JSSC-CGL की परीक्षा सितंबर में भी नहीं हो पायेगी! आयोग ने फिर अभ्यर्थियों का मजाक बना दिया

Share:

झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी. आयोग झारखंड में कोई भी परीक्षा पारदर्शी तरीके से बिना किसी विवाद के करा ले. नियुक्तियां बिना किसी गड़बड़ी के हो जाये. परीक्षा की तारीख जारी हो और वह किसी दूसरी परीक्षा से न टकरा जाये, यह बात उतनी ही असंभव लगती है जितना कि बांग्लादेश में शांति, पाकिस्तान में डेमोक्रेसी और रूस और यूक्रेन के बीच मैत्री वार्ता. मैं तो कहता हूं कि किसी दिन खगोलीय घटना में हेरफेर से शायद सूरज पश्चिम से उगने लगे लेकिन जेएसएससी बिना विवाद के परीक्षा ले ही नहीं पायेगा.

हमने कितनी कोशिश की है कि जेएसएससी को न छेड़ा जाये. क्यों ही कोसना है. वो अपना काम करें और हम अपना लेकिन, ऐसा संभव नहीं हो पाता. आयोग कोई न कोई कारनाम ऐसा कर जाता है कि हमें कहना पड़ता है. फिर जब हम कहते हैं, तो आयोग कहता है कि देखिए कह रहा है. लेकिन क्या करें. कहना ही पड़ेगा.

अब तो सरकारी नौकरी पर सरकार के डायलॉग भी याद हो गये. यही कि जल्द ही हजारों नियुक्तियां होने वाली है. जेएसएसएसी और जेपीएससी से वेकैंसी आने वाली है. हम 2 महीने में 35,000 नौकरी देंगे. सितंबर में 45,000 सरकारी पदों पर नियुक्ति होगी. 1.5 लाख नौकरी दे दी. 3 लाख और देंगे. और सच क्या है. उनका आयोग 8 साल में 17 बार एक ही परीक्षा को टाल चुका है.

अब देखिए न.आयोग ने सीजीएल परीक्षा की कन्फर्म तारीख जारी कर दी. कहा कि 21 और 22 सितंबर को पक्का परीक्षा लेंगे. अभ्यर्थी तो अभ्यर्थी, हम सब भी खुश हो गये कि चलिए, अब तो कोसना नहीं होगा. आयोग ने तारीफ लायक कोई तो काम किया लेकिन नहीं. पता नहीं किसे हमारी ये खुशी नही सुहाती. थोड़ा कैलेंडर खंगाला. सरकारी वेबसाइटें देखीं और चेहरे पर आई हंसी काफूर हो गई.

पता चला कि जिस 21 औऱ 22 सितंबर को जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा होने वाली है, ठीक उसी समय जेपीएससी वन सेवा पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षा लेगा. ठीक इसी समय सेंट्रल एसएससी की परीक्षा भी होगी और इसी तारीख को यूपीएससी मेंस की परीक्षा भी होगी.

चलिए, यूपीएससी मेंस को छोड़ भी दें तो जिन्हें सीजीएल की परीक्षा देनी है, उनमें से कई लोग सेंट्रल एसएससी और जेपीएससी वन सेवा पदाधिकारी भर्ती परीक्षा में भी शामिल होंगे लेकिन, जेएसएससी ने जैसा शेड्यूल दिया है, कैसे मुमकिन होगा.

हां आयोग के लिए कुछ भी मुमकिन हो सकता है. प्रमोद कुशवाहा को टीचर बनाकर, 5 महीने सेवा लेकर झटके में कह सकता है कि सॉरी टाइपिंग मिस्टेक से आपको जॉब दिया था. अब गुडबॉय कहते हैं. या फिर अनिल दांगी को उसके चयन की सूचना ही नहीं देता और इस बात को 1 साल से ज्यादा वक्त बीत जाता है. आयोग कुछ भी कर सकता है. कभी टाईपिंग मिस्टेक कर सकता है. कभी अभ्यर्थी को मेल या मैसेज भी नहीं भेज सकता है. कभी उसकी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर पेपर लीक हो जाता है तो कभी जिस एजेंसी को खुद ही ब्लैकलिस्ट किया था, उसी को दूसरी परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंप देता है. हो जाता होगा. बहुत बिजी रहते हैं. टेंशन रहता है. भूल गये होंगे.

आखिर में इन तमाम गलतियों को देखने के बाद कह देने का मन करता है कि आयोग का ऑफिस है कि अजायबघर जहां कुछ भी मुमकिन है. अरे इतना बेवकूफ तो बॉलीवुड का सिनेमा भी नहीं बनाता.

जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा की तारीख पहले भी 17 बार टल चुकी है. ये 18वीं बार आयोग ने तारीख जारी की है लेकिन इसमें भी गड़बड़ी है. इस नियुक्ति परीक्षा का विज्ञापन साल 2015 में ही निकला था. 2017 में एक दफे परीक्षा भी हो गई थी लेकिन रद्द कर दी गई. फिर 2018, 2019, 2021 2022, 2023 और फिर 2024 बीतने को है, आयोग परीक्षा ही नहीं ले पा रहा है. कभी पेपर लीक हुआ तो कभी ये परीक्षा दूसरी परीक्षा की तारीख से टकरा गई. कभी नियोजन नीति बदल गई तो कभी सरकार.

जो अभ्यर्थी कभी 22 के थे अब इंतजार में 31 के हो गये. कइयों की शादियां टूटी तो कइयों ने आत्मनिर्भर होने का सपना छोड़ शादी कर ली. लेकिन, आयोग को क्या फर्क पड़ता है. अधिकारी और कर्मियों को वेतन और भत्ता मिल रहा है. मस्त जिंदगी कट रही है. आराम से दफ्तर में बैठे टाइपिंग मिस्टेक कर रहे हैं. इधर, सरकार रोज सरकारी नौकरी का नया-नया आंकड़ा सुना रही है.
क्या कहें. कहब त लग जाई धक्क से…..

Tags:

Latest Updates