झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा कभी भी किया जा सकता है.
इधर, झारखंड निर्वाचन विभाग ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
मतदाता सूची पुनरीक्षण से लेकर पोलिंग कर्मचारियों की ट्रेनिंग और पोलिंग स्टेशनों को चिन्हित करने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है.
चुनाव के दरम्यान सबसे ज्यादा विवादित मामला आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और अवैध खर्च का आता है. निर्वाचन आयोग पर इन्हें रोकने की बड़ी जिम्मेदारी होती है.
अब इसी सिलसिले में झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रविकुमार ने सोमवार को बताया है कि 2 एजेंसियों को अवैध खर्च और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों की निगरानी करने का जिम्मा सौंपा गया है.
हम निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म होगा.
किसी भी तरह की अवैध गतिविधि स्वीकार्य नहीं
सोमवार को झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रविकुमार ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और अवैध खर्च पर निगरानी की जिम्मेदारी एसएसटी और एसएफटी को सौंपी गयी है.
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान एनफोर्समेंट एजेंसी अवैध गतिविधियों को रोकने और उसपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए काम करेगी. प्रत्येक स्तर पर निगरानी होगी.
चेकपोस्ट पर वेबकास्टिंग के जरिए होगी निगरानी
के. रविकुमार ने निर्वाचन कार्य में लगे सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए स्वच्छ, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से वोटिंग कराना सुनिश्चित करें.
सोमवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठित एफएसटी औऱ एसएसटी के पदाधिकारियों के लिए ऐयोजित ऑनलाइन सेशन को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ये 2 एजेंसियां आचार संहिता उल्लंघन और अवैध खर्च के मामलों पर पैनी निगाह रखेंगे.
के. रविकुमार ने यह भी जानकारी दी है कि निर्वाचन के दौरान बने सभी चेकपोस्ट पर वेबकास्टिंग के जरिये निगाह रखी जायेगी.