अडाणी पावर प्लांट

अडाणी पावर प्लांट में रैयतों से नौकरी के नाम पर धोखा, आंदोलनकारियों के दावों में कितना दम!

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क्या अडाणी पावर प्लांट ने गोड्डा के नागरिकों के साथ छल किया है.

क्या अडाणी पावर प्लांट ने गोड्डा निवासियों को धोखा दिया है. क्या अडाणी पावर प्लांट ने गोड्डा के नागरिकों को अपना काम निकल जाने के बाद उसी तरह निकाल फेंका है जैसे कोई दूध में गिरी मक्खी को फेंकता है. क्या अडाणी ने भी आखिरकार वही किया जो अतीत में अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियां करती आई है. जिनकी जमीनों पर अडाणी ने पावर प्लांट बनाया.

जिनकी जमीन पर अडाणी ने मुनाफे का एक और साम्राज्य खड़ा किया. जिन लोगों ने राज्यहित में अपनी जमीनें अडाणी को दी, उनके साथ सदी का सबसे बड़ा धोखा किया गया है.

क्या, राज्यहित में किए त्याग की कीमत अब गोड्डा के लोग प्रदूषण, विस्थापन, गरीबी और पलायन जैसे संकट से चुकाएंगे.

चिलचिलाती धूप में एक हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे रैयत
आखिर क्यों चिलचिलाती धूप में अडाणी पावर प्लांट के बाहर 200 से ज्यादा लोग पसीने में तर-बतर अपना गला दुखा रहे हैं. वे क्या चाहते हैं. ये कौन लोग हैं जिन्होंने अडाणी पावर प्लांट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

क्या, झारखंड, झारखंडी औऱ झारखंडियत की बात करने वाली आबुआ सरकार ने भी गोड्डा के साथ छल किया है. यदि नहीं तो कैसे, जब अडाणी पावर प्लांट के बाहर लोग अपना सबकुछ छिन जाने का गम मना रहे थे तभी गठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन, गौतम अडाणी के साथ मुख्यमंत्री आवास में मुस्कुराते हुए मिल रहे थे.

आखिर क्यों गोड्डा में 200 से ज्यादा लोगों ने अडाणी पावर प्लांट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

क्यों ये लोग कह रहे हैं कि गोड्ड़ा में बनी बिजली से बांग्लादेश रौशन होगा. बांग्लादेश को रौशनी मिलेगी. अडाणी को अकूत धन और गोड्डा और उसके लोगों के हिस्से केवल अंधेरा आया है. घनघोर अंधेरा.

आंदोलन की वजह बताते हुए क्यों खीझने लगे गोड्डा के रैयत
अडाणी पावर प्लांट के बाहर बीते सोमवार से ही 200 से ज्यादा लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

इनकी मांग है कि जिस पावर प्लांट की स्थापना के लिए इन्होंने अपनी जमीनें दी थीं, उसी प्लांट में इनको स्थायी नौकरी दी जाये. यूं तो यह बात महज एक लाइन की लगती है लेकिन मुद्दे की गहराई में उतरेंगे जो जानेंगे कि इस ताजा घटना के पीछे दरअसल, वादाखिलाफी, धोखेबाजी, विश्वासघात और चालबाजी की लंबी फेहरिश्त है.

यह सबकुछ प्लांट की स्थापना की कवायद के समय से ही शुरू हो गया था. कैसे?

इस बात को समझने के लिए हमने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. कुछ कर्मचारी और स्थानीय लोगों से बातचीत की. निजता और सुरक्षा का खयाल करते हुए हम यहां उन लोगों के नामों का जिक्र नहीं करेंगे लेकिन, पूरी बात समझाएंगे.

अडाणी पावर प्लांट ने नौकरी के बदले ली थी 5.50 लाख रुपये
करीब 10 साल पहले अडाणी पावर प्लांट की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित की गयी.

स्थानीय रैयतों से कहा गया कि यहां पावर प्लांट की स्थापना के लिए आपकी जमीनें चाहिए. जमीन के बदले वाजिब मुआवजा दिया जायेगा. स्थानीय रैयतों ने कहा कि जमीन के बदले मुआवजा तो आप देंगे ही, लेकिन हमारी खेतिहर जमीन आप ले रहे हैं.

हम किसान हैं तो हमारी आजीविका कैसे चलेगी. मुआवजे की राशि से पूरी जिंदगी परिवार तो नहीं पलेगा. बेहतर होगा कि आप हमें मुआवजे के साथ-साथ अपने प्लांट में ही कम से कम एक अदद नौकरी दे दीजिए.

