Ranchi : झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तपीश लगातार बढ़ती जा रही है. एक ओर भाजपा सत्ता में काबिज होने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है, तो वहीं इंडिया गठबंधन के दल भाजपा को सत्ता में वापस नहीं आ सके इसके लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं.
जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में इंडिया और एनडीए गठबंधन में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. तो चलिए आपको बताते सिलसिलेवार ढंग से कि वे कौन सी सीटें है. और इस बार क्यों कांटे की टक्कर होने के आसार दिखाई पड़ रहे हैं. क्या है इसकी वजह.
दरअसल पिछला विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार के चुनावी समीकरण बदल गए है. एक ओर भाजपा आजसू और जदयू के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन. और इस वजह से इस बार का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है.
इसके अलावे झामुमो के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ झामुमो के कई विधायकों के भाजपा में शामिल होने से समीकरण बदल गया है. और इसलिए इस बार वे 10 सीटें है जहां दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे 10 सीटें कौन सी हैं तो ये भी आपको बता देते हैं. वे सीटें हैं जहां पिछला चुनाव में तत्कालीन महागठबंधन ने जीत हासिल किया था. इनमें बड़कागांव, डुमरी, ईचागढ़, गांडेय, घाटशिला, जुगसलाई, खिजरी, मधुपुर, नाला, चक्रधरपुर विधानसभा सीट शामिल है.
हालांकि कई राजनीतिक विषलेश्कों का मानना है कि इन सीटों के आलावे मांडु मनोहरपुर, टुंडी, मांडर जगन्नाथपुर विधानसभा सीट है जहां नए राजनीतिक परिस्थितयों के कारण एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है.
क्योंकि आजसू इस बार भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है. ऐसे में अगर इन सभी 15 सीटों पर पिछला चुनाव में मिले आजसू और भाजपा के वोट को जोड़ दिया जाए तो ये आकड़ा महागठबंधन से अधिक होता है. क्योंकि पिछला चुनाव में आजसू और भाजपा से अलग होकर चुनावी मैदान में उतरी थी.
जिसका नतीजा ये हुआ था कि भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा औऱ इसका पूरा फायदा झामुमो और कांग्रेस को मिला. ये तो हो गई दोनों दलों के बीच मुकाबले की बात. लेकिन वहीं हम बदले हुए समीकरण पर नजर डाले तो.
इन सबों के अलावे जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम भी एक बड़ा फैक्टक है. क्योंकि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी का अच्छा प्रदर्शन रहा था, साथ ही कई विधानसभा सीटों पर जयराम महतो की पार्टी लीड़ कर रही थी.
वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी कुरमी वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है. क्योंकि जयराम खुद भी कुरमी समाज से आते है और इनकी कुरमी समाज में एक मजबूत पकड़ बताई जाती है. और इसलिए इस बार आजसू का मजबूत वोट बैंक कुरमी समाज पर इसका असर पड़ा सकता है.
लेकिन इस बार कांग्रेस भी कुरमी और कुड़मी वोट बैंक को साधने के लिए चुनाव से पहले पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय की मांग कर रही है. ताकि पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को साधने में आसानी हो सके. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार का विधानसभा चुनाव काफी दिसचस्प रहने वाला है. हालांकि चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ही पता चल सकेगा कि इन सीटों पर कौन बाजी मार है.