गोमिया विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय होगा मुकाबला, इन पार्टियों के बीच होगी टक्कर !

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झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो चुकी है.सभी सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर पार्टियां मंथन कर रही है. कई पार्टियों में एक सीट पर अनेक दावेदार अपना दावा ठोक रहे हैं. जिनमें से एक गोमिया विधानसभा सीट भी है.

गोमिया में 2024 का विधानसभा चुनाव काफी जिलचस्प होने वाला है. गोमिया एनडीए के तरफ से आजसू की झोली में ही जा सकती है. इंडिया गठबंधन से यहां झामुमो के प्रत्याशी चुनावी मैदान में होंगे इसकी प्रबल संभावना जताई जा रही है. वहीं इस बार गोमिया में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम से भी प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं. जेएलकेएम से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की गोमिया सीट से लंबी लाइन लगी है.

गोमिया से जेएलकेएम से पूर्व मंत्री माधवलाल सिंह, गुणानंद महतो, इजराफिल अंसारी , समेत और कई नामों की चर्चा है. दरअसल बीते लोकसभा चुनाव में जयराम महतो को गोमिया विधानसभा सीट से अच्छी लीड मिली थी ,जयराम को सीपी चौधरी और मथुरा महतो से भी अधिक वोट यहां से मिले थे. जयराम को लगभग 70 हजार वोट मिले थे. जयराम महतो को मिली लीड यहां से अधिक जेएलकेएम नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए आकर्षित कर रही है.

बता दें माधवलाल सिंह इस बार जेएलकेएल से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. 2009 में माधवलाल सिंह गोमिया सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में माधवलाल सिंह ने  भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा था लेकिन वो 60 हजार 285 वोटों से दूसरे नंबर पर रहे थे. 2019 के चुनाव में भी माधवलाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में गोमिया से ही अपनी किस्मत आजमाई लेकिन इस बार वे फिसलकर तीसरे नंबर पर आ गए. अब 2024 में माधवलाल एक बार फिर जीत की उम्मीद से जेएलकेएम के सिंबल से  चुनाव लड़ना चाहते हैं.

इसी तरह गुणानंद महतो भी टिकट की आस में झामुमो से भाजपा और अब भाजपा से जेएलकेएम का दामन थाम चुके हैं. हालांकि अब इस बार भी उन्हें टिकट मिल पाएगा या नहीं ये तो पार्टी आलाकमान ही तय करेगी.

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद गोमिया विधानसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो

2005 में भाजपा से छट्टू राम महतो ने यहां से जीत हासिल की थी.

2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के माधवलाल सिंह जीते . माधवलाल सिंह ने आजयू प्रत्याशी योगेंद्र प्रसाद को लगभग 9 हजार वोट से हराया.

2014 में योगेंद्र प्रसाद झारखंड मुक्ति मोर्चा  के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे और जीते. हालांकि 2018 में योगेन्द्र प्रसाद को कोयला चोरी के आरोप में दोषी पाया गया जिसके बाद अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी. इसी वजह से उनकी सीट पर  2018 में उपचुनाव हुए.उपचुनाव में योगेंद्र प्रसाद की पत्नी बबीता देवी झामुमो के टिकट से उपचुनाव में उतरी और उन्होंने जीत हासिल की. बबीता देवी ने आजसू के उम्मीदवार लंबोदर महतो को करीब 2000 मतों से हराया था.

2019 के विधानसभा चुनाव में लंबोदर महतो ने अपनी हार का बदला लिया और बबीता देवी को हराकर विधानसभा पहुंचे.

हालांकि अब गोमिया  कौन सी पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

 

 

 

 

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