झारखंड में पत्थलगढ़ी आंदोलन को भाकपा (माओवादी) संगठन ने हाईजैक करने का प्रयास किया था.
नक्सल नेता प्रशांत बोस ने पुलिस को यह जानकारी दी है.
भाकपा (माओवादी) संगठन के पोलित ब्यूरो मेंबर और सेंट्रल कमिटी सदस्य प्रशांत बोस ने झारखंड पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को बताया है कि खूंटी जिला के विभिन्न इलाकों में हुए पत्थलगढ़ी आंदोलन के प्रमुख नेताओं ने नक्सलियों से बातचीत की थी.
इस वार्ता में संविधान की 5वीं अनुसूचि में प्रदत अधिकारों की मांग करते हुए एक साझा योजना बनाने पर चर्चा हुई थी लेकिन बाद में नक्सली संगठन ने समर्थन वापस ले लिया.
महाराज प्रमाणिक को सौंपा था अहम जिम्मा
प्रशांत बोस ने बताया कि उन्होंने सरायकेला-खरसावां में महाराज प्रमाणिक को केंद्रीय नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने का जिम्मा सौंपा था. महाराज प्रमाणिक को अन्य नेताओं से मिलकर ये तय करना था कि यदि पत्थलगढ़ी योजना को हाईजैक नहीं किया जा सका तो आगे क्या रणनीति होगी?
प्रशांत बोस ने कहा कि पत्थलगढ़ी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुछ लोग नक्सलियों के पास इस संबंध में वार्ता के लिए पहुंचे थे लेकिन किसी वजह से बात नहीं बनी. ॉ
गौरतलब है कि अतीत में कई बार पत्थलगढ़ी आंदोलन को नक्सलियों और पीएलएफआई उग्रवादियों का समर्थन मिलने की बात सामने आती रही है. हालांकि, कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी थी.
अब प्रशांत बोस के इकबालिया बयान से स्पष्ट है कि नक्सलियों ने पत्थलगढ़ी आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश की थी.
खूंटी जिला में आदिवासियों ने किया था आंदोलन
गौरतलब है कि अगस्त 2016 में खूंटी जिला के एक गांव में आदिवासियों ने पत्थलगढ़ी आंदोलन की नींव रखी थी. उन्होंने गांव के बाहर एक पत्थर पर संविधान की 5वीं अनुसूचि में जनजातीय क्षेत्रों को दिए गए विशेष अधिकारों को लिखकर गाड़ दिया था.
गांव वालों का कहना था कि उनका शासन स्थानीय ग्राम परंपरा के हिसाब से ही चलेगा.
मांझी, मुंडा, मानकी के जरिये ही व्यवस्था संचालित होगी.
गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति चाहे वह कोई सरकारी अधिकारी ही क्यों न हो, उसका प्रवेश वर्जित होगा. गांव वाले तीर-कमान, भाला और फरसा लेकर गांव के मुहाने पर सुरक्षा में तैनात हो गए.
जब जिले के एसपी और स्थानीय थानेदार गांव वालों से वार्ता करने पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें 300 पुलिसकर्मियों के साथ बंधक बना लिया. इस घटना ने राज्य सरकार के साथ देश की सुरक्षा एजेंसियों और गृह मंत्रालय तक की नींद उड़ा दी थी.