दशरथ मांझी

राहुल गांधी ने माउंटेन मैन दशरथ मांझी के परिजनों से की मुलाकात

|

Share:


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बिहार दौरे पर हैं. आज राहुल गांधी ने गया जिले के गहलौर गांव में माउंटेन मैन के नाम से विख्यात दशरथ मांझी के परिवार से मुलाकात की. राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के परिवार के साथ बातचीत की और उनकी समस्याओं से रूबरू हुये.

इस मुलाकात से संबंधित तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें राहुल गांधी मुलाकात के बाद स्वर्गीय दशरथ मांझी के घर से निकल रहे हैं और उनके परिवार के सदस्यों का हाथ पकड़ रहा है. गौरतलब है कि दशरथ मांझी मुसहर जाति से संबंधित थे और दलित समुदाय से आते थे.

कुछ महीनों में बिहार में चुनाव होने वाला है और जातीय सर्वेक्षण की घोषणा के बाद दलितों का समर्थन सियासी दलों के लिए अहम होने वाला है. राहुल गांधी द्वारा दशरथ मांझी के परिवार से की गई मुलाकात को भी कांग्रेस पार्टी द्वारा दलित समुदाय के बीच जनाधार बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

गौरतलब है कि दशरथ मांझी ने 22 साल तक लगातार पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था. इस वजह से उनको माउंटेन मैन कहा गया.

 

गया के गहलौर गांव में है दशरथ मांझी मार्ग
दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर जो रास्ता बनाया था उसे अब दशरथ मांझी मार्ग के नाम से जाना जाता है.

विडंबना देखिए कि जिस रास्ते को अकेले दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर बना दिया वहां एक अदद पक्की सड़क बनाने में सरकार को वर्षों लग गये. दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित एक बॉलीवुड फिल्म भी बनी थी जिसका नाम था मांझी: द माउंटेन मैन. इस फिल्म में दशरथ मांझी का किरदार मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी ने निभाया था वहीं उनकी पत्नी फगुनिया का किरदार अभिनेत्री राधिका आप्टे ने निभाया था.

कहते हैं कि गहलौर गांव को बाजार से जोड़ने के लिए रास्ता बनाने की मांग दशरथ मांझी ने तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी की थी.

 

दशरथ मांझी ने 22 साल तक पहाड़ काटकर बनाया रास्ता
दरअसल, दशरथ मांझी की गर्भवती पत्नी पहाड़ों से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गयी थीं.

गांव से शहर तक जाने के लिए इसी पहाड़ से होकर गुजरना पड़ा था. कोई रास्ता नहीं था जिसकी वजह से दशरथ मांझी अपनी पत्नी फगुनिया को अस्पताल नहीं ले जा सके और उन्होंने दम तोड़ दिया. तभी दशरथ मांझी ने ठान लिया था वह पहाड़ काटकर रास्ता बना देंगे.

उनके संकल्प को लोगों ने पागलपन कहा लेकिन वह डटे रहे और आखिरकार 22 वर्षों के अथक परिश्रम से उन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया.

Tags:

Latest Updates