कंपनी ने नौकरी की मांग पर हामी तो भर दी लेकिन एक शर्त रख दिया. अडाणी कंपनी के अधिकारियों ने लोगों से कहा कि जो रैयत, जमीन के बदले मुआवजे के साथ नौकरी भी चाहते हैं, उनको हमारी एक बात माननी होगी. कंपनी ने रैयतों को ऑफर दिया कि या तो आप जमीन का पूरा मुआवजा लीजिए और अगर नौकरी चाहिए तो मुआवजे की कुल राशि में से 5.50 लाख रुपये छोड़ना होगा.

मसलन- यदि किसी रैयत को जमीन के बदले 20 लाख रुपये मिलने हैं तो उसे 14.50 लाख रुपये ही मिलेंगे. कुल जमा बात ये है कि नौकरी के बदले कंपनी को 5.50 लाख रुपये चुकाने होंगे.

रैयतों का कहना है कि हमें लगा पूरी जिंदगी नौकरी का मामला है. स्थायी नौकरी मिल रही है. तो उन्होंने मुआवजे की राशि में 5.50 लाख रुपये छोड़ दिए. रैयतों को मुआवजे के साथ नौकरी तो मिली लेकिन साथ ही मिला झटका.

इनोव नाम की आउटसोर्सिंग कंपनी में रैयतों को दी गयी नौकरी
दरअसल, रैयतों को अडाणी पावर प्लांट में सीधी स्थायी नियुक्ति की बजाय इनोव नाम की आउटसोर्सिंग कंपनी में अस्थायी नौकरी दी गयी. जब रैयतों ने सवाल उठाये तो कंपनी ने कहा कि अभी आपके पास प्लांट में काम करने के लिए जरूरी स्किल और एक्सपीरियंस नहीं है.

आपलोग कम से कम 2 साल तक इनोव में काम करिए. नौकरी के दौरान ही आपको ट्रेनिंग भी देंगे. आपकी इंटर्नशिप भी कराई जायेगी. जैसे ही आप ट्रेनिंग पूरी कर लेंगे. काम का एक्सपीरियंस हासिल कर लेंगे, तुरंत अडाणी पावर प्लांट में शिफ्ट कर दिया जायेगा.

रैयतों ने बताया कि उन्होंने कंपनी की यह बात भी मान ली.

रैयतों का आरोप है कि उनको 6 माह को जो ट्रेनिंग दी गयी वह फर्जी थी. क्योंकि, जब वे लोग ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट लेकर अडाणी पावर प्लांट पहुंचे तो कहा गया कि इसकी वैल्यू नहीं है.

रैयतों ने एक और सनसनीखेज आरोप लगाया है. रैयतों अथवा कर्मचारियों का कहना है कि उनकी बिना सहमति लिए उनका दाखिला आईटीआई में करा दिया गया. 2 साल की जगह 3 साल का कोर्स कराया गया. उनको इंटर्नशिप भी कराई गयी लेकिन सब फर्जी.

दरअसल, रैयतों का दावा है कि उन्होंने फिटर सेक्शन में इंटर्नशिप किया लेकिन सर्टिफिकेट उनको इलेक्ट्रिकल का दिया गया. इंटर्नशिप 1 साल का था लेकिन 2 साल का सर्टिफिकेट मिला.

रैयतों का कहना है कि जब उन्होंने अलग-अलग वेबसाइट पर जाकर इंटर्नशिप और ट्रेनिंग कोर्स की वैधता जांची तो पता चला कि कहीं भी इसकी मान्यता नहीं है. उनको सालों तक केवल बरगलाया गया.

ईनोव कंपनी ने ईमेल भेजकर रिद्धि में शिफ्ट किए जाने की जानकारी दी
रैयतों का कहना है कि हद तो तब हो गयी जब उनको पिछले दिनों इनोव कंपनी से ईमेल आया.

ईमेल में लिखा था कि उन्हें रिद्धि नाम की एक दूसरी कंपनी में शिफ्ट किया जा रहा है. रिद्धि भी एक आउटसोर्सिंग कंपनी है. इसमें भी बड़ा झोल है. रैयतों अथवा कर्मचारियों का कहना है कि करीब 200 कामगारों ने इनोव कंपनी में जिस सेक्शन में काम किया था, रिद्धि कंपनी में उससे अलग काम उन लोगो को अलॉट किया गया है. रैयतों ने इसे धोखा बताया है.

