रघुवर दास झारखंड विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं?
झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले यह सवाल हर किसी की जुबां पर है.
वजह है राज्यपाल रघुवर दास की रांची से दिल्ली तक अधिक सक्रियता. सियासी गलियारों में चर्चा है कि रघुवर दास झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं.
हाल ही में रघुवर दास दिल्ली पहुंचे थे. वहां पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिले.
पहले भी चर्चा थी कि रघुवर दास झारखंड की सक्रिय राजनीति में लौटना चाहते हैं लेकिन कभी खुद रघुवर दास ने यह नहीं कहा.
अब तमाम कयासों पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया के जरिए जवाब दिया है.
भाजपा में कोई कन्फ़्यूजन नहीं है,केन्द्रीय नेतृत्व ने माननीय रघुवर दास जी को उड़ीसा का राज्यपाल बनाया है,पहली बार उड़ीसा में अपने दम पर हमारी सरकार है,रघुवर जी को झारखंड सरकार के मंत्री ,मुख्यमंत्री,प्रदेश अध्यक्ष रहने के कारण बहुत अनुभव है,इसलिए नई सरकार को उड़ीसा में वे मार्ग… https://t.co/pwSpw2Ce17
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) September 30, 2024
रघुवर दास की वापसी पर क्या बोले निशिकांत दुबे
निजी समाचार चैनल की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि बीजेपी में कोई कन्फ्यूजन नहीं है.
केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाया है. पहली बार ओडिशा में अपने दम पर हमारी (बीजेपी) सरकार है.
रघुवर दास को झारखंड सरकार में मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहने की वजह से काफी अनुभव है.
वे ओडिशा की नई सरकार को मार्गदर्शन देते रहेंगे.
कुल मिलाकर निशिकांत दुबे ने यह स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया है कि रघुवर दास झारखंड की सक्रिय राजनीति में नहीं लौट रहे हैं.
रघुवर दास के विधानसभा चनाव लड़ने की चर्चा
दरअसल, यह चर्चा थी कि रघुवर दास 2024 विधानसभा चुनाव में पूर्वी जमशेदपुर सीट से दावेदारी पेश कर सकते हैं. यही वह सीट है जहां पिछली बार वह मुख्यमंत्री रहते निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय से चुनाव हार गये थे.
कहा जा रहा था कि रघुवर दास, सरयू राय से अपना हिसाब बराबर करने वापसी कर सकते हैं.
सरयू राय की दावेदारी पर क्या बोले निशिकांत दुबे
इस बीच सरयू राय को लेकर निशिकांत दुबे ने कहा कि वे फिलहाल जदयू में हैं.
दोनों ही पार्टियों का नेतृत्व गठबंधन के तहत जो फैसला करेगा वही अंतिम होगा.
उन्होंने सरयू राय और रघुवर दास को लेकर चल रही सियासी अटकलों को हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने की कोशिश बताया है.