Ranchi : क्या भाजपा से बगावत करने वाले निर्देलिय विधायक सरयू राय एडनीए के तहत जमशेदपुर पूर्वी से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जदयू के झारखंड प्रभारी आशोक चौधरी ने कहा है. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी साथ ही सरयू राय पूर्वी विधानसभा सीट से एडनीए के उम्मीदवार होंगे.
बता दें कि विधानसभा के मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों ने अपने स्तर से उम्मीदवारों का चयन करना शुरू कर दिया है, इसी कड़ी में बीते बुधवार को बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने जदयू के मिलन समारोह में यह घोषणा कर दी कि सरयू जमशेदपुर पूर्वी से एनडीए के उम्मीदवार होंगे.
आगे उन्होंने कहा कि जदयू एनडीए का घटक दल है. केंद्र व बिहार में भाजपा-जदयू मिलकर सरकार चला रहे हैं. साल 2019 में जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय सरयू राय ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था. इस बार भी वे चुनाव जीतेंगे. झारखंड में भाजपा के साथ सीटों को लेकर जल्द नीतीश कुमार बातचीत करेंगे.
बता दें कि सरयू राय के जदयू के शामिल होने के बाद पहली बार शहर में जदयू का सम्मेलन हुआ. इसमें प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो समेत कई नेता शामिल हुए.
इस सम्मेलन में सरयू राय ने कहा कि बिहार बंटवारे के बाद जब झारखंड बना तो नीतीश कुमार की अहम भूमिका थी. उसी भूमिका को फिर से झारखंड में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू को लाने का प्रयास किया जा रहा है. झारखंड में आने वाले दिनों में एनडीए की सरकार बने, इसके लिए अभी से एनडीए के घटक दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं.
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी झारखंड बीजेपी से तालमेल कर यहां अपनी अधिक उपस्थिति दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए नीतीश कुमार ने अपने सबसे भरोसेमंद संजय झा को इसकी जिम्मेवारी सौंपी है.
माना जाता है कि संजय झा का भाजपा नेताओं के साथ बेहतर संबंध रहा है, क्योंकि उनकी भाजपा में अच्छी पैठ है और इससे पहले वे भाजपा में ही थे. इसलिए नीतीश कुमार ने भाजपा से तालमेल बनाने के लिए उन्हें चुना है.
मीडिया रिर्पोट्स की माने तो 15 साल के बाद जदयू का भाजपा से तालमेल हुआ था इसके पीछे संजय झा की ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. और इसिलिए इस बार नीतीश ने झारखँड विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ अपनी तालमेल बेहतर बनाने के लिए संजय झा को जिम्मेदारी दी है. बता दें कि संजय झा अभी जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं और राज्यसभा के सदस्य भी.
बहरहाल हम बात करें अब तक के हुए झारखंड विधानसभा चुनाव की तो साल 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 18 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था, जिसमें 6 सीटों पर जीत मिली थी. इनमें देवघर, तमाड़, बाघमारा, छतरपुर डाल्टेनगंज और मांडू विधानसभा सीट. लेकिन साल 2009 में वोट प्रतिशत और सीटों में गिरावट आ गई.
भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू को 14 सीटें मिली, जिसमें से केवल 2 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. इनमें छत्तरपुर और तमाड़ विधानस सीट थी, लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में जदयू का खाता नहीं खुला. बता दें कि जदयू एनडीए से अलग होकर 2014 और 2019 में चुनाव लड़ा था.
वहीं इस बार जदयू एनडीए के तहत फिर से झारखंड में चुनाव लड़ने का मन बना रहा है. हालांकि चुनाव के नतीजों के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि जदयू इस बार झारखंड में अपना खाता खोलने में सफल होता है या नहीं. आपको क्या लगाता है हमें कमेंट कर जरूर बताए.