उनका साफ कहना है कि हमने जमीन अडाणी कंपनी को दी थी. नौकरी का वादा अडाणी ने किया था तो उनको पावर प्लांट की जगह कभी इनोव तो कभी रिद्धि नाम की आउटसोर्सिंग कंपनी में क्यों इनरॉल किया जा रहा है?

ये तो सरासर नाइंसाफी है. ये आउटसोर्सिंग कंपनियां कब भाग जाएंगी कौन जानता है.

रैयतों का ये भी कहना है कि अब, जब उन्होंने अडाणी पावर प्लांट में ही स्थायी नौकरी की मांग उठाई है तो उनसे कहा जा रहा है कि बीटेक डिग्री होगी तभी प्लांट में काम मिलेगा. रैयतों का दावा है कि जमीन का अधिग्रहण करते समय उनको ऐसे किसी भी शर्त के विषय में नहीं बताया गया था.

रैयतों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी पर भी लगाए गंभीर आरोप
रैयतों ने पावर प्लांट में स्थायी नौकरी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

उनका कहना है कि हमें धोखा मिला है. इनका आरोप है कि गोड्डा पावर प्लांट के वरीय अधिकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन के सहयोग से उनको धमका रहे हैं.

सोमवार की देर शाम को स्टेशन हेड प्रसून चक्रवर्ती और सीओ की ढाई घंटे लंबी मीटिंग हुई.

मीटिंग के बाद सीओ साहब ने हमें प्लांट के मुख्य दरवाजे से हट जाने का अल्टीमेटम दिया. रैयतों का यह भी आरोप है कि पुलिस उनके घर पर फोन करके अभिभावकों को डराती-धमकाती है. कहती है कि धरना प्रदर्शन खत्म करो वरना केस दर्ज करके जेल में डाल दिया जायेगा.

विरोध प्रदर्शन कर रहे रैयतों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका दावा है कि अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन वे लोग बीडीओ को देना चाहते थे लेकिन उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया.

उनको लगातार ड़राया-धमकाया जा रहा है.

प्रदीप यादव ने उठाया था प्लांट में अनियमितता का मुद्दा
गौरतलब है कि हालिया संपन्न विधानसभा के बजट सत्र में पोडैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने दस्तावेजों के जरिये साक्ष्यों के साथ यह कहा था कि अडाणी पावर प्लांट की स्थापना में बड़े पैमाने पर धांधली की गई.

भूमि का अधिग्रहण गलत तरीके से हुआ.

रैयतों को जमीन का सही मुआवजा नहीं मिला. नहर, गोचर और श्मशान भूमि का भी अधिग्रहण कर लिया गया.

स्थानीय लोगों को प्लांट में नौकरी नहीं मिली. यहां तक कि जमीन के अधिग्रहण में संताल परगना टेनेंसी एक्ट यानी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन भी किया गया है.

प्रदीप यादव की शिकायत पर हेमंत सोरेन सरकार ने मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमिटी का गठन भी किया था.

हालांकि, इस बीच अडाणी ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन गौतम अडाणी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच आत्मीय मुलाकात की तस्वीरें सामने आ गयी.

गौर कीजिए कि ये वही गौतम अडाणी हैं जिनकी पिछले करीब 4 साल से राहुल गांधी पानी पी-पीकर आलोचना कर रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी और केंद सरकार को अडाणी का नाम लेकर घेरा जाता है. मुख्यमंत्री चुनाव से पहले चुनावी रैलियों में कहते हैं कि यदि भाजपा की सरकार बनी तो झारखंडियों की जमीन पर अडाणी का कब्जा होगा.

अब उसी अडाणी के पावर प्लांट के बाहर जमीन गंवा चुके लोग नौकरी की मांग लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और राजधानी में उद्योगपति और राजनेता का अनुपम मेल हो रहा है.

इन प्रदर्शनकारियों को उनका हक मिलेगा या नहीं.

रैयतों को नौकरी मिलेगी या नहीं. रैयतों को मिलने वाले मुआवजे से करीब 5.50 लाख रुपये की कटौती भी कर ली गयी. कहा था कि नौकरी देंगे. उनको अस्थायी नौकरी मिली वह भी आउटसोर्सिंग कंपनी के जरिये अस्थायी वाली.

कब खदेड़ दिए जाएंगे कोई नहीं जानता. वे प्रदर्शन के सिवा कर भी क्या सकते हैं. बाकी आप मुलाकातें देखते रहिये.

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