हेलो!!! मैं अभिराज शुक्ला बोल रहा हूं. ट्राई का अधिकार हूं. आपके रजिस्टर्ड नंबर से जनता को अवैध विज्ञापन और भ्रामक संदेश भेजे जा रहे हैं. आप पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस है.
अनजान नंबर से ऐसा ही कोई कॉल यदि आपको भी आया और आपने गलती से भी इसे रिसीव कर लिया तो अपनी गाढ़ी कमाई लुटा बैठेंगे. जैसे कि रांची के बरियातू में रहने वाले एक रिटायर्ड अधिकारी ने लुटा दी. रांची में एक ठगी हुई है. हजारों या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में. पूरे 2.27 करोड़ रुपये महज एक फोन कॉल से लूट लिये. मामला क्या है विस्तार से जानिये.
आज कल साइबर ठगी और धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे है. साइबर ठग लोगों को अपनी चंगुल में फंसाने के लिए नई-नई तरकीब अपना रहे हैं. इसी कड़ी में एक शब्द खूब सुर्खियों में है.
pm मोदी भी कर चुके है आगाह
डिजिटल अरेस्ट. आप हर रोज डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी खबरें सुनते ही होंगे. डिजिटल अरेस्ट इतना भयानक है कि पीएम मोदी भी अपने मन की बात कार्यक्रम में इसके बारे में लोगों को चेतावनी दे चुके हैं. लेकिन डिजिटल अरेस्ट से जुड़ा ताजा मामला रांची के बरियातु इलाके से सामने आया है.
11 दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट
यहां एक रिटायर अधिकारी को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाकर 11 दिनों तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा. यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़िता ने मामले की शिकायत सीआईडी के साइबर थाने और साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज कराई.
आखिर डिजिटल अरेस्ट क्या है? इस तरह के मामले आए दिन तेजी से क्यों बढ़ रहे है? क्या इसे रोकने के भी कोई उपाय है?
10 दिसंबर 2024. पीड़ित के मोबाइल नंबर पर कॉल आता है. फॉन पर सामने वाले व्यक्ति ने खुद का नाम अभिराज शुक्ला बताया और कहा कि वो ट्राई का अधिकारी है. पीड़ित से कहता है उनके खिलाफ उनके रजिस्टर्ड नंबर और लोकेशन पर कंप्लेन है. साथ ही बताया जाता है कि उनके नंबर से जनता को अवैध विज्ञापन और भ्रामक संदेश भेजने का आरोप है.
लेकिन जब पीड़ित ने उस नंबर को गलत बताया तो उन्हें अरेस्ट करने की धमकियां दी जान लगी. पीड़ित को डरा देख ठगों ने मदद का भरोसा दिलाते हुए साइबर क्राइम ब्रांच दिल्ली में फोन ट्रांसफर करने कि बात कही. क्राइम ब्रांच दिल्ली का अधिकारी पूनम गुप्ता ने पीड़िता को डराकर, घर में मोबाइल कैमरा के सामने रहने को कहा.
मिली जानकारी के मुताबिक फोन करने वाले ने विभाग के उच्च पदाधिकारी तथाकथित आईपीएस समाधान पवार से संपर्क करवाया. इसके बाद 11 दिन तक लगातार वीडियो कॉल के माध्यम से धमकाया गया और वीडियो कॉल बंद नहीं करने को कहा गया. साइबर ठगों ने पीड़ित को अपने झांसे में लेकर कहा कि वे उनकी मदद से असल अपराधी को पकड़ेंगे.
मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद पूनम और समाधान के द्वारा पैसे की मांग की गई. पीड़ित ने पैसे देने का कारण पूछा तो ठगों ने कहा कि यह मनी लाउंड्रिंग का केस है. इसलिए अकाउंट का सर्विलांस करना है. जिसके लिए अकाउंट को खाली करना होगा. पीड़ित ने डर से ठगों द्वारा दिए गए बैंक विवरण पर अपने और अपनी पत्नी के खाते से 2.27 करोड़ रूपए ट्रांसफर कर दिए.
CID के साइबर थाने में की शिकायत
लेकिन जब पीड़ित को अहसास हुआ तो उन्होंने ठग के मोबाइल नंबर पर कॉल किया लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया. बाद में उनके नंबर को ब्लॉक भी कर दिया गया.
जिसके बाद रिटायर अधिकारी ने मामले की शिकायत सीआईडी के साइबर थाने और साइबर क्राइम कंट्रोल नंबर 1930 पर की है.साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट
बहरहाल, अब बताते है ये डिजिटल अरेस्ट क्या होता है. डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्कैम है. डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्ली या मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास से बात करते हैं. वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब कनेक्टर करते हैं तो आपको फर्जी अधिकारी एकदम असली से लगते हैं.
वे लोग पीड़ित इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं. यकीन दिलाते हैं कि उनके सा उनके परिजन के साथ कुछ बुरा हो चका है या होने वाला है. सामने बैठा व्य क्ति पुलिस की वर्दी में होता है, ऐसे में ज्या दातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं.
आसान भाषा में कहे तो डिजिटल अरेस्ट में फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को डरा-धमकाकर बड़ी रकम वसूली करते है.
कैसे बरतें सावधानी?
अब आपको बताते है डिजिटल अरेस्ट से कैसे आप सावधानी बरत सकते हैं.
पहला तो अगर आपको किसी अनजाने नंबरो से कॉल आते है और आपसे कहते है कि वे सरकारी एंजेसियों के अधिकारी है. तो आप कॉल तुरंत कट कर दे.
दूसरा किसी भी तरह की व्यक्तिगत जानकारी शेयर न करें, जैसे बैंक खाता नंबर, क्रेडिट कार्ड की जानकारी या पासवर्ड.
तीसरा शांत रहे, अगर आप दबाव महसूस करते हैं तो तुरंत कॉल कट कर दें.
चौथा साइबर पुलिस को सूचित करें और तुरंत 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं.