मांगने का जरूरत ही नहीं है जी. ऑफिसवे में लाकर देगा सब लेकिन हां. ऊहां लेना नहीं. सिस्टम के भीतर ऐसा सिस्टम बना लो कि सिस्टम के साथ करप्शन की गाड़ी चलती रहे.

अधिकारियों के लिए असली प्रेरणादायी बात कौन सी है
आज यूपीएससी, जेपीएससी, बीपीएससी अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा क्या है. देश, समाज और सिस्टम का कल्याण?

अरे नहीं! प्रेरणा एक ही है. भौकाल. जबरदस्त भौकाल. लाल बत्ती वाली गाड़ी का भौकाल. बड़ा चमकदार ऑफिस का भौकाल. बंगले का भौकाल. पद, प्रतिष्ठा और पावर का भौकाल. नौकर-चाकर का भौकाल. ऊपर की कमाई का भौकाल. बुरा और कड़वा लगेगा लेकिन यही सही बात है.

सैकड़ों अधिकारियों का भौकाल इसी ऊपर की कमाई से जिंदा है.

हां बस कभी-कभी चूक हो जाती है और ऊपर की कमाई पलंग के नीचे से निकल आती है. जैसे रजनीकांत प्रवीण की निकली है. इससे क्या बदलेगा. आपसे ही पूछ रहा हूं.

Tags:

Latest Updates