राजस्थान सरकार ने सोमवार (3 फरवरी) को विधानसभा में राजस्थान गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक पेश किया. इस बिल में जबरन धर्मांतरण पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
गौरतलब है कि इस केस में सभी अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती होंगे.
बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. संबंधित जिले के जिला प्रशासन द्वारा आपत्तियां आमंत्रित की जायेगी. इसका विवरण नोटिस बोर्ड पर लगाया जायेगा.
लव जिहाद को रोकने के लिए लाए बिल
गौरतलब है कि पिछले साल एक इंटरव्यू में राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा था कि ये बिल जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए लाया जा रहा है.
यह बिल विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के बीच धर्मांतरण को रोकने और लव जिहाद जैसे मामलों पर नियंत्रण करने के लिए लाया जा रहा है.
इन 11 राज्यों में है धर्मांतरण विरोधी बिल
यदि यह बिल सदन में पास हो जाता है तो राजस्थान उन 11 राज्यों में शामिल हो जायेगा जहां जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून हैं.
गौरतलब है कि राजस्थान से पहले ओडिशा, अरुणांचल प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून मौजूद है.
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सबको है
भजन लाल शर्मा ने इस कानून का औचित्य समझाते हुए कहा कि संविधान प्रत्येक नागरिक को अपना धर्म मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार-प्रसार करने का मौलिक अधिकार देता है लेकिन किसी की अंतर्रात्मा और धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार को धर्मांतरण के सामूहिक अधिकार के रूप में नहीं समझा जा सकता.
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार जितना धर्मांतरण करने वाले आदमी के पास है उतना ही धर्मांतरित होने वाले व्यक्ति के पास भी है. किसी भी व्यक्ति को जबरन धर्मांतरण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
इसके लिए किसी को प्रलोभन नहीं दिया जा सकता.
सरकार ने कहा कि ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहां भोले-भाले लोगों को भ्रम में डालकर, जबरन, अनुचित प्रभाव, दबाव अथवा प्रलोभन देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया.
गौरतलब है कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार संबंधी कानून वैसे तो विभिन्न राज्यों में पहले से मौजूद था लेकिन राजस्थान में इस विषय पर कोई कानून नहीं था.
सरकार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को नगद पैसे, भौतिक लाभ, रोजगार, मुफ्त शिक्षा या बेहतर जीवनशैली का प्रलोभन देकर धर्मांतरण नहीं किया जा सकता.
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए विवाह को शून्य घोषित कर दिया जायेगा.