गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है.
27 नवंबर 2023 को देवघर एयरपोर्ट मामले में भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.
बता दें कि होईकोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द किए जाने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के याचिका दाखिल की थी. जिसपर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच में सुनवाई हुई.
क्या था मामला?
बता दें कि यह मामला सितंबर 2022 का है। देवघर हवाई अड्डे पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य पर सुरक्षा नियम तोड़ने का आरोप लगा था. कहा गया कि उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कर्मचारियों पर दबाव बनाकर एक प्राइवेट प्लेन को उड़ान भरने की अनुमति दिलाई.
हालांकि हवाई अड्डा रात में उड़ान के लिए तैयार नहीं था. इस मामले में आईपीसी की धारा 336, 447 और 448 के साथ-साथ एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 की धारा 10 और 11ए के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी.
हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था एफआईआर
झारखंड हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट का कहना था कि विमान अधिनियम, 2020 के तहत पहले अनुमति लेनी जरूरी थी, जो नहीं ली गई. राज्य सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.
राज्य सरकार का तर्क है कि हाईकोर्ट ने आईपीसी पर विमान अधिनियम, 1934 को ज़्यादा महत्व देकर गलती की है. उनका कहना है कि आईपीसी के नियम विमान अधिनियम से अलग हैं। जब सुरक्षा को खतरा हो, तो विमान अधिनियम, आईपीसी पर हावी नहीं हो सकता.
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसे मुद्दों पर फैसला सुनाया जो अभी जांच के दायरे में हैं, जैसे कि पायलट विमान से बाहर निकला या नहीं। जांच अधिकारी (IO) का कहना है कि एटीसी ने कम विज़िबिलिटी के कारण उड़ान भरने से मना किया था, लेकिन आरोपियों ने ज़बरदस्ती मंज़ूरी दिलाई.
सरकार का आरोप था कि सांसदो ने पद का दुरुपयोग किया
राज्य सरकार का आरोप है कि सांसदों ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और लोगों की जान जोखिम में डाली. बड़े नेता होने के नाते, उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए था.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विमान नियम, 1937 के अनुसार, सूर्यास्त के आधे घंटे बाद और सूर्योदय से आधे घंटे पहले की उड़ान को रात्रि उड़ान माना जाता है. इस मामले में, सूर्यास्त शाम 6:03 बजे हुआ था और विमान ने शाम 6:17 बजे उड़ान भरी थी.
इस मामले में ऐसी कोई शिकायत नहीं थी. हाईकोर्ट ने माना कि एफआईआर गलत इरादे से दर्ज की गई थी.