वो बड़ी घटानाएं जिसने राज्य की दिशा और दशा बदल दी.
TFP/DESK : साल 2024 खत्म होने को है. यह साल कई घटनाओं की वजह से इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गया. इन घटनाओं से पूरा राज्य प्रभावित हुआ.
झारखंड के साथ-साथ देशभर में भी चर्चा का विषय बना. हम आज इस वीडियो में एक- एक कर उन बड़ी घटनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगें.
सरफराज के इस्तीफे से शुरू हुआ साल
साल की शुरुआत एक इस्तीफे के साथ हुई. गांडेय से झामुमो के तात्कालीन विधायक सरफाराज अहमद ने 31 दिसंबर 2023 को इस्तीफा दे दिया.
यह वही समय था जब कथित जमीन घोटाला केस में ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन पर समन जारी कर रही थी. जैसे ही सरफराज अहमद ने इस्तीफा दिया, चर्चा तेज हो गयी कि ये कल्पना मुर्मू सोरेन के लिए किया गया है ताकि यदि किसी विशेष परिस्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपना पद छोड़ना पड़ा तो कल्पना मुर्मू सोरेन गांडेय उपचुनाव में विधायक निर्वाचित होकर सीएम की कुर्सी संभाल सकें.
31 जनवरी को हेमंत की हुई थी गिरफ्तारी
बीच सरफराज अहमद को त्याग का प्रतिफल भी मिला. वह राज्यसभा भेज दिए गये.
इसी क्रम में दूसरी घटना थी 31 जनवरी 2024 को तात्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी. जिस आशंका की वजह से 31 दिसंबर 2023 को सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलाया गया था वह सच साबित हुई. 31 जनवरी को लंबी पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन गिरफ्तार कर लिए गये.
गिरफ्तारी से पहले चंपाई को सौंपा दी कमान
गिरफ्तारी से पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन, मुख्यमंत्री कल्पना मुर्मू सोरेन नही बनीं.
गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन सीएम पद से अपना इस्तीफा सौंपते है और झामुमो के सबसे वरिष्ठ और सोरेन परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले सरायकेला से पूर्व झामुमो विधायक रहे चंपाई सोरेन के हाथों राज्य की कमान सौंप दी जाती है.
4 मार्च को कल्पना राजनीतिक जीवन में हुई सक्रिय
इधर, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरन की राजनीति में कदम रखती है. 4 मार्च को गिरिडीह में झामुमो के 51वें स्थापना दिवस के मौके पर कल्पना सोरेन की एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री हो गयी. इसी मंच पर उन्होंने अपना पहला भाषण दिया.
कल्पना सोरेन पहली बार चुनाव जीती
इसी बीच लोकसभा का चुनाव आया. इस चुनाव ने कल्पना को एक अलग पहचान दिलाई क्योंकि लोकसभा के साथ गांडेय सीट पर उपचुनाव हुए और कल्पना सोरेन पहली बार विधायक बनी. उन्होंने भाजपा के दिलीप वर्मा को लगभग 27 हजार वोट से मात दिया था.
कल्पना सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की सबसे बड़ी महिला नेत्री बनकर उभरी. कल्पना के इस अंदाज को न केवल झारखंड में अखबारों के पहले पृष्ट पर जगह मिली बल्कि नेशनल मीडिया पर भी एक अच्छी कवरेज मिली.
5 महीने बाद मिली हेमंत को जमानत
पांच महीने बाद हाईकोर्ट कथित जमीन घोटाले में जेल में बंद हेमंत सोरेन को जमानत दे देती है. हेमंत सोरेन जेल से बाहर आते है . जिसके कारण चंपाई सोरेन को सीएप पद की कुर्सी छोड़नी पड़ती है.
चंपाई को छोड़ना पड़ा सीएम की कुर्सी
वहीं कुर्सी छोड़ने से नाराज होकर चंपाई सोरेन झामुमो से खुद को अलग कर लेते है. फिर वे 30 अगस्त को भाजपा में शामिल हो जाते है. जो राज्य से लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहा.
जयराम महतो का राजनीति में उदय
बहरहाल, आगे बढ़ते हैं. इसी बीच झारखंड की राजनीति में जयराम महतो का उदय हुआ जिसने आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में कदम रखा. लगभग 3 लाख वोट लाकर सबको चौंका दिया. उस चुनाव में जयराम गिरिडीह सांसदीय सीट से चुनाव लड़े हालांकि इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में वो डुमरी से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. इस साल की घटनाओं में जयराम ने राज्य से लेकर पूरे देश को अपने ओर केंद्रित किया.
हेमंत ने लगातार दूसरी बार बनाई सरकार
हालिया विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत भी साल की सबसे बड़ी घटना के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गयी. दरअसल, झामुमो के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने झारखंड के चुनावी राजनीति के इतिहास में पहली बार 56 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड जनादेश हासिल किया. वह हेमंत सोरेन ही पहले व्यक्ति बने जिन्होंने लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता में वापसी की.