झारखंड में विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच चंपाई सोरेन झारखंड की राजनीति में फिलहाल सबसे हॉट टॉपिक बने हुए हैं. पार्टियां विधानसभा चुनाव की तैयारियों को रोक कर फिलहाल चंपाई सोरेन के मसले पर ज्यादा ध्यान फोकस कर रही है. चंपाई सोरेन हैं जो कि सस्पेंस खत्म करने का नाम नहीं ले रहे हैं, बीते 5 दिनों से कयासों पर कयास लगाए जा रहे हैं कि चंपाई भाजपा में शामिल होंगे. लेकिन इस बीच चंपाई सोरेन ने ये तो साफ कर दिया कि अब वो जेएमएम का हिस्सा नहीं रहे. लेकिन अब वो आगे क्या करने वाले हैं इस पर सस्पेंश बरकरार हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने झामुमो के साथ सुलह की संभावना से साफ इनकार कर दिया है. चंपाई ने अपने पैतृक गांव जिलिंगगोरा में मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘मेरे जीवन में झामुमो का चैप्टर अब बंद हो चुका है. उस पार्टी में वापस लौटने का कोई सवाल ही नहीं है, जिसे मैंने पिछले 45 सालों से अपनेखून-पसीने से सींचा और वहां मेरा इतना अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि, ‘मैं इसे दोहराना नहीं चाहता। अब मैं झारखंड के दौरे पर निकलूंगा, संगठन का निर्माण करूंगा और अपनी जैसी विचारधारा वाले राजनीतिक मित्रों की तलाश करूंगा।’
वहीं चंपाई सोरेन ने यह भी कहा कि वो अपनी राजनीतिक जीवन का नया अध्याय कोल्हान से ही शुरु करेंगे. आगामी विधानसभा चुनाव में वो कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों पर झामुमो द्वारा उनपर किए गए अन्याय को बताएंगे. कैसे उन्हें सीएम पद से हटाया गया और कैसे सीएम रहते हुए भी उन्हें अपमानित किया गया.
अब चंपाई सोरेन के इस बात से इतना तो साफ हो गया कि चंपाई सोरेन विधानसभा चुनाव में कोल्हान की राजनीति में फैक्टर बनने वाले हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि इससे किसे कितना फायदा और किसे नुकसान होने वाला है. सीधे तौर पर देखे तो अगर चंपाई भाजपा में शामिल नहीं होते हैं और अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारते हैं तो इसका नुकसान झामुमो को उठाना पड़ सकता है. वर्तमान में कोल्हान झामुमो का गढ़ माना जाता है. और इसके पीछे कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चंपाई सोरेन भी बड़ा कारण है. अगर कोल्हान में झामुमो नहीं बल्कि चंपाई सोरेन के समर्थक और वोटर हैं तो इससे झामुमो के वोट कटने के आसार नजर आते हैं और कोल्हान की विधानसभा सीटों पर खासकर एसटी सीटों पर भाजपा की राह 2019 के मुकाबले थोड़ी आसान हो सकती है.
कोल्हान प्रमंडल में तीन जिले हैं पूर्वी सिंहभूम, प. सिंहभूम और सरायकेला खरसावां. इस तीनों जिलों के अंतर्गत 14 विधानसभा की सीटें आती है. जिनमें चाईबासा सदर,मझगांव, चक्रधरपुर ,मनोहरपुर, जगन्नाथपुर, सरायकेला, खरसावां , पोटका, घाटशिला,बहरागोड़ा, इचागढ़, जमशेदपुर पूर्वी , जमशेदपुर पश्चिमी , जुगसलाई की विधानसभा सीटें शामिल है. इन 14 सीटों पर इंडिया गठबंधन का ही कब्जा है. 2019 के चुनाव में भाजपा कोल्हान में खाता भी नहीं खोल पाई यहां तक की सीटिंग सीएम रघुवर दास को भी अपनी सीट खोनी पड़ी थी. रघुवर दास को निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी से हराया था. अब सरयू राय ने भी जदयू का दामन थाम लिया है और कयास लगाए जा रहे हैं कि वो एनडीए फोल्डर से ही जमशेदपूर पूर्वी से चुनावी मैदान में होंगे. वहीं चंपाई सोरेन भी अघर चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर प्रत्याशी उतारते हैं तो इन 14 में से 9 एसटी रिजर्व सीटों पर भी असर डाल सकते हैं. ऐसे में कोल्हान में भाजपा अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में सफल हो सकती है.
हालांकि चंपाई सोरेन ने अब तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि उनका अगला कदम क्या होगा और वो कब अपनी पार्टी बनाने का ऐलान करेंगे. अब चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद चंपाई सोरेन पार्टी बनाते हैं या भाजपा का दामन थामेंगे ये तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.