पत्रकार मुकेश चंद्राकर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है.
पता चला है कि हत्यारों के हमले में उनके सिर पर 15 फ्रैक्चर हो गये. 5 पसलियां टूट गयी थीं. लीवर के 4 टुकड़े हो गये थे. मुकेश चंद्राकर का दिल फट गया था. गर्दन टूट गयी थी. शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोट के गहरे निशान मिले.
मुकेश चंद्राकर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के रहने वाले थे.
वह एनडीटीवी के लिए काम करने के अलावा बस्तर जंक्शन नाम से अपना यूट्यूब चैनल चलाते थे. मुकेश चंद्राकर की पहचान अति नक्सल प्रभावित बस्तर के इलाके में जनपक्षीय पत्रकारिता करने के लिए थी.
वह 2021 में सीआरपीएफ के जवान को माओवादियों के चंगुल से छुड़ाकर लाने के लिए भी जाने जाते थे.
कहा जाता है कि स्थानीय ठेकेदार सुरेश चंद्रकार के भ्रष्टाचार का खुलासा करने की वजह से उनकी जान चली गयी. 3 जनवरी को मुकेश का शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के आवासीय अहाते में बने सेप्टिक टैंक से मिला था.
मुकेश पर 2 से ज्यादा लोगों ने हमला किया
28 साल के पत्रकार सुरेश चंद्राकर का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी ऐसा केस नहीं देखा. डॉक्टरों का कहना है कि मुकेश चंद्राकर पर हमला करने वालों में 2 से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं.
पुलिस ने इस केस में मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को गिरफ्तार कर लिया है.
सुरेश चंद्राकर, खुद को समाजसेवी और उद्दमी बताता है. वह कांग्रेस पार्टी में शामिल है. सुरेश चंद्राकर को 6 जनवरी को तड़के हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. इससे पहले उसके सगे भाइयों दिनेश और रितेश चंद्राकर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि सुरेश चंद्राकर और मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर आपस मे रिश्तेदार भी हैं.
24 दिसंबर को ठेकेदार के खिलाफ की थी रिपोर्ट
गौरतलब है कि 24 दिसंबर 2024 को मुकेश चंद्राकर ने राष्ट्रीय न्यूज चैनल एनडीटीवी के लिए एक रिपोर्ट की थी. यह रिपोर्ट बीजापुर के गंगालूर से नेलशनार तक बनने वाली सड़क के बारे में थी.
इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि 120 करोड़ रुपये की लागत वाली इस सड़क की गुणवत्ता काफी खराब है.
इसमें घटिया सामग्री का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. गंगालूर से हिरौली तक में ही सड़क पर 35 से ज्यादा गड्ढे थे. यह 1 किमी का ही इलाका था. यह सड़क, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ही बनवा रहा था.
1 जनवरी की शाम को लापता हो गये थे मुकेश चंद्राकर
बताया जाता है कि 1 जनवरी की शाम को ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई दिनेश ने मुकेश को खाने पर बुलाया था.
मुकेश के भाई यूकेश बताते हैं कि 1 जनवरी की शाम को ही उन्होंने आखिरी बार मुकेश से बात की थी. जब वह 2 जनवरी की सुबह तक भी घर नहीं लौटे तो अनहोनी की आशंका हुई.
लोकेशन खंगाला तो यह सुरेश चंद्राकर के मजदूरों के लिए बने कंपाउंड का दिखा रहा था लेकिन उनका फोन ऑफ था.
उन्होंने पुलिस को शिकायत की.
पुलिस ने त्वरित जांच शुरू की. जब वह मुकेश चंद्राकर के आखिरी मोबाइल लोकेशन पर पहुंचे तो अहाते में सेप्टिक टैंक के ऊपर कंक्रीट की ताजा ढलाई देखी. शक होने पर खुदाई कराई तो मुकेश चंद्राकर का शव मिला.