झारखंड में बहुत जल्द पेसा कानून प्रभावी रूप से लागू हो जायेगा.
पेसा कानून की नियमावली को अंतिम रूप दिया जा चुका है. पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने इसकी जानकारी दी. बताया कि महाधिवक्ता की कानूनी राय मिलने के बाद विभाग ने कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है.
इसे जल्द ही कैबिनेट से स्वीकृति मिलने की उम्मीद है.
पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने बताया कि वर्ष 2017 में ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में अंतिम फैसला दिया था. इसके तुरंत बाद ही नियमावली गठन की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी लेकिन कुछ लोगों ने इस बारे में भ्रम फैलाया.
पंचायती राज निदेशक ने बताया कि माननीय हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी झारखंड पंचायती राज अधिनियम को पेसा क्षेत्र के लिए पूरी तरह से वैध माना था. इसे पेसा-1996 के अनुकूल भी माना गया.
पंचायती राज निदेशक ने दी जानकारी
पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने जानकारी दी है कि पेसा नियमावली के प्रारूप को अगस्त 2023 में प्रकाशित किया गया था. इसके बाद 400 से ज्यादा सुझाव मिले. इनमें से 147 नियमसंगत सुझावों का स्वीकार किया गया और जरूरी संशोधन किए गये.
फिर महाधिवक्ता से पेसा नियमावली पर उनका मंतव्य मांगा गया.
बाकी अन्य 14 विभागों से भी राय मांगी गयी. उन्होंने बताया कि झारखंड में कुछ लोगों द्वारा पेसा को पीपेसा नियमावली कहा गया. उन्होंने कहा कि ऐसा कह कर लोगों को दिग्भ्रमित किया गया.
क्या है पेसा कानून
पेसा कानून के जरिये संविधान की 5वीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुरूप असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम सहित तमाम जनजातीय बहुल इलाकों में आदिवासियों के अधिकार संरक्षित किया जाता है.
संविधान की 5वीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान करती है.
गौरतलब है कि 5वीं अनुसूची के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना को अधिसूचित किया गया है. इन राज्यों में किसी को पूरा तो किसी को आंशिक रूप से कवर किया जाता है.
इस कानून के जरिये अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभा के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित किया जाता है.
झारखंड में लंबे समय से इसकी मांग की जाती रही है. हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल में उन्हीं की पार्टी के विधायक लोबिन हेम्ब्रम पेसा कानून को लागू करने की मांग को लेकर सरकार विरोधी स्टैंड लेते रहे. मौजूदा सरकार में मंत्री दीपक बिरुआ भी पेसा कानून के हिमायती रहे हैं.
अब देखना होगा कि झारखंड में यह किस रूप में लागू होता है.