पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय में केंद्र सरकार अपना अंशदान घटाएगी. प्रतिवर्ष इसमें 10 से 20 फीसदी तक कटौती हो सकती है. अभी समग्र शिक्षा अभियान में केंद्र सरकार करीब 2300 करोड़ रुपे देती है.
पारा शिक्षकों के मानदेय में 600 रुपये दिए जाते हैं. इसमें 10-20 फीसदी तक कटौती हो सकती है.
इसका मतलब ये हुआ कि राज्य के खजाने पर दबाव बढ़ेगा. बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने पहले ही राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि पारा शिक्षकों की अवधारणा खत्म करना है. ऐसे में राज्य सरकारों ने पारा टीचर का नाम बदलकर सहायक अध्यापक कर दिया.
2025-26 के वित्तीय वर्ष के लिए पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय मद में कटौती की पूरी संभावना है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 19 फरवरी को प्री प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक बुलाई है. झारखंड सरकार की ओर से इसमें दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा होगी. केंद्र किस मद में कितनी राशि देगा वह भी बताया जाएगा.
मार्च के पहले हफ्ते में में होने वाली बैठक में अंतिम रूप से झारखंड को मिलने वाली राशि तय होगी.
झारखंड के राजस्व पर दबाव बढ़ेगा
गौरतलब है कि यदि केंद्र सरकार अपने मद में कटौती करती है तो राज्य सरकार पर भार बढ़ेगा.
बता दें कि राज्य सरकार नवंबर 2014 से 58,000 पारा शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ दे रही है. इसमें 1950 रुपये राज्य सरकार देती है. वहीं, अगस्त 2024 के समझौते के मुताबिक पारा शिक्षकों का मानदेय 1000 रुपये बढ़ाना है.
यह राशि भी राज्य सरकार वहन करेगी.
पारा शिक्षक वेतनमान की मांग कर रहे हैं
झारखंड में इस समय कम से कम 60 हजार पारा शिक्षक कार्यरत हैं.
दावा है कि प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन सहित गैर शैक्षणिक काम भी पारा शिक्षकों के भरोसे है. पारा शिक्षक लंबे समय से नियमित करने और वेतनमान के साथ इसमें वृद्धि की मांग कर रहे हैं. पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार हो या मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार, पारा शिक्षकों ने स्थायीकरण और वेतनमान की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किया है.
स्थायीकरण और वेतनमान की खातिर राज्य सरकार आकलन परीक्षा ले रही है. मानदेय वृद्धि के तहत जो राशि बढ़ाई गयी थी वह भी अभी पारा शिक्षकों को नहीं मिल पाई है.