क्या बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है. क्या एनडीए ने तय कर लिया है कि बीजेपी, जेडीयू, हम, लोजपा और रालोसपा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
क्या, बिहार चुनाव के लिए एनडीए घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति बन गई है.
क्या, बिहार में लोकसभा की तर्ज पर ही विधानसभा चुनाव में भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय किया जा रहा है. क्या, सीट शेयरिंग पर एनडीए के घटक दलों के बीच सारे मसले सुलझा लिए गये हैं. क्या, भारतीय जनता पार्टी इस बात पर सहमत हो गई है कि वो जेडीयू के मुकाबले कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी. क्या, चिराग पासवान की लोजपा की सारी मांगें मान ली गयी है.
क्या, हम और रालोसपा उनको दी जा रही सीटों से सहमत हैं.
इन तमाम सवालों का जवाब हम इस वीडियो में जानने का प्रयास करेंगे. बिहार चुनाव में अब 4 महीने से भी कम समय बचा है और इसलिए प्रदेश में सियासी हलचल भी तेज हो गयी है.
लोकसभा के तर्ज पर होगा सीटों का बंटवारा
सियासी जानकारों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला करीब-करीब तय हो गया है. बिहार विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला दरअसल, पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव पर ही आधारित होगा.
मसलन, लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 17 सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशी उतारा था वहीं जेडीयू के हिस्से 16 सीट आई थी. एलजेपी को 5 सीटें मिली थी जबकि हम और रालोसपा 1-1 सीट पर चुनाव लड़े थे.
चूंकि, लोकसभा में बीजेपी, जेडीयू के मुकाबले 1 ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ी थी इसलिए विधानसभा चुनाव में जेडीयू, बीजेपी के मुकाबले 1 या 2 ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ सकती है. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और यदि लोकसभा का फॉर्मूला अपनाया गया तो समीकरण कुछ यूं बैठेगा. भारतीय जनता पार्टी 101 सीट पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है.
जेडीयू 102 या 103 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. बाकी की बची 40 सीटों पर चिराग पासवान की लोजपा, जीतनराम मांझी के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अपने-अपने उम्मीदवार उतारेगी लेकिन, सवाल है कि इन 40 सीटों में से कितनी, किस पार्टी के हिस्से में आयेगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां देखा जायेगा कि किस पार्टी के खाते में कितनी सीटें जायेगी और यहां पलड़ा लोजपा (रामविलास) का भारी है.
लोजपा और हम पार्टी को कितनी सीटें मिलेगी
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में 5 सीट जीतने वाली लोजपा (रामविलास) को 25-28 सीटें दी जायेंगी. हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि चिराग पासवान ने कम से कम 40 सीटों पर दावेदारी की है.
वहीं हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा को 6-7 जबकि उपेंद्र कुशवाहा को 4-5 सीटें मिल सकती है.
कुल मिलाकर एनडीए में बड़े और छोटे दलों के बीच सीट शेयरिंग में बैलेंस बनाकर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. एनडीए में शामिल सभी दलों ने इस बात की भी तस्दीक कर दी है कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे.
दरअसल, पहले उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर सीएम पद पर अटकलें थीं.
2020 के विधानसभा चुनाव में क्या था फॉर्मूला
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 110 सीटों पर चुनाव लड़ी और 74 में जीत हासिल की. जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज 43 सीट ही जीत पाया. तब जेडीयू के नेताओं ने इसके लिए चिराग पासवान की लोजपा को जिम्मेदार ठहराया था.
दरअसल, तब लोजपा, एनडीए का हिस्सा नहीं थी और चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे. जेडीयू नेताओं ने चुनाव परिणाम आने पर कहा था कि लोजपा ने उनको कम से कम 45 सीटों पर गंभीर नुकसान पहुंचाया.
खैर! लोजपा (रामविलास) अभी एनडीए का हिस्सा है और चिराग पासवान कह चुके हैं कि बिहार में सीएम पद की वेकैंसी खाली नहीं है क्योंकि वह जगह नीतीश कुमार के लिए तय हो चुकी है.
2020 में भी एनडीए का हिस्सा रहे हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा ने 7 उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाया और 4 पर जीत हासिल की.
तब मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी एनडीए का हिस्सा थी और 13 सीटों पर लड़कर 4 सीटों पर जीती थी.
महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर मंथन जारी
महागठबंधन में अभी सीट शेयरिंग को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी और 75 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस पार्टी 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 सीट जीती. सीपीआई (मार्क्सिस्ट) 4 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2 सीटों पर जीत दर्ज की. सीपीआई 6 सीट पर लड़ी और 2 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही.
पिछले दिनों चर्चा थी कि आरजेडी कम से कम 125 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. वह कांग्रेस को 70 सीट देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि कांग्रेस पिछली बार केवल 19 सीट ही जीत पाई थी और उसका स्ट्राइक रेट बेहद खराब था.
कहा जा रहा है कि इसकी जगह वामदलों को ज्यादा सीटें दी जा सकती है जिनका स्ट्राइक रेट अच्छा था.
बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ चुकी है.
धीरे-धीरे दलों के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बातचीत भी शुरू हो जायेगी. दलों के अपने दावे होंगे वहीं गठबंधन में शामिल होने या इससे बाहर जाने का सिलसिला भी शुरू होगा. देखना दिलचस्प होगा कि बिहार चुनाव की तस्वीर कैसी होगी.